Big News : उत्तराखंड में आउटसोर्स और संविदा नियुक्तियों पर रोक, प्रमुख सचिव का आदेश

उत्तराखंड में 1 मई 2025 से सभी विभागों में बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य

देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी विभागों में आउटसोर्स, संविदा, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक और तदर्थ नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने इसका आदेश जारी कर दिया है। इस फैसले का उद्देश्य सरकारी कार्य प्रणाली में सुधार, सुशासन को बढ़ावा देना और नियमित भर्ती प्रक्रिया को मजबूत करना है।

प्रमुख सचिव में आदेश की खास बातें

आदेश के अनुसार, सरकार का उद्देश्य राज्य के बजट अनुशासन को बनाए रखना और अनावश्यक सरकारी खर्च पर नियंत्रण स्थापित करना है। आउटसोर्स और संविदा के माध्यम से होने वाली नियुक्तियाँ सरकार के वित्तीय दायित्व को बढ़ा रही थीं, जिसे ध्यान में रखते हुए यह सख्त कदम उठाया गया है। प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार से विशेष अनुमति न मिले, तब तक कोई भी नया संविदा कर्मचारी या आउटसोर्स कर्मी नियुक्त नहीं किया जाएगा।

अपवाद की स्थिति में लेनी होगी पूर्व स्वीकृति

यदि किसी विभाग को अत्यधिक आवश्यकता के चलते आउटसोर्स या संविदा के माध्यम से नियुक्ति करनी भी पड़ती है, तो इसके लिए विभागीय मंत्री की अनुशंसा के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय से पूर्व स्वीकृति अनिवार्य होगी। बिना स्वीकृति के की गई नियुक्तियों के लिए संबंधित अधिकारी स्वयं जिम्मेदार माने जाएंगे।

पहले से नियुक्त कर्मचारियों पर असर नहीं

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो कर्मचारी पहले से आउटसोर्स या संविदा पर कार्यरत हैं, उनकी सेवाओं पर इस आदेश का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। आदेश केवल नई नियुक्तियों पर लागू होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सरकारी मशीनरी में प्रशासनिक अनुशासन को मजबूत करने और भ्रष्टाचार व अनियमितताओं पर नियंत्रण के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही, सरकार आगामी समय में सरकारी पदों पर नियमित भर्तियों के लिए नई नीतियाँ और प्रक्रियाएँ लागू कर सकती है।

उत्तराखंड में आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति

वर्तमान में उत्तराखंड में अनुमानित 18,000 से 20,000 आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। सरकार ने उपनल से इन कर्मचारियों का ब्योरा मांगा है और इस संबंध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में दो बैठकें भी हो चुकी हैं। यह आदेश इन कर्मचारियों के भविष्य पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि अब नए आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती नहीं होगी। हालांकि, मौजूदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए सरकार की नीति पर अभी स्पष्टता बाकी है।

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क्यों लिया गया यह फैसला?

हाल के वर्षों में कई सरकारी विभागों में आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद सामने आए हैं। कई मामलों में, नियमित भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाने के खिलाफ हाईकोर्ट में स्टे ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं। उदाहरण के लिए, राज्य कर विभाग, सिंचाई, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), और पंचायती राज जैसे विभागों में ऐसी समस्याएं देखी गई हैं। इन विवादों ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

इसके अलावा, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पहले ही उपनल (उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड) के माध्यम से नियुक्त आउटसोर्स कर्मचारियों को चरणबद्ध तरीके से नियमित करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इन कर्मचारियों के नियमितीकरण के लिए एक ठोस नीति बनाने की घोषणा की थी। हालांकि, इस नए आदेश के बाद अब आउटसोर्स और संविदा नियुक्तियों पर पूरी तरह रोक लगाकर सरकार नियमित भर्ती को प्राथमिकता दे रही है।

उत्तराखंड में नियमित भर्ती पर जोर

उत्तराखंड सरकार ने हाल के महीनों में सरकारी नौकरियों में नियमित भर्ती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, 11 सरकारी विभागों में 4,405 रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत 15 सितंबर 2024 से भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके अलावा, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने 4,873 पदों के लिए परीक्षा कैलेंडर जारी किया है, जिसमें पुलिस, शिक्षक, और अन्य विभागों के पद शामिल हैं।

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राज्य कर्मचारियों में हलचल

इस निर्णय के बाद राज्यभर के विभागों में कार्यरत अस्थायी कर्मचारियों और संविदा कर्मियों के बीच चिंता का माहौल बन गया है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान सेवाएं यथावत रहेंगी, फिर भी भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस आदेश को लेकर कर्मचारी संगठनों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ संगठन इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि यह नियमित भर्ती को बढ़ावा देगा और युवाओं को स्थायी नौकरियों के अवसर प्रदान करेगा। हालांकि, उपनल कर्मचारी संगठन जैसे कुछ समूहों ने इस आदेश पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब 2003 से ही संविदा और तदर्थ नियुक्तियों पर रोक थी, तो अब तक आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती कैसे हुई?

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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