राणा सांगा विवाद : क्यों हो रही सियासत और सच्चाई क्या है?

राणा सांगा के बाबर से संबंधों पर विवाद शुरू हो गया है।

Rana Sanga controversy and facts : मेवाड़ के महान शासक राणा सांगा को लेकर विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने संसद में राणा सांगा को “गद्दार” कहकर संबोधित किया। इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि राजस्थान और देश भर में विरोध प्रदर्शनों को भी जन्म दिया। राणा सांगा पर दिए गए बयान की वजह से सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर गुरुवार को करणी सेना के सदस्‍यों ने हंगामा मचाया। मौके पर तैनात पुलिस ने लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। करणी सेना के सदस्‍य पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। हमले में इंस्‍पेक्‍टर समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने बल प्रयोग कर हंगामा करने वालों को खदेड़ दिया। इस पूरे विवाद को दस प्वाइंट में विस्तार से समझें।

1. विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

21 मार्च 2025 को राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा, “बाबर को इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा लाया था। अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।” यह बयान बीजेपी के उस दावे के जवाब में था जिसमें कहा जाता है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। सुमन के इस बयान ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया।

2. राणा सांगा कौन थे?

राणा सांगा, जिनका असली नाम संग्राम सिंह था, 16वीं सदी में मेवाड़ के शासक थे। उनका शासनकाल 1509 से 1528 तक रहा। वे सिसोदिया राजपूत वंश से थे और अपनी वीरता व नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध थे। राणा सांगा ने दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और राजपूतों को एकजुट करने का प्रयास किया। उनकी सबसे बड़ी लड़ाई बाबर के साथ खानवा में हुई थी।

यह भी देखें : राणा सांगा – वीरता और संघर्ष की कहानी (Wikipedia)

3. राणा सांगा के घायल होने को लेकर विवाद

ऐतिहासिक संदर्भों में बताया जाता है कि राणा सांगा अपने जीवनकाल में 80 से अधिक गंभीर घावों के बावजूद युद्ध लड़ते रहे। लेकिन हाल ही में कुछ इतिहासकारों ने यह दावा किया कि यह संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है। इस पर राजपूत समुदाय और इतिहास प्रेमियों में नाराजगी देखी गई। इतिहासकारों में इस मुद्दे पर मतभेद है। कुछ का मानना है कि राणा सांगा का बाबर से संपर्क एक रणनीति थी, न कि गद्दारी। सतीश चंद्रा जैसे इतिहासकारों का कहना है कि सांगा चाहते थे कि बाबर और लोदी आपस में लड़ें, जिससे मेवाड़ को फायदा हो। लेकिन खानवा में उनकी हार ने उन्हें बाबर का विरोधी साबित किया, न कि समर्थक।

4. बाबर और राणा सांगा का क्या संबंध था?

सुमन के दावे का आधार बाबर की आत्मकथा बाबरनामा है, जिसमें बाबर ने लिखा कि राणा सांगा ने उसे भारत आने का न्योता दिया था। इतिहासकारों के अनुसार, यह एक राजनयिक कदम हो सकता था, जिसमें सांगा ने बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ इस्तेमाल करने की सोची होगी। हालांकि, बाद में सांगा ने बाबर का कड़ा विरोध किया और खानवा के युद्ध में उससे लड़े।

यहां देखें : बाबरनामा – बाबर की आत्मकथा

5. खानवा की लड़ाई पर क्यों सवाल उठाए जाते हैं?

1527 में खानवा की लड़ाई में राणा सांगा और बाबर आमने-सामने थे। पारंपरिक इतिहास में कहा जाता है कि यह युद्ध राणा सांगा की हार के साथ समाप्त हुआ, लेकिन कुछ शोधकर्ता तर्क दे रहे हैं कि यह पूरी तरह से हार नहीं थी। वे कहते हैं कि राणा सांगा की रणनीति और मुगलों की चुनौतियों को लेकर नए दस्तावेज सामने आ रहे हैं।

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6. करणी सेना का गुस्सा और प्रदर्शन

राणा सांगा को “गद्दार” कहे जाने से नाराज करणी सेना ने देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू किए। 26 मार्च 2025 को आगरा में सुमन के घर पर हमला हुआ, जहां करणी सेना कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई। सेना ने सुमन के खिलाफ 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

7. राजस्थान में सियासी उबाल

राजस्थान, जहां राणा सांगा को एक नायक के रूप में पूजा जाता है, वहां यह विवाद सबसे ज्यादा गरमाया। विधानसभा में बीजेपी विधायकों ने हंगामा किया और सुमन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी इस बयान की निंदा की। कांग्रेस ने इसे राज्यसभा का मामला बताकर चर्चा से इनकार किया, जिससे बीजेपी और भड़क गई।

8. आगरा में करणी सेना ने क्या किया?

राणा सांगा पर दिए गए बयान की वजह से सपा सांसद रामजी लाल सुमन के घर गुरुवार को करणी सेना के सदस्‍यों ने हंगामा मचाया। मौके पर तैनात पुलिस ने लाठियां भांजी तो भगदड़ मच गई। करणी सेना के सदस्‍य पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। हमले में इंस्‍पेक्‍टर समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। पुलिस ने बल प्रयोग कर हंगामा करने वालों को खदेड़ दिया। इससे पहले करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।

9. बीजेपी और विपक्ष की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने सुमन के बयान को राणा सांगा और राजपूत समाज का अपमान बताया। बीजेपी नेता संजीव बालियान ने कहा, “यह तुष्टिकरण की राजनीति है। सपा को देश से माफी मांगनी चाहिए।” वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने भी इसकी निंदा की। दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सुमन का समर्थन करते हुए कहा, “बीजेपी इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है। सुमन ने सिर्फ एक तथ्य रखा।” इस मामले में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, रामजीलाल सुमन के घर इसलिए अटैक हुआ है क्योंकि वह दलित हैं। समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने X पर पोस्ट में आरोप लगाते हुए लिखा कि भाजपा ने एक दलित नेता के घर पर जानलेवा हमला करवाया है।

10. सोशल मीडिया पर बहस और सियासत

सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा छाया रहा। कवि कुमार विश्वास ने कविता लिखकर सुमन की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा, “जुगनू की कुछ औलादों ने सूरज पर प्रश्न उठाए हैं।” कई यूजर्स ने राणा सांगा की वीरता की तारीफ की, जबकि कुछ ने सपा के तुष्टिकरण की राजनीति पर सवाल उठाए। करणी सेना और बीजेपी ने सुमन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है, वहीं सपा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा बता रही है।

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Vishesh senior researcher

डॉ. विशेष रिसर्च और स्वास्थ्य के मामलों पर पकड़ रखते हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद देश-दुनिया के कई नामचीन संस्थानों से जुड़े रहे हैं। पिछले 18 साल से रिसर्च से जुड़े संस्थानों की कार्यप्रणाली पर उनकी गहरी नजर रहती है। शोध, इंटरव्यू और सर्वे में महारत। इन दिनों Uncut Times की रिसर्च टीम काे समृद्ध कर रहे हैं। इनसे vishesh@uncuttimes.com पर जुड़ सकते हैं।


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