लखनऊ में परशुराम जन्मोत्सव : भजन संध्या में पर्वतीय महासभा की भागीदारी

लखनऊ में परशुराम जन्मोत्सव भजन संध्या में पर्वतीय सभा की भागीदारी

लखनऊ : लखनऊ कैंट के कृष्ण नगर स्थित सहसोवीर मंदिर में अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम जन्मोत्सव का आयोजन हुआ। इस पावन अवसर और मंदिर निर्माण की खुशी में एक भव्य सुंदर कांड पाठ एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रभु परशुराम सेवा समिति और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुआ, जिसमें क्षेत्रीय श्रद्धालुओं और गणमान्य अतिथियों ने भारी संख्या में भाग लिया। भारतीय पर्वतीय महासभा के अध्यक्ष अनुपम भंडारी भी आयोजन में शामिल हुए।

महंत दिव्या गिरी ने की आरती

सहसोवीर मंदिर की महंत दिव्या गिरी जी ने भगवान परशुराम की आरती उतारी और उन्हें भोग अर्पण कर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया। उनके नेतृत्व में पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक क्रियाकलाप विधिपूर्वक संपन्न हुए। भव्य भजन संध्या में कलाकारों ने श्रीरामचरितमानस, हनुमान चालीसा और भगवान परशुराम जी की स्तुतियों से कार्यक्रम को भक्तिरस में डुबो दिया। श्रद्धालुओं ने तालियों के साथ भजनों का स्वागत किया और पूरे माहौल को संगीतमय बना दिया।

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धार्मिक आयोजन में जुटे सैकड़ों श्रद्धालु

इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक साथ बैठकर सुंदर कांड का सामूहिक पाठ किया और संगीतमय भजन संध्या का आनंद लिया। भजनों की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। अतिथियों ने भगवान परशुराम की आराधना में भाग लिया और इस सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन की सराहना की। कार्यक्रम में प्रयागराज की सांसद प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी भी उपस्थित रहीं। प्रोफेसर जोशी ने अपने संबोधन में भगवान परशुराम के आदर्शों और उनके योगदान को याद किया, साथ ही मंदिर निर्माण के लिए समिति के प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा भारतीय पर्वतीय महासभा के अध्यक्ष अनुपम भंडारी ने भी भागीदारी की।

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मंदिर निर्माण का महत्व

सहसोवीर मंदिर में भगवान परशुराम के मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है, जो क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा। यह मंदिर न केवल भगवान परशुराम के भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र होगा, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए एक सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र के रूप में भी उभरेगा। प्रभु परशुराम सेवा समिति इस दिशा में निरंतर कार्य कर रही है और इस आयोजन ने मंदिर निर्माण के लिए जन-जागरूकता और समर्थन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार का संदेश

भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अक्षय तृतीया को मनाया जाता है। वे विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर आए थे। इस आयोजन का उद्देश्य नई पीढ़ी को सनातन संस्कृति और भगवान परशुराम जी के आदर्शों से जोड़ना भी रहा। कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने उपस्थित जनसमुदाय को सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और धार्मिक मूल्यों को अपनाने का संदेश दिया। साथ ही भगवान परशुराम के आदर्शों पर चलने का आह्वान किया गया।

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