अब बिना चीर-फाड़ होगा इलाज
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जिसे दूरबीन विधि के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जो न्यूनतम चीरा लगाकर ऑपरेशन करने में सक्षम है। इस तकनीक से पित्ताशय की पथरी, अपेंडिक्स, और हर्निया जैसे ऑपरेशन अब बिना चीर-फाड़, कम दर्द, और कम खर्च में किए जा सकेंगे।
- कम रक्तस्राव और छोटे चीरे, जिससे मरीज जल्दी ठीक होते हैं।
- अस्पताल में कम समय तक भर्ती रहने की आवश्यकता।
- सर्जरी के बाद कम दर्द और जटिलताएं।
- किफायती लागत, जो मरीजों के लिए आर्थिक बोझ को कम करती है।
इस सुविधा के शुरू होने से अल्मोड़ा और आसपास के क्षेत्रों के मरीजों को अब बड़े शहरों की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे उनका समय, पैसा, और शारीरिक-मानसिक तनाव बचेगा।
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अल्मोड़ा वासियों के लिए एक राहत
पहाड़ी क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी एक लंबे समय से चली आ रही समस्या रही है। मरीजों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए देहरादून, हल्द्वानी, या दिल्ली जैसे शहरों में जाना पड़ता था, जो आर्थिक और भावनात्मक रूप से कठिन होता था। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन की स्थापना ने इस चुनौती को काफी हद तक कम कर दिया है। अब स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, जिससे न केवल उनका भरोसा बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर भी ऊंचा होगा।
अभी ये होना बाकी
हालांकि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन की स्थापना हो चुकी है, लेकिन कुछ अंतिम तकनीकी और प्रशासनिक औपचारिकताएं अभी पूरी की जानी बाकी हैं। इनमें मशीन का अंतिम परीक्षण, चिकित्सकों का प्रशिक्षण, और संचालन के लिए आवश्यक अनुमोदन शामिल हैं। अस्पताल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ये औपचारिकताएं जल्द पूरी कर ली जाएंगी, और यह सुविधा शीघ्र ही आम जनता के लिए उपलब्ध होगी। अपेक्षा है कि आने वाले हफ्तों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू हो जाएगी, जिससे मरीजों को तत्काल लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
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दो वर्षों का संघर्ष रंग लाया
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे दो वर्षों के अथक प्रयास और जनसरोकारी संघर्ष है। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने शासन, स्वास्थ्य विभाग, और जिला प्रशासन के साथ लगातार संवाद बनाए रखा। उन्होंने विशेषज्ञों से संपर्क साधा और जनता की आवाज को शासन तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी मेहनत और समन्वय का परिणाम है कि आज अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी जैसी आधुनिक तकनीक उपलब्ध हो सकी है।
“यह केवल एक मशीन नहीं, यह लोगों के विश्वास की वापसी है। आज अल्मोड़ा की धरती पर एक नया सूरज उगा है — जहां जीवन की आशा और इलाज की सुविधा साथ-साथ चलेंगी।” — संजय पाण्डे
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पहाड़ों में बदलाव की नई उम्मीद
पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय, अल्मोड़ा में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन की स्थापना एक ऐतिहासिक कदम है। यह उपलब्धि अल्मोड़ा के लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रशासन के बीच सकारात्मक समन्वय से समाज में सार्थक बदलाव लाया जा सकता है। इस उपलब्धि के लिए संजय पाण्डे ने उत्तराखंड शासन, स्वास्थ्य विभाग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश चंद्र पंत, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एच.सी. गड़कोटी, और जिला प्रशासन का विशेष आभार व्यक्त किया है। डॉ. रमेश चंद्र पंत ने कहा, “यह सुविधा अल्मोड़ा के स्वास्थ्य ढांचे में एक मील का पत्थर है। हमारा प्रयास है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं मिलें।”


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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