RBI की चेतावनी : होम लोन में भेदभाव बंद करें बैंक, अब ‘मुंहदेखी पंचायत’ नहीं चलेगी!

RBI की चेतावनी : होम लोन में भेदभाव बंद करें बैंक, अब 'मुंहदेखी पंचायत' नहीं चलेगी!

नई दिल्ली (सुभाष भट्ट) : अगर आपने और आपके दोस्त ने एक जैसी सैलरी और क्रेडिट स्कोर के साथ होम लोन लिया है, लेकिन आपके ब्याज दरें अलग-अलग हैं—तो हो जाइए सतर्क! भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को स्पष्ट चेतावनी दी है कि होम लोन में भेदभाव बंद करें, ऐसी भेदभावपूर्ण प्रथाएं अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। RBI ने इसे “मुंहदेखी पंचायत” की संज्ञा दी और तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया है।

क्या है पूरा मामला?

आरबीआई ने हाल ही में पाया कि कुछ बैंक और एनबीएफसी एक जैसी आर्थिक प्रोफाइल वाले ग्राहकों से अलग-अलग होम लोन ब्याज दरें वसूल रहे हैं। यह न केवल पारदर्शिता के खिलाफ है, बल्कि ग्राहकों के साथ अन्याय भी है। RBI ने बैंकों को तत्काल प्रभाव से ऐसी प्रथाओं को बंद करने का निर्देश दिया। इस चेतावनी का उद्देश्य ग्राहकों को निष्पक्ष और समान व्यवहार सुनिश्चित करना है, ताकि होम लोन लेने वाले लोग बिना किसी भेदभाव के उचित ब्याज दरों का लाभ उठा सकें।

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भेदभाव के तरीके: कैसे ठगे जा रहे हैं ग्राहक?

  1. ग्राहक प्रोफाइलिंग: बैंक ग्राहकों की नौकरी, कंपनी, लोन हिस्ट्री, या रिलेशनशिप मैनेजमेंट के आधार पर ब्याज दरें तय करते हैं। उदाहरण के लिए, एक ही सैलरी और क्रेडिट स्कोर वाले दो लोगों में से सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति को 7.85% की दर मिल सकती है, जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारी को 8.5% या उससे अधिक दर पर लोन दिया जा सकता है। कुछ बैंकों में प्रसिद्ध कंपनियों या MNCs में काम करने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाती है, जिसके कारण अन्य ग्राहकों को उच्च ब्याज दरें चुकानी पड़ती हैं।

  2. नए बनाम पुराने ग्राहक: नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बैंक अक्सर कम ब्याज दरें ऑफर करते हैं, जैसे 7.85% से 8%। वहीं, पुराने ग्राहकों को 8.5% या उससे अधिक दरों पर लोन चुकाना पड़ता है, भले ही उनकी वित्तीय प्रोफाइल समान हो। यह प्रथा विशेष रूप से उन ग्राहकों के साथ होती है, जिन्होंने पहले से ही लोन ले रखा है और वे रिपो रेट कट का लाभ नहीं उठा पाते।

  3. लोन एजेंट और ब्रोकर की मनमर्जी: कुछ मामलों में, लोन एजेंट्स या ब्रोकर अपने कमीशन को बढ़ाने के लिए ग्राहकों से उच्च ब्याज दरें वसूलते हैं। वे ग्राहकों को कम ब्याज दरों के विकल्पों के बारे में सूचित नहीं करते।

  4. अन्य कारक: लोन राशि, प्रॉपर्टी का प्रकार, और लोन की अवधि भी ब्याज दरों को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, NRI होम लोन या प्लॉट लोन की ब्याज दरें सामान्य होम लोन से अधिक होती हैं।

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आरबीआई ने क्या निर्देश दिए?

