नई दिल्ली | 10 अप्रैल 2025 : 26/11 मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। इस ऐतिहासिक कदम ने न सिर्फ भारत की कूटनीतिक और कानूनी शक्ति को दर्शाया है, बल्कि यह 26/11 के शहीदों और पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। तहव्वुर राणा को आज एक विशेष विमान से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट लाया गया और उसे कड़ी सुरक्षा के बीच एनआईए मुख्यालय भेजा जा रहा है।
प्रत्यर्पण के बाद आगे क्या होगा? जानिए कानूनी प्रक्रिया
1. एनआईए हिरासत और पूछताछ
राणा से अब एनआईए लंबी और गहन पूछताछ करेगी, जिससे लश्कर-ISI नेटवर्क, फंडिंग चैनल्स और अन्य हमलों की योजनाओं का खुलासा हो सकता है।
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2. कोर्ट में पेशी
उसे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां एनआईए उसकी हिरासत बढ़ाने की मांग करेगी। उसके खिलाफ IPC की धारा 120B, 302, 121 और UAPA जैसी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा।
3. हाई-सिक्योरिटी जेल में बंदी
उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल या मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जा सकता है, जहां CCTV निगरानी और कमांडो सुरक्षा रहेगी। अमेरिकी कोर्ट की शर्तों के अनुसार उसे मानवाधिकारों का सम्मान मिलेगा।
4. मुकदमा और सजा
राणा पर दोष सिद्ध होने पर उसे आजीवन कारावास या फांसी की सजा हो सकती है। भारत सरकार इस मुकदमे को त्वरित गति से निपटाने की तैयारी में है।
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क्या मिलेगा 26/11 के पीड़ितों को न्याय?
तहव्वुर राणा का भारत आना इस बात का संकेत है कि भारत अब आतंकियों को पनाह नहीं, बल्कि न्याय के कटघरे में खड़ा कर रहा है। 26/11 जैसे भयावह हमले के पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और भारत लाया जाना सिर्फ एक व्यक्ति की सजा नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की जीत है। यह भारत की वैश्विक कूटनीति, जांच एजेंसियों की सतर्कता और आतंक के खिलाफ उसकी ज़ीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण है। आने वाले हफ्तों में यह मामला देश और दुनिया की सुर्खियों में रहेगा।
26/11 मुंबई हमला: भारत पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसकर ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस जैसे सार्वजनिक स्थलों पर हमला किया। इस चार दिन तक चले इस आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत हुई, जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी और 26 विदेशी नागरिक शामिल थे।
इस हमले में पकड़े गए एकमात्र आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई, लेकिन इस पूरे षड्यंत्र के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय चेहरे छिपे थे — जिनमें सबसे प्रमुख नाम था तहव्वुर हुसैन राणा।
तहव्वुर हुसैन राणा कौन है?
- जन्म: 12 फरवरी 1961, चिचावतनी, पंजाब, पाकिस्तान
- शिक्षा: मेडिकल ग्रेजुएट, पाकिस्तान आर्मी में डॉक्टर
- नागरिकता: कनाडाई
- व्यवसाय: शिकागो में ‘First World Immigration Services’ नामक फर्म का मालिक
राणा का पुराना दोस्त और हमले का मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली था। हेडली की मदद से राणा ने भारत में टारगेट्स की रेकी, फंडिंग और लॉजिस्टिक्स जैसे कार्यों में अहम भूमिका निभाई।
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राणा की भूमिका: कैसे बना आतंक का सूत्रधार?
राणा ने अपने इमिग्रेशन बिजनेस का इस्तेमाल कर हेडली को भारत में घुसने और टारगेट चिन्हित करने में मदद की। हेडली ने ताज होटल, नरीमन हाउस और शिवाजी टर्मिनस जैसी जगहों की वीडियो रिकॉर्डिंग कर लश्कर-ए-तैयबा को सौंपी थी।
राणा की करतूतें :
- हेडली को बिजनेस वीजा दिलाना
- ‘इमिग्रेशन लॉ सेंटर’ के नाम से दिल्ली, मुंबई, जयपुर, गोवा आदि शहरों में घुसपैठ कराना
- मुंबई के रेनेसां होटल में 11-21 नवंबर 2008 तक ठहरना
- लश्कर और ISI के आकाओं से संपर्क में रहना
अमेरिका में गिरफ्तारी और भारत प्रत्यर्पण
2009 में एफबीआई ने राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया था। 2011 में अमेरिकी अदालत ने उसे डेनमार्क में हमले की साजिश और आतंकी संगठनों को सहयोग के आरोप में दोषी पाया, लेकिन 26/11 मामले में बरी कर दिया। उसे 14 साल की सजा हुई, लेकिन कोविड के चलते 2020 में रिहा कर दिया गया।
- 2020: भारत ने नया प्रत्यर्पण अनुरोध दाखिल किया
- 2023: अमेरिकी कोर्ट ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दी
- फरवरी 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को राणा सौंपने की घोषणा की
- मार्च 2025: राणा की सुप्रीम कोर्ट याचिकाएं खारिज
- 7 अप्रैल 2025: अंतिम कानूनी बाधा हट गई
- 10 अप्रैल 2025: भारत लाया गया
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