उत्तराखंड में आंगनवाड़ी सहायिकाओं को 20 मई से नियुक्ति पत्र मिलेंगे

उत्तराखंड में आंगनवाड़ी सहायिकाओं को 20 मई से नियुक्ति पत्र मिलेंगे

देहरादून : उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास (WCD) विभाग ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और बाल विकास कार्यक्रमों को मजबूती देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विभाग की मंत्री रेखा आर्य ने समीक्षा बैठक में घोषणा की कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 7,000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को 20 मई से नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे।

12 जिलों की चयन सूची जारी

समीक्षा बैठक में मंत्री रेखा आर्य ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नियुक्ति प्रक्रिया का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि हरिद्वार को छोड़कर उत्तराखंड के 12 जिलों के लिए अंतिम चयन सूची जारी कर दी गई है। हरिद्वार जिले के लिए अनंतिम सूची इसी सप्ताह प्रकाशित होने की संभावना है। आर्य ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि चयन सूची के संबंध में आपत्तियों को शीघ्र आमंत्रित किया जाए और किसी भी शिकायत का समाधान निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाए।

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20 मई से नियुक्ति कार्यक्रम

मंत्री रेखा आर्य ने जोर देकर कहा कि 20 मई 2025 से नियुक्ति पत्र वितरण शुरू हो जाएगा, और इसके लिए जिलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह पहल न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करेगी, बल्कि आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में भी मदद करेगी।

मातृ और शिशु कल्याण पर जोर

बैठक में मंत्री ने मुख्यमंत्री मातृ एवं शिशु शुभ जीवन योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि गर्भधारण के बाद के 1,000 दिन महिलाओं और बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए इस योजना के अंतर्गत पोषण, स्वास्थ्य सेवाओं और वित्तीय सहायता का समुचित प्रावधान किया जाएगा। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजना को अंतिम रूप देकर जल्द से जल्द कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा, “यह योजना मातृ-शिशु स्वास्थ्य को मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगी।” 

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एकल महिला स्वरोजगार योजना में बदलाव

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना की समीक्षा भी बैठक का एक प्रमुख हिस्सा थी। इस योजना के तहत एकल महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए 1.5 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह पहल विधवाओं, तलाकशुदा, और अन्य एकल महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है। रेखा आर्य ने अधिकारियों को योजना में आवश्यक संशोधन करने और इसे कैबिनेट से जल्द पारित कराने के लिए त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “एकल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना हमारी प्राथमिकता है। यह योजना उन्हें न केवल रोजगार देगी, बल्कि सामाजिक सम्मान और आत्मविश्वास भी प्रदान करेगी।”

महिला कल्याण कोष और बहुउद्देशीय सहायता योजना

बैठक में महिला कल्याण कोष और मुख्यमंत्री महिला एवं बाल बहुउद्देशीय सहायता कोष योजना की भी समीक्षा की गई। इस योजना का वित्तपोषण आबकारी विभाग द्वारा वसूले गए उपकर से किया जाएगा और इसका उद्देश्य आपदा, दुर्घटना या अनाथता जैसी आपात परिस्थितियों में त्वरित सहायता प्रदान करना होगा। योजना के तहत 1 सप्ताह के भीतर 5,000 से लेकर एक निश्चित राशि तक की सहायता राशि पीड़ित को दी जाएगी। यह पहल आपातकालीन परिस्थितियों में प्रभावित परिवारों के लिए तत्काल राहत सुनिश्चित करेगी। रेखा आर्य ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजना के कार्यान्वयन को और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

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नंदा गौरा योजना में मिलेगा विस्तार

मंत्री आर्य ने नंदा गौरा योजना (NGY) को और अधिक लाभकारी बनाने की घोषणा करते हुए कहा कि वर्तमान में यह योजना 12वीं पास कर स्नातक में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को 51,000 रुपये की सहायता प्रदान करती है। जल्द ही इसमें कौशल आधारित पाठ्यक्रमों को भी शामिल किया जाएगा, जिससे लड़कियों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों का लाभ मिल सके। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि योजना में नए प्रावधानों को शामिल किया जाए और परिवर्तनों का अंतिम मसौदा समीक्षा के लिए यथाशीघ्र तैयार किया जाए। यह कदम लड़कियों की उच्च शिक्षा और कौशल विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल

उत्तराखंड सरकार ने महिला सशक्तिकरण और बाल विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति, मातृ-शिशु स्वास्थ्य योजनाएं, एकल महिला स्वरोजगार, और नंदा गौरा योजना जैसे कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं। ये पहल न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त कर रही हैं, बल्कि बच्चों के पोषण और शिक्षा को भी सुनिश्चित कर रही हैं।

रेखा आर्य ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड की हर महिला और बच्चा सशक्त और स्वस्थ हो। इन योजनाओं के माध्यम से हम न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी ला रहे हैं।”

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आंगनवाड़ी केंद्रों का महत्व

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केंद्र मातृ-शिशु स्वास्थ्य और पोषण का आधार हैं। ये केंद्र गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, और 0-6 वर्ष के बच्चों को पोषण, टीकाकरण, और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करते हैं। 7,000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नियुक्ति से इन केंद्रों की कार्यक्षमता में और सुधार होगा। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करने और महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान करने में भी सहायक होगी।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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