उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आने का खतरा, वैज्ञानिकों ने चेताया

उत्तराखंड में बड़ा भूकंप आने का खतरा, वैज्ञानिकों ने चेताया

देहरादून : भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील उत्तराखंड में एक बार फिर बड़ा भूकंप आने की चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कुमाऊं के टनकपुर से देहरादून तक 250 किलोमीटर का भूभाग ऐसा है, जहां धरती सिकुड़ रही है। इसके कारण जमीन के नीचे भूकंपीय ऊर्जा जमा हो रही है, जो कभी भी 7 से 8 रिक्टर स्केल के विशाल भूकंप को जन्म दे सकती है। भूकंप के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील इस क्षेत्र में इतना बड़ा भूकंप आया तो भारी तबाही मच सकती है।

धरती की सिकुड़न बढ़ने से खतरा

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में ‘अंडरस्टैंडिंग हिमालयन अर्थक्वेक्स’ विषय पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर लगाए गए जीपीएस उपकरणों के माध्यम से यह डेटा इकट्ठा किया गया है। वाडिया संस्थान के निदेशक डा. विनीत गहलोत ने बताया कि हिमालय अपने जन्म के समय से ही उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर खिसक रहा है। इसकी औसत गति सालाना 40 मिलीमीटर है, लेकिन उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में टनकपुर से देहरादून तक यह गति 18 मिलीमीटर प्रतिवर्ष पाई गई है। वहीं, कुछ क्षेत्रों में यह गति घटकर महज 14 मिमी तक भी दर्ज की गई है, जो संकेत है कि यहां भूगर्भीय संकुचन की स्थिति बन रही है।

मुनस्यारी से मोहंड तक लॉकिंग जोन

वरिष्ठ भूवैज्ञानिक डा. आरजे पेरुमल ने कार्यशाला में बताया कि मुनस्यारी से देहरादून के मोहंड क्षेत्र तक करीब 80 किलोमीटर लंबा भूभाग सालाना औसतन 20 मिमी की दर से खिसक रहा है। यह पूरा क्षेत्र चार बड़े फाल्ट ज़ोन में विभाजित है, जो कि 10 से 15 किमी गहराई में स्थित हैं और 70 से 80 डिग्री की ढाल पर हैं। इस क्षेत्र को वैज्ञानिकों ने लॉकिंग ज़ोन करार दिया है, जिसका अर्थ है कि भूगर्भीय ऊर्जा संचित तो हो रही है, लेकिन बाहर निकल नहीं रही – जो किसी बड़े भूकंप की पृष्ठभूमि तैयार करती है।

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कहां ज्यादा खतरा, कहां कम

भूगर्भ में हो रहा यह संकुचन भविष्य में भूकंप के लिए ऊर्जा का भंडारण कर रहा है। धरती की सिकुड़न और भूकंपीय ऊर्जा का संचय एक गंभीर खतरे का संकेत है। डा. पेरुमल के अनुसार, कुछ फाल्ट ज़ोन की ढाल 40 से 45 डिग्री भी है, जहां गति सामान्य रूप से 40 मिमी तक है। इस जानकारी के आधार पर विशेषज्ञ मानते हैं कि ढाल जितनी अधिक होती है, वहां फाल्ट की गतिविधि धीमी होती है, और ऊर्जा संचित होकर बाहर नहीं निकलती, जिससे खतरा बढ़ जाता है।

उत्तराखंड किस जाेन में?

उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र का हिस्सा होने के कारण भूकंप जोन-4 और जोन-5 में आता है, जो सबसे अधिक संवेदनशील हैं। पिछले कुछ वर्षों में छोटे-मोटे भूकंप बार-बार आ रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि विशाल भूकंप का खतरा बना हुआ है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत ने बताया कि हिमालय अपनी उत्पत्ति के समय से उत्तर से दक्षिण की ओर खिसक रहा है। सामान्य तौर पर इसकी गति 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष है, लेकिन टनकपुर से देहरादून के बीच यह गति घटकर औसतन 18 मिलीमीटर प्रति वर्ष रह गई है। कुछ स्थानों पर यह गति 14 मिलीमीटर तक कम पाई गई है।

नेपाल के बाद अब उत्तराखंड में चिंता

वैज्ञानिकों ने नेपाल के भूकंपों को उदाहरण के रूप में पेश किया। नेपाल में हिमालयी भूभाग की गति 21 मिलीमीटर प्रति वर्ष थी, और वहां 1934 में 8 रिक्टर स्केल और 2015 में 7.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था। डॉ. पेरुमल ने कहा कि उत्तराखंड की स्थिति नेपाल से मिलती-जुलती है, जहां भूगर्भ में तनाव बढ़ रहा है। कुमाऊं मंडल में रामनगर क्षेत्र में 1334 और 1505 में 7 से 8 रिक्टर स्केल के भूकंप दर्ज किए गए थे। गढ़वाल में 1803 में 7.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था। तब से अब तक कोई बड़ा भूकंप नहीं आया, लेकिन भूगर्भ में तनाव की स्थिति बनी हुई है।

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भूकंप से बड़ा नुकसान रोकने के सुझाव

वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में भूकंप की संभावना को देखते हुए कुछ सुझाव दिए हैं। डॉ. विनीत गहलोत ने कहा, “हमें भूकंप के खतरे को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उत्तराखंड में भूकंपरोधी तैयारी और जागरूकता जरूरी है।”

  • भूकंपरोधी निर्माण: भवनों, स्कूलों, और अस्पतालों को भूकंपरोधी मानकों के अनुसार बनाया जाए।
  • जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को भूकंप से बचाव के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाए।
  • आपदा प्रबंधन: एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैयार रहें, और आपदा प्रबंधन योजनाओं को मजबूत किया जाए।
  • जीपीएस निगरानी: फॉल्ट क्षेत्रों की गति और तनाव को नियमित रूप से मॉनिटर किया जाए।

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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