Electric Vehicle price drop in India : भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को लेकर खुशखबरी सामने आई है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। गडकरी ने कहा कि अगले 6 महीने में इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें पेट्रोल-डीजल कारों के बराबर हो जाएंगी। गडकरी ने यह बयान 32वें कन्वर्जेंस इंडिया और 10वें स्मार्ट सिटीज इंडिया एक्सपो को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि बैटरी निर्माण की लागत में कमी, सरकार की नीतियां और बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से इलेक्ट्रिक कारों की कीमतों में तेजी से गिरावट आएगी। इससे भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
गडकरी बोले- EV की कीमतें पेट्रोल कारों जितनी होंगी”
32वें कन्वर्जेंस इंडिया एक्सपो में बोलते हुए मंत्री गडकरी ने कहा,
“हमारा लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों को पेट्रोल-डीजल वाहनों के बराबर लाना है। अगले 6 महीने में बैटरी की लागत में कमी आएगी, जिससे EVs की कीमतों में 30-40% तक की गिरावट होगी।”
गडकरी ने आगे कहा कि बैटरी की लागत में कमी के साथ-साथ सरकार के प्रोत्साहन और EV निर्माण में स्वदेशी तकनीक के उपयोग से इलेक्ट्रिक कारों की कीमतों में बड़ा बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी बैटरी उत्पादन के चलते EVs सस्ते होंगे और लोग पेट्रोल कारों की जगह इलेक्ट्रिक कारों को प्राथमिकता देंगे।
ऑटोमाबाइल बाजार पर क्या होगा असर?
कंज्यूमर्स को फायदा: EVs की कीमतों में कमी से बिक्री बढ़ेगी। लो-मेंटेनेंस और कम फ्यूल कॉस्ट से फायदा।
पेट्रोल-डीजल पर दबाव: कम दामों में EVs आने से पारंपरिक कारों की बिक्री घट सकती है। फ्यूल की मांग में कमी आएगी।
नौकरियों का सृजन: बैटरी प्लांट्स और EV मैन्युफैक्चरिंग से 5 लाख नए रोजगार। भारत ग्लोबल EV विनिर्माण हब बन सकता है।
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EVs की कीमतें क्यों गिरेंगी?
- बैटरी की लागत में कमी: भारत में लिथियम-आयन बैटरी का स्थानीय उत्पादन शुरू हो गया है। टेस्ला, रिलायंस और ओला ने बैटरी निर्माण में निवेश किया है। बैटरी की लागत कुल EV लागत का 40% तक होती है, ऐसे में कीमतों में गिरावट संभव है।
- जीएसटी में छूट: EVs पर वर्तमान में 5% GST लागू है, जबकि पेट्रोल और डीजल वाहनों पर 28% GST लगता है। सरकार EVs पर GST को पूरी तरह समाप्त करने या कम करने पर विचार कर रही है।
- सब्सिडी का विस्तार: FAME-II स्कीम के तहत मिलने वाली सब्सिडी को बढ़ाने की मांग उद्योग जगत कर रहा है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में गिरावट होगी।
- प्रतिस्पर्धा बढ़ना: Tata, Mahindra, Ola, Ather जैसी कंपनियों के नए मॉडल्स से बाजार में प्राइस वॉर शुरू होगा। इससे ग्राहकों को कम कीमत पर बेहतर विकल्प मिलेंगे।
- तकनीकी विकास: नई बैटरी टेक्नोलॉजी, जैसे सॉलिड-स्टेट बैटरी, की लागत मौजूदा लिथियम-आयन बैटरियों से कम होगी। भारतीय कंपनियों ने इस क्षेत्र में शोध और निवेश शुरू कर दिया है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
वर्तमान EV मॉडल | कीमत (रुपये) | माइलेज |
---|---|---|
टाटा नेक्सन EV | ₹14.74 लाख से शुरू | 400 किमी/चार्ज |
MG ZS EV | ₹23.38 लाख से शुरू | 419 किमी/चार्ज |
ओला S1 Pro | ₹1.47 लाख से शुरू | 181 किमी/चार्ज |
टाटा टियागो EV | ₹8.69 लाख से शुरू | 315 किमी/चार्ज |
- 2023 में EV सेल्स: 15 लाख यूनिट पार
- 2024 का लक्ष्य: 25 लाख यूनिट
- EV और पेट्रोल वाहनों के बीच कीमत अंतर: 20% – 25%
उद्योग और एक्सपर्ट की राय
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि स्थानीय स्तर पर बैटरी के निर्माण से अगले दो वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें पेट्रोल-डीजल वाहनों के बराबर हो जाएंगी। वहीं सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने कहा कि बैटरी स्वदेशीकरण और मजबूत सप्लाई चेन के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम होगी। ऑटो एक्सपर्ट्स का मानना है कि कीमतों में कमी के लिए सिर्फ बैटरी निर्माण ही नहीं, बल्कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी जरूरी है। अगर देशभर में चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाई जाती है तो उपभोक्ताओं का भरोसा EVs पर और मजबूत होगा।
सरकार की EV पॉलिसी
सरकार ने 2030 तक देश में 30% वाहनों को इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए ऑटो और बैटरी निर्माताओं को ₹25,938 करोड़ का प्रोत्साहन देने की योजना है। इसके अलावा, सरकार ने 2025 तक देशभर में 1 लाख चार्जिंग पॉइंट्स लगाने का भी लक्ष्य रखा है। सरकार की योजना ग्रीन हाइड्रोजन को भी बढ़ावा देने की है। गडकरी ने कहा कि भारी वाहनों में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से लॉजिस्टिक्स और माल ढुलाई की लागत में कमी आएगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने का दायरा और बड़ा होगा।
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चुनौतियां भी कम नहीं
नितिन गडकरी का बयान भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अगर सरकार और उद्योग मिलकर EVs को सस्ता और एक्सेसिबल बनाते हैं, तो 2030 तक भारत वैश्विक EV हब बन सकता है। हालांकि, इसके लिए चार्जिंग नेटवर्क और जागरूकता अभियानों पर भी तेजी से काम करना होगा।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: अभी देश में केवल 12,000 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में चार्जिंग नेटवर्क की कमी।
बैटरी रिसाइक्लिंग: लिथियम बैटरियों के कचरे का सही निस्तारण जरूरी। सरकार इसके लिए नई नीति बना रही है।
उपभोक्ता का भरोसा: रेंज एंग्जाइटी और सर्विसिंग को लेकर डर। कंपनियों को लंबी वारंटी और बेहतर सर्विस नेटवर्क देना होगा।
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