अल्मोड़ा : उत्तराखंड के अल्मोड़ा में बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी का मामला सामने आया है। लमगड़ा के अवकाश प्राप्त बुजुर्ग जीवन सिंह मेहता से 7.20 लाख रुपये ठग लिए गए। पुलिस ने इस मामले में दो शातिर साइबर अपराधियों को मध्य प्रदेश के खरगौन से गिरफ्तार किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देवेंद्र पींचा ने बताया कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहने और तुरंत पुलिस से संपर्क करने की जरूरत है।
ऐसे किया था डिजिटल अरेस्ट
13 जनवरी 2025 को अल्मोड़ा के लमगड़ा निवासी जीवन सिंह मेहता के पास एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और मेहता को मनी लॉन्ड्रिंग के एक फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी। 13 से 20 जनवरी तक फोन और वीडियो कॉल के जरिए ठगों ने बुजुर्ग को डराया और एक बैंक खाते में 7.20 लाख रुपये जमा करने को कहा। ठगों ने दावा किया कि जांच में निर्दोष पाए जाने पर यह राशि वापस कर दी जाएगी। डर के मारे मेहता ने बिना किसी से सलाह लिए ठगों द्वारा बताए खाते में राशि जमा कर दी।
एक महीने तक राशि वापस न आने पर मेहता ने ठग के नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नंबर बंद था। ठगी का अहसास होने पर उन्होंने 21 फरवरी को लमगड़ा थाने में शिकायत दर्ज की।
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मध्य प्रदेश से आरोपी पकड़े
अल्मोड़ा के एसएसपी देवेंद्र पींचा के निर्देश पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। एएसपी हरबंश सिंह, सीओ जीडी जोशी, थानाध्यक्ष राहुल राठी, एसओजी प्रभारी भुवन जोशी और साइबर सेल प्रभारी कुमकुम धानिक की अगुवाई में एक विशेष टीम गठित की गई। जांच में ठगी के तार मध्य प्रदेश से जुड़े होने का पता चला। पुलिस ने खरगौन पहुंचकर दो आरोपियों, संतोष गुर्जर (31) और कपिल सोनी (49), दोनों खरगौन निवासी, को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने इन ठगों के आठ बैंक खातों की पहचान की, जिनमें से 40 लाख रुपये से अधिक की राशि निकाली जा चुकी थी। बची हुई 2.5 लाख रुपये की राशि को पुलिस ने बैंकों से होल्ड करवाया है।
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गिरोह की तलाश जारी
अल्मोड़ा पुलिस को शक है कि इस साइबर ठगी के गिरोह में अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। गिरोह की पूरी चेन को ट्रैक करने के लिए जांच तेज कर दी गई है। पुलिस का मानना है कि जल्द ही अन्य संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। इस मामले का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को एसएसपी ने 10,000 रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है। इस टीम में उप निरीक्षक दिनेश परिहार, कांस्टेबल परवेज अली और साइबर सेल के कर्मचारी शामिल थे।
घबराएं नहीं, पुलिस से संपर्क करें
एसएसपी देवेंद्र पींचा ने पत्रकार वार्ता में कहा, “डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती। साइबर ठग फोन और वीडियो कॉल के जरिए लोगों को डराकर ठगी करते हैं। किसी भी संदिग्ध कॉल या धमकी मिलने पर तुरंत पुलिस को सूचित करें। पैसे ट्रांसफर करने से पहले सावधानी बरतें।” उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों को साइबर ठगी के प्रति जागरूक करें।
साइबर ठगी से बचने के लिए ध्यान दें
- अज्ञात नंबरों से आने वाली कॉल्स पर भरोसा न करें।
- सीबीआई या पुलिस अधिकारी बनकर कॉल करने वालों से सावधान रहें।
- किसी भी खाते में पैसे ट्रांसफर करने से पहले परिवार या पुलिस से सलाह लें।
- साइबर ठगी की शिकायत तुरंत नजदीकी थाने या साइबर सेल में दर्ज करें।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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