अल्मोड़ा (उत्तराखंड) : विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए राहत की खबर है। यहां अक्सर बढ़ते वाहनों के दबाव के चलते लगने वाले जाम से अब जल्द निजात मिलने वाली है। 1 जून 2025 से जागेश्वर धाम में शटल सेवा की शुरूआत होने जा रही है, जो आरतोला से विनायक पुल तक संचालित होगी। इसके साथ ही, आरतोला में नई पार्किंग व्यवस्था भी लागू की जाएगी।
जागेश्वर में ट्रैफिक कंट्रोल का नया मॉडल
जागेश्वर धाम, जो भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मंदिरों के समूह के लिए प्रसिद्ध है, उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक है। यह स्थल न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। लेकिन, संकरी सड़कों और बढ़ती वाहन संख्या के कारण जागेश्वर में अक्सर जाम की स्थिति बन जाती है। इससे न केवल यात्रियों को असुविधा होती है, बल्कि मंदिर परिसर का शांत और पवित्र वातावरण भी प्रभावित होता है। इस समस्या को हल करने के लिए प्रशासन ने नई योजना तैयार की है। यह ट्रैफिक कंट्रोल का एक सस्टेनेबल मॉडल होगा, जिसे अन्य पर्यटन स्थलों पर भी लागू किया जा सकता है।
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क्या है शटल सेवा योजना?
श्रद्धालुओं को जागेश्वर मंदिर परिसर तक बिना किसी ट्रैफिक जाम के पहुँचाने के लिए प्रशासन ने विशेष शटल सेवा योजना तैयार की है। आरतोला से विनायक पुल तक चलने वाली यह सेवा एक ओर जहां ट्रैफिक को नियंत्रित करेगी, वहीं श्रद्धालुओं को एक व्यवस्थित यात्रा अनुभव देगी। यह सेवा नियमित अंतराल पर चलेगी, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को समय पर मंदिर तक पहुंचने में सुविधा होगी।
नई पार्किंग व्यवस्था की टेंडर प्रक्रिया पूरी
शटल सेवा को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए आरतोला में पार्किंग सुविधा भी विकसित की जा रही है। प्रशासन द्वारा 10 साल के लिए पार्किंग का टेंडर फाइनल कर लिया गया है, जिसका संचालन जल्द शुरू किया जाएगा। इस पार्किंग क्षेत्र में श्रद्धालु अपने निजी वाहन खड़े कर शटल से मंदिर तक पहुंच सकेंगे। नई पार्किंग का संचालन जल्द शुरू किया जाएगा, जिससे वाहनों को व्यवस्थित रूप से पार्क करने की सुविधा मिलेगी। इस व्यवस्था से सड़कों पर अव्यवस्थित पार्किंग की समस्या भी खत्म होगी।
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जागेश्वर धाम का महत्व
जागेश्वर धाम 124 मंदिरों का एक प्राचीन समूह है, जो 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच निर्मित माना जाता है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से भी अनमोल है। यहाँ के मंदिरों में कत्यूरी शैली की वास्तुकला देखने को मिलती है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसके अलावा, हिमालय की गोद में बसा यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। नई शटल सेवा और पार्किंग व्यवस्था से इस क्षेत्र की सुंदरता और शांति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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