नई दिल्ली (सुभाष भट्ट) : अगर आप पुरानी कार खरीदने का मन बना रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। चाहे आपका बजट कम हो, या फिर EMI का दबाव कम रखना हो – यूज़्ड कार लेना एक स्मार्ट डिसीजन हो सकता है। लेकिन अगर जांच-पड़ताल नहीं की, तो यह सौदा ‘बे-कार’ सौदा भी बन सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं वो 5 अहम बातें जो आपको पुरानी कार खरीदने से पहले जरूर जांचनी चाहिए।
1. टायर कहीं ‘कायर’ तो नहीं? उम्र ऐसे जानें
कार की बाहरी चमक-दमक पर न जाएं, बल्कि उसके टायरों की स्थिति पर ध्यान दें। टायर किसी भी वाहन का आधार होते हैं, और उनकी खराब हालत भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती है।
- DOT कोड की जांच: टायर की साइडवॉल पर लिखा DOT (Department of Transportation) कोड टायर की निर्माण तारीख बताता है। इसके आखिरी चार अंक महत्वपूर्ण हैं—पहले दो अंक निर्माण का सप्ताह और अगले दो अंक वर्ष दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए, “2118” का मतलब है कि टायर 2018 के 21वें सप्ताह में बना था।
- कितना पुराना सही: अगर टायर 5 साल से पुराना है, तो उसे बदलने की जरूरत है, क्योंकि पुराने टायर सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। नए टायर लगवाने में आपके 10,000 से 30,000 रुपये तक खर्च हो सकते हैं, इसलिए इसको ध्यान में रखें।
- टिप: टायरों पर असमान घिसाव या दरारें न हों। अगर टायर बहुत पुराना है, तो डीलर से नया टायर लगवाने की बात करें।
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2. बोनट और बूट स्पेस में छिपा है गाड़ी का असली सच
गाड़ी का बाहरी हिस्सा भले ही नया और चमकदार दिखे, लेकिन बोनट और बूट स्पेस की जांच से गाड़ी का असली इतिहास सामने आता है।
- एक्सीडेंट का इतिहास: बोनट और बूट स्पेस के जॉइंट्स, वेल्डिंग के निशान, या पेंट की अतिरिक्त परतें इस बात का संकेत हो सकती हैं कि गाड़ी का कोई दुर्घटना हुई थी। अगर बोनट के नीचे पेंट की परतें असमान हों या वेल्डिंग असामान्य लगे, तो यह गाड़ी के मरम्मत के इतिहास को दर्शाता है।
- इंजन की स्थिति: बोनट खोलकर इंजन और उसके आसपास के हिस्सों की जांच करें। तेल रिसाव, जंग, या असामान्य ध्वनियां गाड़ी की खराब स्थिति का संकेत हो सकती हैं।
- टिप: किसी अनुभवी मैकेनिक की मदद लें और बोनट व बूट स्पेस की हर छोटी-बड़ी डिटेल की जांच करें।
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3. OBD स्कैनर से करें गाड़ी की पूरी जांच
आधुनिक कारों में OBD (On-Board Diagnostics) सिस्टम होता है, जो गाड़ी की हेल्थ रिपोर्ट की तरह काम करता है। यह सिस्टम गाड़ी के विभिन्न हिस्सों की स्थिति को स्कैन करता है और संभावित समस्याओं को उजागर करता है।
- एरर कोड्स: यह गाड़ी में मौजूद किसी तकनीकी खराबी को दर्शाता है।
- बैटरी स्टेटस: बैटरी की स्थिति और उसकी उम्र की जानकारी देता है।
- छेड़छाड़ की जानकारी: अगर गाड़ी के किसी हिस्से में बदलाव या मरम्मत की गई है, तो यह पता चल सकता है।
- एक्सीडेंट का इतिहास: कुछ मामलों में OBD स्कैनर एयरबैग या अन्य सिस्टम के डेटा से दुर्घटना की जानकारी दे सकता है।
- PDI (Pre-Delivery Inspection): 2,000 से 2,500 रुपये की लागत से PDI करवाएं। यह छोटा-सा खर्च आपकी लाखों रुपये की गाड़ी को बेकार होने से बचा सकता है।
- टिप: OBD स्कैन के लिए किसी विश्वसनीय मैकेनिक या PDI एजेंसी से संपर्क करें। कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स PDI सेवाएं प्रदान करते हैं।
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4. क्या गाड़ी कभी बाढ़ में डूबी थी?
