नेशनल हेराल्ड केस : सोनिया और राहुल के खिलाफ ईडी की चार्जशीट

नेशनल हेराल्ड केस सोनिया और राहुल के खिलाफ ईडी की चार्जशीट

नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोपपत्र (चार्जशीट) दायर किया है। इस चार्जशीट में दोनों नेताओं को मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य नेताओं के नाम भी आरोपपत्र में शामिल हैं। यह कार्रवाई नेशनल हेराल्ड अखबार और उससे जुड़ी कंपनियों, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL), से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के बाद की गई है। आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं।

ईडी की जांच और आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले की जांच 2014 में शुरू की थी, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। स्वामी ने आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने YIL के माध्यम से AJL की संपत्तियों को धोखाधड़ी से हथिया लिया। ईडी की जांच में सामने आया कि:

  • YIL ने AJL की 90 करोड़ रुपये की देनदारी को सिर्फ 50 लाख रुपये में हासिल किया, जिसके बदले AJL की संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त किया गया।
  • इन संपत्तियों का उपयोग अवैध रूप से धन कमाने के लिए किया गया, जिसमें दिल्ली के बहादुर शाह ज़फर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस जैसी प्रमुख संपत्तियां शामिल हैं।
  • ईडी ने 2023 में 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 90.2 करोड़ रुपये के AJL शेयरों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था, जिसकी पुष्टि 10 अप्रैल 2025 को हुई।

ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि इस मामले में 988 करोड़ रुपये की अपराध की आय मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए हासिल की गई। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 25 अप्रैल 2025 की तारीख तय की है।

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संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया

ईडी ने 11 अप्रैल 2025 को दिल्ली, मुंबई, और लखनऊ के संपत्ति रजिस्ट्रारों को नोटिस जारी कर AJL की कुर्क की गई संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की। इन संपत्तियों में दिल्ली का हेराल्ड हाउस, लखनऊ में बिशेश्वर नाथ मार्ग की इमारत, और मुंबई के बांद्रा में एक परिसर शामिल हैं। मुंबई के हेराल्ड हाउस में किराए पर मौजूद जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी नोटिस भेजा गया है, जिसमें सातवीं, आठवीं, और नौवीं मंजिल का किराया अब ईडी को जमा करने का निर्देश दिया गया है।

कांग्रेस का पक्ष

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया है। पार्टी का दावा है कि YIL एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जिसे चैरिटी के उद्देश्य से बनाया गया था। कांग्रेस के अनुसार, AJL के शेयरों का हस्तांतरण वैध था और इसमें कोई वित्तीय अनियमितता नहीं हुई। पार्टी ने यह भी कहा कि यह मामला बीजेपी की ओर से कांग्रेस नेताओं की छवि खराब करने की साजिश है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहले ईडी की कार्रवाइयों को “डराने की रणनीति” बताया था और कहा था कि वह इससे डरने वाले नहीं हैं।

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नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

नेशनल हेराल्ड एक ऐतिहासिक अखबार है, जिसकी स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा किया जाता था, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के निवेश शामिल थे। समय के साथ, AJL आर्थिक संकट में फंस गई और घाटे में चल रही थी। कांग्रेस पार्टी ने कंपनी को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जिसे बाद में 2010 में गठित यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (YIL) को हस्तांतरित कर दिया गया।

YIL में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी है, जबकि शेष हिस्सेदारी अन्य नेताओं जैसे मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी। आरोप है कि YIL ने मात्र 50 लाख रुपये में AJL की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया, जिसमें दिल्ली, मुंबई, और लखनऊ जैसे शहरों में प्रमुख संपत्तियां शामिल हैं। इस लेनदेन को मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा माना जा रहा है।

मामले का इतिहास

  • 2012: सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में याचिका दायर की।
  • जून 2014: कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी को समन जारी किया।
  • सितंबर 2015: ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच शुरू की।
  • दिसंबर 2015: सोनिया और राहुल को पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत दी।
  • 2016: सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी, लेकिन केस रद्द करने से इनकार किया।
  • 2022: ईडी ने सोनिया और राहुल से कई घंटों तक पूछताछ की।
  • नवंबर 2023: ईडी ने 751 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया।
  • अप्रैल 2025: ईडी ने चार्जशीट दायर की और संपत्तियों पर कब्जे की प्रक्रिया शुरू की।

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इस मामले का महत्व

नेशनल हेराल्ड केस न केवल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के लिए एक कानूनी चुनौती है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय अनियमितताओं, और राजनीतिक प्रतिशोध जैसे मुद्दों पर बहस को जन्म देता है। अगर कोर्ट में ईडी के आरोप साबित होते हैं, तो यह कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। दूसरी ओर, अगर कांग्रेस अपने दावों को साबित करने में सफल होती है, तो यह बीजेपी पर राजनीतिक दुरुपयोग के आरोपों को और मजबूत करेगा।

इस मामले का असर न केवल राजनीतिक क्षेत्र में, बल्कि उन व्यवसायों और व्यक्तियों पर भी पड़ सकता है जो AJL की संपत्तियों से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, किराएदारों को अब ईडी को किराया जमा करना होगा, जिससे उनकी वित्तीय योजना प्रभावित हो सकती है। साथ ही, इस मामले से जुड़े राजनीतिक विवाद से जनता के बीच कांग्रेस की छवि पर भी असर पड़ सकता है।

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