वक्फ बिल 2024 : संसद में कौन भारी, किसमें कितना दम

वक्फ बिल 2024 संसद में कौन भारी, पीएम मोदी और ओवैसी

Waqf Amendment Bill : लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को फिर से पेश किया गया है। यह विधेयक पहले संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था, जहां इस पर गहन चर्चा हुई। अब इसे नए सिरे से सदन के पटल पर रखा गया है, और बहस के बाद इस पर मतदान होने की संभावना है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सुधार लाने के उद्देश्य से लाया गया है, लेकिन इसे लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। इस लेख में हम वक्फ संशोधन विधेयक के महत्व, संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष के संख्या बल, समर्थन करने वाले दल, और इसके पास होने के बाद संभावित प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वक्फ बिल पर कौन दल किसके साथ?

सत्तापक्ष (एनडीए) का समर्थन

-भाजपा: विधेयक के पक्ष में पूरी तरह एकजुट है। पार्टी का कहना है कि यह वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाएगा।
– JDU: नीतीश कुमार की पार्टी ने समर्थन का संकेत दिया है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। JDU ने बिल की समीक्षा के बाद फैसला लेने की बात कही है।
– TDP: चंद्रबाबू नायडू की पार्टी एनडीए की सहयोगी है और समर्थन दे रही है, हालांकि मुस्लिम समुदाय के प्रति सावधानी बरत रही है।
– LJP: चिराग पासवान की पार्टी भी सरकार के साथ है और विधेयक का समर्थन कर रही है।

एनडीए ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने और विधेयक के पक्ष में वोट करने का निर्देश दिया है।

विपक्ष का विरोध

– कांग्रेस: इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी मानते हुए विरोध कर रही है। पार्टी ने वॉकआउट की धमकी दी है।
AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है।
SP: अखिलेश यादव ने इसे मुस्लिम अधिकारों पर हमला करार दिया है।
TMC: ममता बनर्जी की पार्टी भी विरोध में है और इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास बता रही है।

विपक्षी दलों ने इसे रोकने के लिए एकजुट होने की कोशिश की है, लेकिन संख्या बल में कमी उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

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संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष का संख्या बल

लोकसभा में स्थिति

लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं, और विधेयक को पास करने के लिए 272 सांसदों का समर्थन चाहिए। वर्तमान में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 293 सांसद हैं, जो बहुमत से 21 अधिक है। इसमें भाजपा के 240 सांसद शामिल हैं, जबकि सहयोगी दलों जैसे जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के 12, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के 16, और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के 5 सांसद हैं।

विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के पास 233 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 99, समाजवादी पार्टी (SP) के 37, और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 29 सांसद शामिल हैं। संख्या बल के आधार पर एनडीए को लोकसभा में यह विधेयक पास कराने में कोई बड़ी चुनौती नहीं दिखती।

राज्यसभा में स्थिति

राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में 236 सदस्य ही हैं। विधेयक पास करने के लिए 119 वोट चाहिए। एनडीए के पास 115 सांसद हैं, जिसमें भाजपा के 98 शामिल हैं। इसके अलावा, 6 मनोनीत सांसद आमतौर पर सरकार के पक्ष में वोट करते हैं, जिससे एनडीए का आंकड़ा 121 तक पहुंच सकता है। यह बहुमत से थोड़ा ऊपर है। विपक्ष के पास राज्यसभा में 85 सांसद हैं, जिसमें कांग्रेस के 27 और इंडिया ब्लॉक के अन्य दलों के 58 सांसद शामिल हैं। हालांकि, राज्यसभा में स्थिति नाजुक है, लेकिन एनडीए के पास मामूली बढ़त है।

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वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या है?

वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक प्रस्तावित कानून है। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, दुरुपयोग को रोकना, और मुस्लिम समुदाय की महिलाओं व गरीब वर्गों को लाभ पहुंचाना है। इस विधेयक में 44 संशोधन प्रस्तावित हैं, जिनमें से 14 को जेपीसी ने मंजूरी दी है। प्रमुख बदलावों में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, संपत्तियों का केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण, और जिला कलेक्टरों को संपत्ति विवादों के निपटारे का अधिकार देना शामिल है।

हालांकि, विपक्ष इसे असंवैधानिक और मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी इसकी आलोचना की है, इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन बताया है। दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर उपयोग और प्रबंधन के लिए जरूरी है।

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वक्फ बिल पास होने की कितनी संभावना है?

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर संसद में गहमागहमी चरम पर है। एनडीए के पास लोकसभा में मजबूत संख्या बल और राज्यसभा में मामूली बढ़त इसे पास करने के लिए पर्याप्त है। लोकसभा में एनडीए का स्पष्ट बहुमत होने से विधेयक के पास होने की संभावना प्रबल है। 2 अप्रैल 2025 को सुबह 12 बजे से शुरू हुई बहस के बाद शाम तक मतदान हो सकता है। राज्यसभा में स्थिति थोड़ी जटिल है, लेकिन मनोनीत सांसदों और कुछ निर्दलीय सांसदों के समर्थन से एनडीए इसे पारित करा सकता है। विपक्ष के पास वॉकआउट या हंगामे के अलावा कोई ठोस रणनीति नहीं दिख रही।

विधेयक पास होने के बाद क्या होगा?

विपक्ष भले ही विरोध करे, लेकिन संख्या बल में कमी के कारण इसे रोक पाना मुश्किल होगा। विधेयक के पास होने के बाद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, हालांकि इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव लंबे समय तक चर्चा में रहेंगे।

1. वक्फ बोर्ड में बदलाव: गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों की नियुक्ति होगी, जिससे बोर्ड की संरचना में विविधता आएगी।
2. संपत्ति प्रबंधन: सभी वक्फ संपत्तियों का केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
3. विवाद निपटारा: जिला कलेक्टरों को संपत्ति विवादों को सुलझाने का अधिकार मिलेगा, जिससे वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित होंगी।
4. राजनीतिक प्रभाव: विपक्ष इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा बनाकर मुस्लिम समुदाय के बीच सरकार के खिलाफ माहौल बना सकता है।
5. कानूनी चुनौतियां: AIMPLB और अन्य संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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