  1. पारदर्शी नीतियां: बैंकों को स्पष्ट करना होगा कि ब्याज दरें कैसे और किन आधारों पर तय की जा रही हैं। ग्राहकों को लोन स्वीकृति पत्र में सभी शर्तें और ब्याज दरों की जानकारी साफ-साफ दी जानी चाहिए। ब्याज दरों में किसी भी बदलाव की सूचना ग्राहकों को समय पर दी जानी चाहिए, खासकर जब RBI द्वारा रिपो रेट में कमी की जाती है।

  2. भेदभाव पर रोक: एक जैसी वित्तीय प्रोफाइल (सैलरी, क्रेडिट स्कोर, आदि) वाले ग्राहकों को समान ब्याज दरें दी जानी चाहिए। बिना उचित कारण के भेदभावपूर्ण दरें लागू करना अब स्वीकार्य नहीं होगा।

  3. ग्राहक जागरूकता: बैंकों को ग्राहकों को लोन की शर्तों, ब्याज दरों, और EMI के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करनी होगी। ग्राहकों को उनके क्रेडिट स्कोर के आधार पर उपलब्ध सर्वोत्तम दरों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।

  4. जुर्माना और अनुपालन: RBI ने बैंकों को चेतावनी दी है कि इन निर्देशों का पालन न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जुर्माना और नियामक उपाय शामिल हो सकते हैं।

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ग्राहक क्या कर सकते हैं?

  1. लोन स्टेटमेंट की जांच करें: अपने होम लोन स्टेटमेंट की नियमित जांच करें। अगर RBI ने रिपो रेट में कमी की है (जैसे कि 7 फरवरी 2025 को 6.25% पर), लेकिन आपकी EMI या ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हुआ, तो अपने बैंक से संपर्क करें। उदाहरण के लिए, 50 लाख रुपये के होम लोन पर ब्याज दर 8.75% से घटकर 8.5% होने पर 20 साल की अवधि में EMI में लगभग 795 रुपये प्रति माह की कमी हो सकती है।

  2. क्रेडिट स्कोर पर नजर रखें: CIBIL स्कोर 750 या उससे अधिक होने पर आप कम ब्याज दरों के लिए पात्र हो सकते हैं। अगर आपका स्कोर 730 से ऊपर है, तो बैंक से ब्याज दर कम करने की मांग करें। CIBIL स्कोर 900 तक नहीं जाता, क्योंकि कोई भी वित्तीय प्रोफाइल “परफेक्ट” नहीं होती। 850-890 का स्कोर भी उत्कृष्ट माना जाता है, और यह आपको सर्वोत्तम ब्याज दरें दिला सकता है।

  3. लोन ट्रांसफर का विकल्प: अगर आपका मौजूदा बैंक उच्च ब्याज दर वसूल रहा है, तो लोन बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनें। कई बैंक, जैसे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, और बैंक ऑफ महाराष्ट्र, 7.85% से शुरू होने वाली ब्याज दरें ऑफर कर रहे हैं। लोन ट्रांसफर से पहले प्रोसेसिंग फीस और अन्य शुल्कों की तुलना करें, क्योंकि यह आपकी बचत को प्रभावित कर सकता है।

  4. वित्तीय सलाहकार से परामर्श: लोन री-निगोशिएशन या बैलेंस ट्रांसफर के लिए किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। यह आपको हजारों रुपये की बचत करा सकता है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Paisabazaar, BankBazaar, या MyMoneyMantra का उपयोग करके विभिन्न बैंकों की ब्याज दरों की तुलना करें।

  5. लोन एजेंट्स से सावधान: अगर आप किसी लोन एजेंट या ब्रोकर के माध्यम से लोन ले रहे हैं, तो उनकी पेशकश की गई ब्याज दरों की जांच करें। कुछ एजेंट्स कमीशन के लिए उच्च दरें लागू कर सकते हैं।

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क्या है CIBIL स्कोर और क्यों 900 नहीं मिलता?

  • स्कोर रेंज: 300–900
  • 750+ स्कोर को अच्छा माना जाता है
  • परफेक्ट 900 स्कोर मिलना लगभग असंभव है क्योंकि स्कोरिंग एल्गोरिद्म व्यवहारों को संतुलित आंकता है।
  • अधिकतम स्कोर आमतौर पर 850–890 तक ही जाता है, चाहे आप कितने भी जिम्मेदार क्यों न हों।

CIBIL स्कोर सुधारने के तरीके

  • समय पर EMI और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करें।
  • क्रेडिट उपयोग अनुपात (Credit Utilization Ratio) को 30% से कम रखें।
  • सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड लेकर स्कोर में सुधार करें।

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