Prahladpuri Mandir Pakistan Holi 2025 : रंगों और उल्लास का त्योहार होली भारत समेत दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदुओं के इस त्योहार की जड़ें पाकिस्तान के मुल्तान शहर के एक मंदिर से जुड़ी हैं? यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की पौराणिक कथा का साक्षी भी है। यही वह स्थान है जहां से होली के पर्व की शुरुआत हुई थी। आइए, जानते हैं इस मंदिर का इतिहास, वर्तमान स्थिति, और होली से इसके गहरे संबंध के बारे में।
प्रह्लादपुरी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
प्रह्लादपुरी मंदिर का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। यह मंदिर भक्त प्रह्लाद की अटूट आस्था और भगवान विष्णु की कृपा की जीवंत मिसाल है। यह मंदिर हिरण्यकश्यप के काल में भक्त प्रह्लाद द्वारा स्थापित किया गया था। यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुल्तान शहर में स्थित है। मुल्तान का प्राचीन नाम “कश्यपपुर” था, जो हिरण्यकश्यप के नाम पर पड़ा था। 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। विभाजन के बाद यह मंदिर पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद इस मंदिर को भी भारी नुकसान पहुंचा।
पाकिस्तान की इस जगह से शुरू हुई होली (Prahladpuri Mandir Pakistan Holi)
होली के पर्व की शुरुआत की जड़ें इसी मंदिर से जुड़ी हुई हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक असुर राजा था, जिसने भगवान विष्णु से अमर होने का वरदान प्राप्त किया था। उसने आदेश दिया कि पूरे राज्य में सिर्फ उसकी पूजा की जाए, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार प्रह्लाद की रक्षा की। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग से न जलने का वरदान प्राप्त था। उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने की योजना बनाई। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना के बाद से होलिका दहन और अगले दिन रंगों से खेलना होली की परंपरा बन गई।
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प्रह्लादपुरी मंदिर की वास्तुकला और संरचना
इस मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिंदू और सिख शैली का मिश्रण है। मंदिर के गर्भगृह में प्रह्लाद और होलिका की मूर्तियां थीं, जो अब वहां नहीं हैं। मंदिर के प्रांगण में एक पवित्र तालाब था, जिसके जल को चमत्कारी माना जाता था। 1992 के हमले के बाद मंदिर का ढांचा खंडहर में तब्दील हो गया।
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वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पाकिस्तान में कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया। प्रह्लादपुरी मंदिर को भी भारी नुकसान पहुंचा, जिससे इसका अधिकांश हिस्सा खंडहर में तब्दील हो गया। आज भी मंदिर की संरचना कमजोर स्थिति में है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने 2020 में मंदिर के जीर्णोद्धार की अनुमति दी थी। इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई। हालांकि, हिंदू संगठनों का आरोप है कि अब तक पर्याप्त प्रयास नहीं हुए हैं।
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प्रह्लादपुरी मंदिर से जुड़े प्रमुख तथ्य
तथ्य | विवरण |
---|---|
स्थान | मुल्तान, पंजाब प्रांत, पाकिस्तान |
निर्माण काल | प्राचीन काल (हिरण्यकश्यप के शासनकाल में) |
पुनर्निर्माण | 19वीं सदी (महाराजा रणजीत सिंह) |
मुख्य देवी-देवता | भगवान नरसिंह और भक्त प्रह्लाद |
वर्तमान स्थिति | खंडहर (पुनर्निर्माण की आवश्यकता) |
धार्मिक महत्व | होली की शुरुआत का स्थल |
विशेषज्ञों की राय
धार्मिक मामलों के जानकारों का मानना है कि प्रह्लादपुरी मंदिर की कहानी धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। अगर इस मंदिर का पुनर्निर्माण होता है, तो यह भारत और पाकिस्तान के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत कर सकता है।
“प्रह्लादपुरी मंदिर न सिर्फ धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के साझा सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है। अगर इसका पुनर्निर्माण होता है तो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध बेहतर हो सकते हैं।”
होली के लिए पाकिस्तान में सुरक्षा की मांग
अखिल पाकिस्तान हिंदू अधिकार आंदोलन के अध्यक्ष हारून सरब दियाल ने पाकिस्तान सरकार से मंदिर में होली उत्सव के दौरान सुरक्षा और सहूलियत की मांग की है। 2025 में 14 से 16 मार्च तक होली के आयोजन के लिए हिंदू संगठनों ने सरकार से विशेष सुरक्षा की मांग की थी। हारून सरब दियाल ने कहा:
“हमें अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा और त्योहार मनाने का संवैधानिक अधिकार है। यदि हमें सुरक्षा नहीं मिली तो हम कानूनी विकल्प अपनाने पर मजबूर होंगे।”
पाकिस्तान में हिंदुओं की हालत
- पाकिस्तान में हिंदू समुदाय की आबादी लगभग 2% है।
- हिंदुओं को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती है।
- मंदिरों के रखरखाव और पूजा-अर्चना में कई तरह की बाधाएँ हैं।
- प्रह्लादपुरी मंदिर का संरक्षण न होना धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक माना जाता है।
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