Sambhal Janeta dargah controversy : संभल जिले के तहसील चंदौसी क्षेत्र में स्थित गांव जनेटा की सैकड़ों वर्ष पुरानी आस्ताना आलिया कादरिया नौशहिया दरगाह को लेकर विवाद गहरा गया है। कुछ ग्रामीणों ने दावा किया है कि यह दरगाह सरकारी जमीन पर बनी है, जबकि दरगाह के मुतवल्ली डॉ. सैयद शाहिद मियां ने इसे वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया है। जनेटा दरगाह विवाद पर प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और जल्द ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि दरगाह किसकी जमीन पर स्थित है। इस विवाद ने स्थानीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है और वक्फ संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद यह जिले का पहला ऐसा मामला बन गया है।
ऐसे हुई जनेटा दरगाह विवाद की शुरुआत
हाल ही में कुछ ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से शिकायत की थी कि जनेटा दरगाह की जमीन पर अवैध कब्जा किया गया है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि डॉ. सैयद शाहिद मियां ने खुद को फर्जी तरीके से मुतवल्ली घोषित कर लिया और दरगाह पर हर साल लगने वाले मेले के जरिए अवैध उगाही की जा रही है। शिकायत के बाद जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए।
तीन दिन पहले तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने गांव का दौरा किया और दरगाह का मौका मुआयना किया। उन्होंने मुतवल्ली से दरगाह और उसकी जमीन से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा। शनिवार को डॉ. सैयद ने तहसीलदार को सभी दस्तावेज सौंप दिए। तहसीलदार ने बताया कि अब इन दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी।
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प्रशासन का रुख: प्रथमदृष्टया वक्फ संपत्ति की पुष्टि नहीं
तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, “प्रथमदृष्टया दस्तावेजों में दरगाह की जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में पुष्टि नहीं हुई है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में जमीन सरकारी पाई गई, तो इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, क्योंकि यह न केवल संपत्ति विवाद से जुड़ा है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को भी प्रभावित कर सकता है।
मेले पर भी उठे सवाल, प्रशासन ने रोकी अनुमति
जनेटा दरगाह पर हर साल चार दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें संभल के अलावा अन्य शहरों से दुकानदार और श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह मेला स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का साधन भी रहा है। हालांकि, इस बार मेले से पांच दिन पहले विवाद सामने आने के बाद प्रशासन ने **धारा 63** का हवाला देते हुए मेले की अनुमति रद्द कर दी। नतीजतन, दरगाह कमेटी को मेला स्थगित करना पड़ा।
ग्रामीणों का दावा है कि मेले के नाम पर अवैध वसूली की जाती थी, जिसके कारण इस बार प्रशासन ने सख्त रवैया अपनाया। यह विवाद दरगाह की जमीन के साथ-साथ मेले की वैधता पर भी सवाल उठा रहा है।
वक्फ संशोधन अधिनियम के बाद पहला मामला
हाल ही में लागू हुए वक्फ संशोधन अधिनियम के बाद जनेटा दरगाह का यह मामला संभल जिले में पहला ऐसा प्रकरण बन गया है। इस अधिनियम के तहत वक्फ संपत्तियों की जांच और उनके प्रबंधन को लेकर नए नियम बनाए गए हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि दरगाह की जमीन सरकारी है, और इसे अवैध रूप से वक्फ की संपत्ति के रूप में दर्शाया जा रहा है।
इस बीच, मुतवल्ली डॉ. सैयद शाहिद मियां ने अपने दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि दरगाह की जमीन वक्फ बोर्ड के अधीन है। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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मुतवल्ली का पक्ष: “दस्तावेज सौंपे, जांच में सच आएगा सामने”
डॉ. सैयद शाहिद मियां ने कहा कि उन्होंने प्रशासन को सभी जरूरी दस्तावेज सौंप दिए हैं। उनका दावा है कि दरगाह की जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और यह सैकड़ों वर्षों से धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित है। उन्होंने ग्रामीणों के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि कुछ लोग निजी स्वार्थ के चलते विवाद पैदा कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की राय
जनेटा गांव के कुछ लोग इस विवाद को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि दरगाह लंबे समय से गांव की आस्था का केंद्र रही है, लेकिन जमीन के मालिकाना हक को लेकर स्पष्टता जरूरी है। कुछ ग्रामीणों का मानना है कि इस विवाद का समाधान जल्द होना चाहिए, ताकि गांव में शांति बनी रहे। तहसीलदार धीरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, *”जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि दरगाह की जमीन सरकारी है या वक्फ की। हम किसी भी पक्ष के दबाव में नहीं हैं और निष्पक्षता से कार्रवाई करेंगे।”* यदि जमीन सरकारी पाई गई, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है, क्योंकि इसमें अवैध कब्जे और उगाही के आरोपों की भी जांच की जाएगी।
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