New Delhi/Almora : उत्तराखंड की समाज सेविका राधा बहन भट्ट को नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार 91 वर्षीय राधा बहन को उनके सामाजिक कार्यों, विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, और बालिका शिक्षा के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
राधा बहन भट्ट कौन हैं?
91 वर्षीय राधा बहन भट्ट कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में रहती हैं। उनका जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में हुआ। मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने समाज सेवा का रास्ता चुना और सर्ला बहन द्वारा स्थापित लक्ष्मी आश्रम, कौसानी से जुड़ गईं। लक्ष्मी आश्रम में रहते हुए उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों को आत्मसात किया और ग्रामीण महिलाओं व बच्चों के उत्थान के लिए काम शुरू किया। राधा बहन ने 25 बाल मंदिरों के माध्यम से लगभग 15,000 बच्चों को शिक्षा प्रदान की। इसके अलावा, उन्होंने डेढ़ लाख से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1975 में चिपको आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने 1980 में खनन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और 2006 से 2010 तक हिमालय और नदियों के संरक्षण के लिए सर्वेक्षण और जनजागरूकता अभियान चलाए।
सामाज और पर्यावरण को जीवन समर्पित
राधा बहन भट्ट के कार्यों ने उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में गहरा प्रभाव छोड़ा है। लक्ष्मी आश्रम, कौसानी के माध्यम से उन्होंने हजारों महिलाओं और बच्चों को शिक्षा और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए। चिपको आंदोलन में उनकी भूमिका ने न केवल उत्तराखंड के जंगलों को बचाने में मदद की, बल्कि विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मिसाल कायम की। उनके प्रयासों से बागेश्वर और अल्मोड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर में सुधार हुआ और महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिली। हाइड्रो पावर परियोजनाओं के खिलाफ उनके अभियान ने नदियों और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राधा बहन की प्रतिक्रिया
राधा बहन भट्ट ने इस सम्मान को अपने जीवन के संघर्ष और समर्पण का सम्मान बताया। उन्होंने अपने सम्मान के बाद कहा कि वह भविष्य में भी ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करती रहेंगी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे प्रकृति के संरक्षण और सामाजिक उत्थान के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा, “हमारी धरती और हमारी बहन-बेटियां हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। इन्हें बचाना और सशक्त बनाना हम सभी का कर्तव्य है। यह पुरस्कार मेरे लिए नहीं, बल्कि उन हजारों महिलाओं और बच्चों के लिए है, जिनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए मैंने काम किया। मैं गांधीवादी विचारधारा और उत्तराखंड की मिट्टी को समर्पित यह सम्मान स्वीकार करती हूं।”
राधा बहन के प्रमुख योगदान
- महिला सशक्तिकरण: बेरीनाग ग्राम स्वराज्य मंडल की स्थापना कर उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए।
- बालिका शिक्षा: 25 बाल मंदिरों के माध्यम से हजारों बच्चों, विशेष रूप से बालिकाओं, को शिक्षा प्रदान की, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर में सुधार हुआ।
- पर्यावरण संरक्षण: चिपको आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और डेढ़ लाख से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाई। उन्होंने हाइड्रो पावर परियोजनाओं और नदियों को सुरंगों में डालने के खिलाफ भी जनजागरूकता फैलाई।
- गांधीवादी विचारधारा का प्रसार: गांधीवादी मूल्यों के आधार पर सामाजिक न्याय और समानता के लिए कार्य किया। उनकी इस प्रतिबद्धता के लिए उन्हें जमनालाल बजाज पुरस्कार सहित कई सम्मान मिल चुके हैं।
पहले भी मिल चुके हैं कई सम्मान
पद्मश्री से पहले राधा बहन भट्ट को उनके कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
- जमनालाल बजाज पुरस्कार: गांधीवादी विचारधारा के प्रसार और सामाजिक कार्यों के लिए।
- इंदिरा प्रियदर्शनी पर्यावरण पुरस्कार: पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए।
- गोदावरी गौरव पुरस्कार: सामाजिक और पर्यावरणीय कार्यों के लिए।
- मुनि संतबल पुरस्कार: समाज सेवा के क्षेत्र में।
- स्वामी राम मानवतावादी पुरस्कार: मानव सेवा और सामाजिक उत्थान के लिए।
राधा बहन को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था, जो उनके वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
सीएम-गवर्नर ने दी बधाई
राधा बहन भट्ट को पद्मश्री सम्मान मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा, “राधा बहन भट्ट उत्तराखंड की गौरवमयी बेटी हैं। उनके सामाजिक कार्य और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक हैं। यह सम्मान प्रत्येक उत्तराखंडी के लिए गर्व का विषय है।” केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने भी राधा बहन को बधाई दी और कहा, “देवभूमि उत्तराखंड की इस बेटी ने समाज सेवा के क्षेत्र में जो कार्य किया, वह अनुकरणीय है। यह सम्मान उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।” लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने भी राधा बहन को बधाई देते हुए उन्हें उत्तराखंड की प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा, “91 वर्ष की आयु में भी राधा बहन की ऊर्जा और समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।”
समाज के लिए प्रेरणा
राधा बहन भट्ट का जीवन समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण की एक जीवंत मिसाल है। 91 वर्ष की आयु में भी वह सक्रिय रूप से सामाजिक कार्यों में लगी हुई हैं। उनकी कहानी न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश के युवाओं और समाज सेवियों के लिए प्रेरणा है। राधा बहन भट्ट को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया जाना उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उनके कार्यों ने न केवल अल्मोड़ा और बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों को बदला, बल्कि पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई मिसाल कायम की। यह सम्मान उनके समर्पण और गांधीवादी मूल्यों की जीत है।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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