बाढ़ में डूबी गाड़ियां अक्सर सस्ते दामों पर बेची जाती हैं, लेकिन ये लंबे समय तक विश्वसनीय नहीं होतीं। ऐसी गाड़ियां इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजन, और अन्य हिस्सों में खराबी का कारण बन सकती हैं।
- सीटों के नीचे मिट्टी या जंग: यह पानी में डूबने का संकेत हो सकता है।
- अजीब गंध: बोनट या केबिन से चिपचिपी या सड़न की गंध पानी के घुसने का लक्षण है।
- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में खराबी: गियर, पावर विंडो, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में अनियमितता बाढ़ प्रभावित गाड़ी की पहचान हो सकती है।
- टिप: अगर आपको बाढ़ प्रभावित गाड़ी का संदेह हो, तो तुरंत उस डील को छोड़ दें। ऐसी गाड़ियां लंबे समय में महंगी मरम्मत का कारण बन सकती हैं।
5. अनजान की बजाय भरोसेमंद प्लेटफॉर्म से लेना बेहतर
पुरानी कार खरीदते समय हमेशा सर्टिफाइड प्री-ओन्ड कार्स को प्राथमिकता दें। कई विश्वसनीय प्लेटफॉर्म्स सर्टिफाइड कारें बेचते हैं, जो वारंटी, सर्विस हिस्ट्री, और पारदर्शी दस्तावेजों के साथ आती हैं।
- Maruti True Value: मारुति सुजुकी की सर्टिफाइड कारें, जो 376-पॉइंट चेकलिस्ट के साथ आती हैं।
- Mahindra First Choice: महिंद्रा और अन्य ब्रांड्स की सर्टिफाइड कारें।
- Cars24: डिजिटल प्लेटफॉर्म जो 150-पॉइंट इंस्पेक्शन और रिटर्न पॉलिसी प्रदान करता है।
- Spinny: 200-पॉइंट क्वालिटी चेक और 5-दिन की मनी-बैक गारंटी।
- OLX Autos: सर्टिफाइड कारें और पारदर्शी दस्तावेज।
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जरूरी दस्तावेजों की जांच
- RC (Registration Certificate): कार का मालिकाना हक और ट्रांसफर स्टेटस।
- इंश्योरेंस पेपर: वैध इंश्योरेंस और नो-क्लेम बोनस की जानकारी।
- सर्विस हिस्ट्री: नियमित सर्विसिंग और मरम्मत का रिकॉर्ड।
- इंजन और चेसिस नंबर: ये नंबर RC और इंश्योरेंस से मिलान करें।
- टिप: अगर आप किसी व्यक्ति से कार खरीद रहे हैं, तो दस्तावेजों की जांच के लिए किसी विशेषज्ञ की मदद लें।
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पुरानी कार खरीदने के फायदे और जोखिम
फायदे
- कम लागत: नई कार की तुलना में पुरानी कार 30-50% सस्ती हो सकती है।
- कम EMI: लोन लेने पर EMI का बोझ कम होता है।
- कम डेप्रिसिएशन: पुरानी कारों का मूल्यह्रास कम होता है, जिससे रीसेल वैल्यू स्थिर रहती है।
- वेरिएंट उपलब्धता: पुराने मॉडल्स में उच्च वेरिएंट्स सस्ते दामों पर मिल सकते हैं।
जोखिम
- छिपी हुई खराबी: एक्सीडेंट या बाढ़ प्रभावित गाड़ियां लंबे समय में परेशानी दे सकती हैं।
- अधूरे दस्तावेज: RC, इंश्योरेंस, या सर्विस हिस्ट्री में कमी कानूनी समस्याएं पैदा कर सकती है।
- उच्च रखरखाव लागत: पुरानी गाड़ियों में मरम्मत और रखरखाव का खर्च अधिक हो सकता है।
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विशेषज्ञों की सलाह
ऑटोमोटिव विशेषज्ञ अमित शर्मा ने कहा, “पुरानी कार खरीदना एक स्मार्ट निर्णय हो सकता है, बशर्ते आप पूरी जांच करें। OBD स्कैन और PDI जैसी सुविधाएं आजकल आसानी से उपलब्ध हैं, जो गाड़ी की वास्तविक स्थिति को सामने लाती हैं।” देहरादून के कार डीलर संजय मेहरा ने सुझाव दिया, “हमेशा सर्टिफाइड डीलरों से कार खरीदनी चाहिए। यह न केवल गाड़ी की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है, बल्कि आपको वारंटी और रिटर्न पॉलिसी जैसी सुविधाएं भी देता है।”
भारत में पुरानी कारों का बाजार
भारत में पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। FADA (Federation of Automobile Dealers Associations) के अनुसार, 2024 में भारत में 40 लाख से अधिक प्री-ओन्ड कारें बिकीं, और यह आंकड़ा 2025 में 50 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार ने भी व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी 2021 के तहत पुरानी कारों की बिक्री को विनियमित करने के लिए कदम उठाए हैं, जिससे सर्टिफाइड और रजिस्टर्ड डीलरों को प्राथमिकता मिल रही है। प्लेटफॉर्म्स सर्टिफाइड कारें और पारदर्शी दस्तावेज प्रदान करते हैं, जो आपकी खरीदारी को सुरक्षित बनाते हैं।
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