उत्तराखंड के स्कूलों में हर महीने 1 दिन ‘बैगलेस-डे’ होगा

उत्तराखंड के सभी स्कूलों में हर महीने होगा ‘बैगलेस-डे’

देहरादून : उत्तराखंड के सभी राजकीय और निजी विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025 से बैगलेस-डे लागू कर दिया गया है। प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को यह दिवस मनाया जाएगा, जिसमें छात्र-छात्राएं बिना स्कूली बस्ते के विद्यालय जाएंगे और पढ़ाई के बजाय सृजनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। इस पहल को सुचारू रूप से लागू करने के लिए विद्यालयी शिक्षा विभाग ने नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया है, जो ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर इसकी निगरानी करेंगे।

बैगलेस-डे नई शिक्षा नीति का हिस्सा

नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप, उत्तराखंड सरकार ने छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए बैगलेस-डे की शुरुआत की है। इस दिन छात्र बिना किताबों के बोझ के स्कूल जाएंगे और विभिन्न रचनात्मक, जैविक, मशीनी, और मानवीय गतिविधियों में भाग लेंगे। इस पहल का उद्देश्य छात्रों में रचनात्मकता, नेतृत्व, और सामाजिक कौशल को बढ़ावा देना है।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इस अवसर के लिए एक विशेष ‘गतिविधि पुस्तिका’ तैयार की है, जिसमें बैगलेस-डे पर आयोजित होने वाली गतिविधियों का विस्तृत विवरण शामिल है। इस पुस्तिका को सीबीएसई, आईसीएसई, भारतीय शिक्षा बोर्ड, संस्कृत शिक्षा, मदरसा बोर्ड सहित सभी शिक्षा बोर्डों को ई-फॉर्मेट में उपलब्ध कराया जाएगा।

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कार्यशाला में पुस्तिका का विमोचन

देहरादून में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सभागार में आयोजित एक कार्यशाला में विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बैगलेस-डे को लेकर महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। इस कार्यशाला में विभिन्न शिक्षा बोर्डों के प्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, और निजी स्कूल संचालकों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला के दौरान ‘गतिविधि पुस्तिका’ का विधिवत विमोचन किया गया।

“बैगलेस-डे छात्रों के लिए एक अनूठा अवसर है, जहां वे पढ़ाई के बोझ से मुक्त होकर अपनी रचनात्मकता को निखार सकते हैं। यह पहल नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देगी।” – डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री

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क्या होंगी बैगलेस-डे की गतिविधियां?

बैगलेस-डे पर मुख्य रूप से तीन प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जाएंगी:

  • जैविक गतिविधियां: पर्यावरण संरक्षण, पौधरोपण, और जैविक खेती से संबंधित गतिविधियां।
  • मशीनी गतिविधियां: रोबोटिक्स, कोडिंग, और तकनीकी नवाचार से जुड़े प्रोजेक्ट।
  • मानवीय गतिविधियां: सामाजिक जागरूकता, नेतृत्व विकास, और सांस्कृतिक कार्यक्रम।

स्कूलों को स्वतंत्रता दी गई है कि वे इस पुस्तिका के अतिरिक्त अपनी रचनात्मक गतिविधियां भी आयोजित कर सकते हैं, बशर्ते वे छात्रों के विकास के लिए लाभकारी हों।

नोडल अधिकारी करेंगे निगरानी

  • राज्य स्तर: महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा

  • जिला स्तर: मुख्य शिक्षा अधिकारी

  • ब्लॉक स्तर: खण्ड शिक्षा अधिकारी

ये अधिकारी बैगलेस-डे के सफल क्रियान्वयन की निगरानी करेंगे और औचक निरीक्षण भी करेंगे।

बस्ते का बोझ कम करने पर भी चर्चा

कार्यशाला में स्कूली बस्तों के बोझ को कम करने पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। विशेष रूप से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूल संचालकों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए कहा गया। इस व्यवस्था को जुलाई 2025 से लागू करने पर सहमति बनी। यह कदम छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर उठाया गया है।

प्रतिनिधियों ने की पहल की सराहना

बैगलेस-डे पर हुई कार्यशाला में विभिन्न शिक्षा बोर्डों, निजी विद्यालयों और सरकारी स्कूलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला में छात्रों पर बढ़ते बस्ते के बोझ को कम करने और शिक्षा को आनंदमय बनाने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि बैगलेस-डे जैसी पहलें छात्रों को न केवल शैक्षिक दबाव से मुक्ति दिलाएंगी, बल्कि उनकी रचनात्मकता और सामाजिक कौशल को भी बढ़ावा देंगी।

विशेषज्ञों की राय

  • डॉ. मनोज (सीबीएसई क्षेत्रीय अधिकारी): “छात्रों को किताबों के अलावा भी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, बैगलेस-डे एक सकारात्मक कदम है।”

  • प्रेम कश्यप (निजी विद्यालय संगठन अध्यक्ष): “नई शिक्षा नीति का यह कदम बच्चों को जीवन कौशल सिखाने की दिशा में सराहनीय प्रयास है।”

  • स्वाती एस भदौरिया (मिशन निदेशक, एनएचएम): “मानसिक स्वास्थ्य और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए इस तरह की पहल अत्यंत आवश्यक है।”

प्रदर्शनी में छात्रों के मॉडल्स की सराहना

कार्यशाला से पहले शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार विभिन्न मॉडल्स और गतिविधियों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने छात्रों की प्रतिभा और नवाचार की जमकर सराहना की। यह प्रदर्शनी बैगलेस-डे की गतिविधियों का एक जीवंत उदाहरण थी।

कार्यशाला में विभागीय सचिव रविनाथ रमन, मिशन निदेशक एनएचएम स्वाती एस भदौरिया, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, निदेशक मुकुल सती, अपर निदेशक गढ़वाल कंचन देवराड़ी, अपर निदेशक एससीईआरटी पदमेन्द्र सकलानी, एपीडी समग्र शिक्षा कुलदीप गैरोला सहित विभिन्न बोर्डों के अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी, और निजी स्कूलों के संचालक व प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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