ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन : देश की सबसे लंबी सुरंग आर-पार तैयार

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन

Rishikesh Karnaprayag rail line : उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक क्षण तब आया जब ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन परियोजना के तहत देश की सबसे लंबी 14.57 किलोमीटर रेल सुरंग का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक पूरा हुआ। यह उपलब्धि पौड़ी गढ़वाल के जनासू में हासिल की गई, जहां केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे। इस सुरंग, जिसे टी-8 और टी-8एम के नाम से जाना जाता है, के निर्माण में अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग किया गया, जो भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर लागू की गई।

सीएम धामी और रेल मंत्री मौजूद रहे

ब्रेकथ्रू समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना को उत्तराखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह रेल लाइन न केवल दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगी, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल विकास निगम और कार्यदायी संस्था लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) की टीम को बधाई दी। इस अवसर पर सांसद अनिल बलूनी, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, और देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी भी उपस्थित थे।

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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन क्यों खास?

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन उत्तराखंड में 125.20 किलोमीटर लंबी ब्रॉड गेज रेल परियोजना है, जिसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ना और चारधाम यात्रा (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ) को सुगम बनाना है। इस रेल लाइन की कुल लागत लगभग 16,216 करोड़ रुपये आंकी गई है और इसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस रेल लाइन का 104 किलोमीटर हिस्सा 17 सुरंगों से होकर गुजरेगा, जिसमें से 14.57 किमी लंबी सुरंग देश की सबसे लंबी रेल सुरंग है। माना जा रहा है कि वर्ष 2026 तक ऋषिकेश से कर्णप्रयाग और बद्रीनाथ तक का सफर क्रमशः 2 और 4 घंटे में पूरा होगा।

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भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग

देवप्रयाग के सौड़ से जनासू तक फैली 14.57 किलोमीटर लंबी यह सुरंग डबल-ट्यूब डिजाइन की है, जिसमें मुख्य रेल सुरंग (टी-8) और निकास सुरंग (टी-8एम) शामिल हैं। इसका निर्माण सिंगल-शील्ड रॉक टीबीएम तकनीक से किया गया, जो विश्व स्तर पर अपनी सटीकता और गति के लिए प्रसिद्ध है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि यह सुरंग भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण भौगोलिक क्षेत्रों में आधुनिक निर्माण तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इस सुरंग की खोदाई की औसत गति 413 मीटर प्रति माह रही, जो विश्व में दूसरी सबसे तेज सुरंग निर्माण गति है। इससे पहले केवल स्पेन में डबल-शील्ड टीबीएम से तेज खोदाई दर्ज की गई थी। इस उपलब्धि ने न केवल समय की बचत की, बल्कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम किया।

परियोजना की विशेषताएं

  • लंबाई: 125.20 किमी, जिसमें 104 किमी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा।
  • सुरंगें: कुल 17 सुरंगें, जिनमें 16 न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) और 1 टीबीएम तकनीक से बनी हैं।
  • स्टेशन: 12 स्टेशन — योगनगरी ऋषिकेश, शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर, और कर्णप्रयाग आदि।
  • पुल: 16 मुख्य रेलवे पुल और 12 सहायक सुरंगें।
  • यात्रा समय: ऋषिकेश से कर्णप्रयाग का 6 घंटे का सड़क मार्ग अब केवल 2 घंटे में तय होगा।

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पर्यटन और सामरिक महत्व

यह रेल लाइन चारधाम यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाएगी, जिससे देश-विदेश के तीर्थयात्रियों को लाभ होगा। इसके अलावा, यह परियोजना भारत-चीन सीमा के निकट सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह भारतीय सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों तक तेजी से पहुंचने में मदद करेगी। साथ ही, यह रेल लाइन गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों को जोड़कर स्थानीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देगी।

पर्यावरणीय और तकनीकी पहलू

पारंपरिक ड्रिल-एंड-ब्लास्ट विधि की तुलना में टीबीएम तकनीक ने पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाया। सुरंगों को वाटरप्रूफ बनाने और आपातकालीन निकास के लिए क्रॉस पैसेज का निर्माण भी किया गया है। परियोजना के तहत 80 प्रवेश द्वार बनाए गए हैं, जिनमें से 50 से अधिक तैयार हो चुके हैं।

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आगे की राह

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन और इसकी सबसे लंबी सुरंग का ब्रेकथ्रू न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि है। रेल विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार, परियोजना का 75% से अधिक काम पूरा हो चुका है। दिसंबर 2025 तक सभी सुरंगों और ट्रैक बिछाने का कार्य पूरा होने की उम्मीद है, और 2026 के अंत तक रेल संचालन शुरू हो सकता है। इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड में रेल कनेक्टिविटी में बदलाव आएगा।

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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