अल्मोड़ा हल्द्वानी रोड : क्वारब में टूटी सड़क बवाल-ए-जान

अल्मोड़ा हल्द्वानी रोड क्वारब में टूटी सड़क बवाल-ए-जान

Uttarakhand News : अल्मोड़ा हल्द्वानी रोड की हालत सुधारना चुनौती बना हुआ है। इस मार्ग पर क्वारब के पास लगातार टूटी सड़कों और भूस्खलन की समस्या ने यात्रियों, वाहन चालकों के लिए दिक्कत खड़ी कर दी है। इस क्षेत्र में सड़क की स्थिति बदतर होती जा रही है। यह समस्या न केवल क्वारब तक सीमित है, बल्कि इस मार्ग के अन्य हिस्सों में भी कई कमियां सामने आ रही हैं, जिससे नाराजगी बढ़ रही है। ऐतिहासिक शहर अल्मोड़ा के प्रवेश द्वार क्वारब की इस बदहाली को दूर करने के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

अल्मोड़ा हल्द्वानी रोड कुमाऊं की लाइफलाइन

अल्मोड़ा हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-109) उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सड़क मार्ग है, जो पहाड़ी इलाकों को मैदानी क्षेत्रों से जोड़ता है। यह मार्ग न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवागमन का प्रमुख साधन है, बल्कि पर्यटकों और व्यापारियों के लिए भी जीवन रेखा के समान है। अल्मोड़ा-हल्द्वानी मोटर मार्ग पर क्वारब में टूटी सड़कों की समस्या अब एक स्थायी संकट बन चुकी है। यह न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी बाधित कर रही है।

काम चालू लेकिन फायदा नहीं मिल रहा

जिला प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस समस्या को लेकर कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन पूरे साल यहां भूस्खलन का खतरा बना रहता है। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए जेसीबी और पोकलैंड मशीनों की मदद से सड़क चौड़ीकरण और मलबा हटाने का कार्य लगातार होता रहता है। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय का कहना है कि, “स्थिति पर लगातार नजर रहती है, ताकि लोगों को परेशानी न हो। सड़क की चौड़ाई बढ़ाने और भूस्खलन को रोकने के लिए विशेषज्ञों की सलाह ली जा रही है।”

केंद्र से बजट मिला, अब राज्य सरकार के पाले में गेंद

विशेषज्ञों का मानना है कि क्वारब में सड़क की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए दीर्घकालिक योजना की ज़रूरत है। पहाड़ी को स्थिर करने के लिए रिटेनिंग वॉल, ढलान संरक्षण और वृक्षारोपण जैसे कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही, सड़क के डिज़ाइन में बदलाव कर इसे भूस्खलन के प्रति कम संवेदनशील बनाया जा सकता है। अच्छी खबर यह है कि केंद्र सरकार की ओर से इस मार्ग के लिए बजट को स्वीकृति दी जा चुकी है। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस दिशा में विशेष ध्यान देना होगा, ताकि कार्य में तेजी आए और धन का सही उपयोग हो सके। तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम गठित कर भूस्खलन जोन का स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। इसके साथ ही, निर्माण कार्य की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाई जानी चाहिए, ताकि गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित हो।

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चौंसली से कोसी तक काम अधूरा

क्वारब के अलावा, इस मार्ग के अन्य हिस्सों में भी निर्माण कार्य की लापरवाही देखने को मिल रही है। चौंसली से कोसी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू किया गया था, लेकिन इसमें लगभग तीन किलोमीटर का हिस्सा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस अधूरे कार्य ने स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी पैदा कर दी है। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन ने बड़े-बड़े वादे तो किए, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस हिस्से में सड़क की संकरी और टूटी हालत के कारण आए दिन जाम की स्थिति बन रही है, जिससे लोगों का रोज़मर्रा का जीवन प्रभावित हो रहा है।

