जश्न ए बचपन : रचनात्मक शिक्षक मंडल की 5 दिवसीय कार्यशाला शुरू, पहले दिन हुआ ये…

जश्न ए बचपन : रचनात्मक शिक्षक मंडल की 5 दिवसीय कार्यशाला शुरू, पहले दिन हुआ ये...

ढेला कार्यशाला का पहला दिन …

आयशा कौर 12वीं कक्षा, नानकमत्ता पब्लिक स्कूल
ढेला, रामनगर : हम जानते ही हैं कि जब हम अपनी बातों को यूं ही बयां नहीं कर पाते, तो हमारे पास और भी कई माध्यम रहते हैं अपनी बातों को एक्सप्रेस करने के लिए। यानी कि हम शायरी लिख सकते हैं, हम आर्टिकल लिख सकते हैं, हम संगीत के जरिए अपनी बात को रख सकते हैं, हम चित्र के जरिए अपनी बात को रख सकते हैं और हमारे पास एक और माध्यम है, जिससे हम बहुत बेहतरीन तरीके से अपनी बातों को, अपने इतिहास को, हो रहे गुनाहों को, खुशियों को, ग़मों को साझा करते हैं – और वह माध्यम है थिएटर। थिएटर के जरिए, यानी अभिनय करके, हम अपने विचारों को दूसरों तक बहुत शीतलता से पहुंचा पाते हैं।

50 बच्चों का खास जमावड़ा

आपको भी लग रहा होगा कि मैं इसके बारे में क्यों कह रही हूं? तो इसलिए क्योंकि हम लगभग 50 साथी – और रामनगर के इलाके ढेला के साथी और कुछ शिक्षक साथी – एक थिएटर वर्कशॉप में जुड़े, और वह थिएटर वर्कशॉप नवेंदु जी के द्वारा राजकीय इंटर कॉलेज ढेला, रामनगर, नैनीताल में कराई जा रही है। हमें अभिनय का असली मतलब समझाने और अभिनय को कैसे हम अपने अंदर समेट सकें, यह बताने हमारे साथ जुड़े हैं धनंजय जी, जो कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक्स-प्रेसिडेंट रहे हैं। और वे अपने साथियों – अंतरिक्ष, अर्शी और सौम्या – के साथ यहां मौजूद हुए, जिन्होंने हमें सुबह की आइस-ब्रेकिंग एक्सरसाइज करवाई और साथ में गुड लिस्नर और स्पीकर बनने के लिए हमें गेम्स और एक्टिविटीज करवाईं।

हर इंसान में छिपा है कलाकार

हम सभी के लिए यह अनुभव इतना भी अलग नहीं था, जितना हम सोचते हैं, क्योंकि अभिनय तो सभी करते हैं। अभिनय तो सभी के अंदर है। एक छोटा बच्चा तब से अभिनय सीख जाता है, जब वह स्कूल जाने लगता है और तबीयत खराब होने का बहाना बना लेता है। एक शिक्षक जब पढ़ाते समय हमारी इमेजिनेशन को हमारे हाथों में थमा देता है – उससे बेहतर अभिनय कौन कर सकता है? और खासकर जब डॉक्टर बहुत सहजता से हमारा इलाज करता है और अपने एक्सप्रेशंस को बहुत मज़ाकिया तौर पर हमारे सामने रखकर हमारे दर्द और दुखों को भुला देता है – तो यह भी तो अभिनय हुआ।

सीखने का अद्भुत तरीका

समय बहुत जल्दी बीतता गया और हमारे 5 दिन के थिएटर वर्कशॉप का शुभारंभ बोर्ड सचिव वी.पी. सीमल्टी जी ने किया, जो कि बहुत विनम्र व्यक्ति हैं और जिनका स्वभाव बहुत शालीन है। इसके बाद हमने कोलकाता से आए प्रोनोवेश जी और उनकी साथी टुम्पा जी के द्वारा कला को एक अद्भुत तरीके से सीखा – और केवल सीखा ही नहीं, हमने अपने अनुभव की एक किताब भी बनाई, वह भी केवल एक चार्ट पेपर और धागे के जरिए।

संगीत के स्वर 

इसके बाद… आप जानते ही हैं कि हम कोई भी कार्यक्रम की शुरुआत एक संगीत के जरिए करते हैं और संगीत के जरिए ही हम उस कार्यक्रम को ठहरते हैं। तो बस, हमने और हमारे ढेला के साथियों ने गीत गाए और पहले दिन की समाप्ति के साथ अगले दिन के लिए बहुत ज़्यादा उमंग साथियों ने अपने अंदर समेटी…

(यह रिपोर्ट कार्यशाला में शामिल आयशा कौर ने लिखी है, जो नानकमत्ता पब्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं।)

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