काठमांडू/नई दिल्ली : नेपाल हिंदू राष्ट्र की मांग जोर पकड़ रही है। हजारों लोग सड़कों पर उतरकर यह मांग कर रहे हैं कि नेपाल को फिर से एक हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए, जैसा कि वह 2006 से पहले था। ऐसे में यह सवाल उठता है- नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग क्यों उठ रही है? इसके पीछे इतिहास क्या है? और क्या यह सिर्फ धार्मिक मांग है या कोई गहरी राजनीतिक रणनीति?
नेपाल: एकमात्र हिंदू राष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने तक
नेपाल 2006 तक दुनिया का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था। लेकिन 2006 में हुए जनांदोलन और राजशाही के अंत के बाद, देश को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। इसके साथ ही संविधान में धर्म की स्वतंत्रता को शामिल किया गया और हिंदू राष्ट्र का दर्जा खत्म कर दिया गया। हालाँकि, देश की लगभग 80% से अधिक आबादी हिंदू है और एक बड़ा वर्ग इसे अब भी हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है। समय-समय पर नेपाल में इस मुद्दे को लेकर विरोध-प्रदर्शन होते रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में यह आंदोलन और तेज हो गया है।
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क्यों फिर से उठ रही है नेपाल हिंदू राष्ट्र की मांग?
- धार्मिक पहचान का सवाल
बहुत से लोग मानते हैं कि नेपाल की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान सदियों से हिंदू धर्म से जुड़ी रही है। पशुपतिनाथ मंदिर, जनकपुर, मुक्तिनाथ जैसे धार्मिक स्थलों को लोग सिर्फ पर्यटन के नहीं, बल्कि धार्मिक राष्ट्र की आत्मा मानते हैं। - राजशाही समर्थक समूहों की सक्रियता
हाल के वर्षों में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के समर्थकों और राजशाही समर्थक संगठनों ने हिंदू राष्ट्र की मांग को एक बार फिर हवा दी है। उनका दावा है कि धर्मनिरपेक्षता ने देश में सांस्कृतिक भ्रम और सामाजिक विघटन को बढ़ाया है। - राजनीतिक अस्थिरता और जनता में असंतोष
नेपाल में बार-बार सरकार बदलने, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट की वजह से जनता का एक हिस्सा मौजूदा लोकतांत्रिक ढांचे से असंतुष्ट है। ऐसे में वे राजशाही और धार्मिक राष्ट्रवाद को स्थिरता का विकल्प मान रहे हैं। - भारत से सांस्कृतिक संबंध
भारत और नेपाल के बीच गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। कई संगठनों का मानना है कि नेपाल का हिंदू राष्ट्र बनना भारत-नेपाल संबंधों को और मजबूत करेगा।
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आंदोलन की मौजूदा स्थिति
हाल ही में काठमांडू, जनकपुर, बिराटनगर समेत कई शहरों में हजारों लोगों ने रैलियां निकालीं और राष्ट्रपति कार्यालय तक मार्च किया। प्रदर्शनकारियों ने बैनरों पर लिखा — “नेपाल हिंदू राष्ट्र था, है और रहेगा!”।
संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि संविधान में संशोधन कर नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया, तो देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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क्या संविधान में बदलाव संभव है?
नेपाल का संविधान 2015 में लागू हुआ और इसे धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद पर तैयार किया गया था। संविधान में बदलाव के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, जो फिलहाल किसी भी पार्टी या गठबंधन के पास नहीं है। इसलिए ये कहना जल्दबाजी होगी कि नेपाल जल्दी ही फिर से हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। लेकिन इस मांग ने देश की राजनीति को एक बार फिर धार्मिक बहस के केंद्र में ला दिया है।
नेपाल हिंदू राष्ट्र : धर्म बनाम लोकतंत्र?
नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग केवल धार्मिक मसला नहीं है। यह एक सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक पहचान का सवाल बन चुका है। जहां एक ओर लोग अपने धर्म और परंपराओं की रक्षा करना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा भी लोकतंत्र के लिए अहम मानी जाती है। आगामी महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस आंदोलन को कैसे संभालती है और नेपाल की जनता किस दिशा में सोच बदलती है।
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पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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