जागेश्वर धाम रिवर फ्रंट बनेगा, 21 करोड़ की लागत से होंगे ये काम

Big News : जागेश्वर धाम रिवर फ्रंट डेवलपमेंट को मंजूरी, 21 करोड़ की लागत से होंगे ये काम

देहरादून/अल्मोड़ा : जागेश्वर धाम रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना को स्वीकृति मिल गई है। इस परियोजना पर ₹2119.27 लाख यानी लगभग 21 करोड़ रुपये की लागत आएगी। देहरादून में मुख्य सचिव आनंद बर्धन की अध्यक्षता में हुई उत्तराखंड व्यय समिति की बैठक में यह फैसला हुआ।

जागेश्वर धाम रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट क्या है?

जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा जिले में जटा गंगा नदी के तट पर स्थित, भगवान शिव को समर्पित 124 मंदिरों का एक प्राचीन समूह है। यह धाम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। जागेश्वर धाम रिवर फ्रंट डेवलपमेंट परियोजना के अंतर्गत जागेश्वर धाम के नदी और मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्रों में आधुनिक और भव्य पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इस परियोजना की कुल लागत 2119.27 लाख रुपये है, जिसे पर्यटन विभाग और संबंधित एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। यह परियोजना जागेश्वर धाम को एक प्रमुख पर्यटन और तीर्थस्थल के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

क्या-क्या होगा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के तहत?

  • जटा गंगा नदी तट का सौंदर्यीकरण: नदी के किनारे आकर्षक घाटों, पैदल पथों, और बैठने की व्यवस्था का निर्माण।
  • मंदिर परिसर का विकास: मंदिर प्रांगण में बेहतर सुविधाएं जैसे स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था, और तीर्थयात्रियों के लिए विश्राम स्थल।
  • पर्यटन सुविधाओं का विस्तार: पार्किंग क्षेत्र, सूचना केंद्र, और स्थानीय हस्तशिल्प बाजार का निर्माण।
  • पर्यावरण संरक्षण: नदी और आसपास के क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय।

124 बड़े और छोटे मंदिर

जागेश्वर धाम, जिसे उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है, भगवान शिव की तपोस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर समूह 7वीं से 14वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश द्वारा निर्मित माना जाता है। यहां 124 बड़े और छोटे मंदिर हैं, जिनमें जागेश्वर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, सूर्य मंदिर, और कुबेर मंदिर प्रमुख हैं। मंदिर परिसर में जटा गंगा का पवित्र जल और देवदार के जंगल इस स्थान को और भी आध्यात्मिक बनाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तऋषियों और लव-कुश ने यहां तपस्या और यज्ञ किए थे। मंदिर में एक विशेष यज्ञ कुंड भी मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह लव-कुश द्वारा निर्मित है। यह धाम शिव पुराण, लिंग पुराण, और स्कंद पुराण में भी उल्लिखित है, और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, हालांकि इस पर कुछ विवाद भी है।

सिंगटाली में गंगा पर 150 मीटर पुल बनेगा

बैठक में पौड़ी गढ़वाल के कौडियाला-व्यास घाट मोटर मार्ग पर सिंगटाली में गंगा नदी पर 150 मीटर लंबे पुल के निर्माण को भी मंजूरी दी गई। इस पुल की अनुमानित लागत 5712.55 लाख रुपये है। यह पुल क्षेत्र में आवागमन को सुगम बनाएगा और स्थानीय लोगों के साथ-साथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी लाभ पहुंचाएगा। इससे कौडियाला और व्यास घाट के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जिससे स्थानीय लोगों का समय और संसाधन बचेगा। यह पुल चारधाम यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले क्षेत्रों को जोड़ेगा, जिससे तीर्थयात्रियों को सुविधा होगी। देहरादून में आयोजित बैठक में सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे, अपर सचिव लोक निर्माण विभाग विनीत कुमार, निदेशक वित्त जगत सिंह चौहान, प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग राजेश शर्मा सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। 

समय पर पूरी हों परियोजनाएं

मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने बैठक में निर्देश दिए कि सभी परियोजनाओं में स्थानीय वास्तुकला और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि परियोजनाएं समयबद्ध तरीके से पूरी हों और गुणवत्ता के साथ कोई समझौता न हो। पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य जागेश्वर धाम को आध्यात्मिक पर्यटन और पर्यावरणीय पर्यटन का एक आदर्श केंद्र बनाना है। इससे न केवल तीर्थयात्री, बल्कि प्रकृति प्रेमी और इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटक भी आकर्षित होंगे। परियोजना में ग्रीन बिल्डिंग और रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे पर्यावरण-अनुकूल उपायों को शामिल किया गया है, जैसा कि मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने हाल की एक बैठक में निर्देश दिया था। रिवर फ्रंट डेवलपमेंट से जागेश्वर धाम में पर्यटकों की संख्या बढ़ने से स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग, और हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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