क्वारब में सड़क की बदहाली का कारण

क्वारब, जो अल्मोड़ा और हल्द्वानी के बीच इस राजमार्ग का एक संवेदनशील हिस्सा है, लंबे समय से भूस्खलन और सड़क धंसने की समस्या से जूझ रहा है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहाँ की भौगोलिक संरचना नाजुक है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जब पहाड़ी से मलबा और पत्थर सड़क पर गिरते हैं। हाल ही में हुई भारी बारिश ने इस क्षेत्र में सड़क के एक बड़े हिस्से को सुयाल नदी में बहा दिया, जिसके बाद से यहाँ यातायात कई दिनों तक ठप रहा। इसके अलावा, सड़क की चौड़ाई भी कई जगहों पर बेहद कम हो गई है, जिससे बड़े वाहनों का आवागमन असुरक्षित हो गया है। खराब जल निकासी व्यवस्था और सड़क के किनारे ढलानों का अनियंत्रित कटाव भी इस समस्या को बढ़ा रहा है।

यात्रियों की परेशानी

क्वारब में सड़क की खराब स्थिति का सबसे ज्यादा असर यहां से गुजरने वाले यात्रियों और स्थानीय लोगों पर पड़ रहा है। बसों का संचालन बंद होने से लोगों को 43 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हो रही है। परिवहन निगम को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि वैकल्पिक मार्गों पर बसें चलाने से लागत बढ़ गई है। पर्यटकों के लिए भी यह मार्ग असुविधाजनक साबित हो रहा है, जिसका असर क्षेत्र के पर्यटन उद्योग पर पड़ रहा है। छोटे व्यवसायी जो इस मार्ग के जरिए हल्द्वानी से सामान लाते हैं, उन्हें भी देरी और बढ़ी हुई लागत का सामना करना पड़ रहा है। सामाजिक संगठन भी इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। उनका कहना है कि अल्मोड़ा-हल्द्वानी मार्ग कुमाऊं की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।

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तो क्या बरसात में फिर दिक्कत होगी?

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समस्या का स्थायी समाधान न होना भी एक बड़ा कारण है। सड़क की मरम्मत और चौड़ीकरण का कार्य समय-समय पर किया जाता है, लेकिन यह अस्थायी उपाय ही साबित होता है। भूस्खलन जोन को स्थिर करने के लिए कोई ठोस तकनीकी कदम नहीं उठाए गए हैं, जिसके चलते हर बारिश में सड़क फिर से क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसके अलावा, सड़क निर्माण में गुणवत्ता की कमी और ठेकेदारों की लापरवाही भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है।

लोग क्या कहते हैं?

स्थानीय निवासी रमेश सिंह ने बताया, “हर साल यहाँ सड़क टूटती है, लेकिन प्रशासन सिर्फ मलबा हटाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है। हमें रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कितनी दिक्कत होती है, इसका कोई हिसाब नहीं रखता।” वहीं, एक अन्य यात्री सुनीता देवी ने कहा, “हल्द्वानी से अल्मोड़ा आने में कई बार अब दोगुना समय लग जाता है। बच्चों की पढ़ाई और मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाने में भी परेशानी हो रही है।” कई बार तो सड़क पर फंसे वाहनों को निकालने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है, जिससे लोगों का धैर्य जवाब दे रहा है।

पर्यटन पर असर पड़ सकता है

अल्मोड़ा-हल्द्वानी मोटर मार्ग उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण कड़ी है, क्योंकि यह मार्ग जागेश्वर, चितई, गैराड़ के अलावा, मुनस्यारी, कौसानी जैसे खूबसूरत पहाड़ी स्थलों को नैनीताल और भीमताल जैसे लोकप्रिय पर्यटन गंतव्यों से जोड़ता है। क्वारब में सड़क की खराब स्थिति और बार-बार यातायात बाधित होने से पर्यटकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। लंबी यात्रा में देरी, वैकल्पिक मार्गों की अनुपलब्धता और असुरक्षित सड़क की वजह से कई पर्यटक इन क्षेत्रों की यात्रा से कतराने लगे हैं। इससे न केवल स्थानीय होटल व्यवसायियों, गाइडों और परिवहन सेवाओं पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है, बल्कि कुमाऊं क्षेत्र की पर्यटन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। अगर इस मार्ग को जल्द ठीक नहीं किया गया, तो उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को लंबे समय तक नुकसान झेलना पड़ सकता है।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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