देहरादून : उत्तराखंड में रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के लिए नदियों के किनारे बने करीब 2600 से अधिक घरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नगर निगम ने प्रभावित क्षेत्रों में नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है, जिससे स्थानीय निवासियों में चिंता का माहौल है। कई संगठनों ने इसे लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे 26 किलोमीटर लंबी चार लेन की एलिवेटेड सड़कें बनाई जाएंगी, जिसका कुल बजट 6252 करोड़ रुपये है।
रिस्पना और बिंदाल के किनारों घरों पर संकट
रिस्पना एलिवेटेड रोड के लिए कुल 44.82 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हो रही है, जिसमें से 42.64 हेक्टेयर सरकारी और 2.17 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है। इस क्षेत्र में 771 स्थायी और 349 अस्थायी संरचनाएं प्रभावित हो रही हैं, जिससे कुल 1120 परिवारों पर असर पड़ेगा। वहीं बिंदाल एलिवेटेड रोड के लिए 43.91 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा रही है, जिसमें 25.79 हेक्टेयर सरकारी, 18.11 हेक्टेयर निजी, 1.96 हेक्टेयर वन भूमि, 4 हेक्टेयर सीए भूमि और 4.93 हेक्टेयर रक्षा संपदा भूमि शामिल हैं। यहां 934 स्थायी और 560 अस्थायी संरचनाएं, यानी कुल 1494 निर्माण प्रभावित हो रहे हैं।
संयुक्त सर्वे के बाद जारी किए नोटिस
नगर निगम और अन्य विभागों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए सर्वेक्षण में जिन घरों और निर्माणों को एलिवेटेड रोड के निर्माण की जद में पाया गया, उन पर लाल निशान लगाए गए हैं। अब नगर निगम द्वारा दस्तावेज सत्यापन के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। प्रभावित संपत्ति स्वामियों से उनके स्वामित्व के दस्तावेज मांगे गए हैं। नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि हाउस टैक्स की रसीद मात्र स्वामित्व का प्रमाण नहीं मानी जाएगी।
नगर निगम की नोटिस प्रक्रिया
सहायक नगर आयुक्त वीपीएस चौहान ने स्पष्ट किया कि संपत्ति स्वामियों को अपनी आपत्तियां दर्ज करने का मौका दिया गया है, जिनका निस्तारण उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देशों के आधार पर होगा। संपत्तियों का मूल्यांकन किया जाएगा, और प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू होगी। आपत्तियों के निस्तारण के बाद, चिह्नित अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, आपत्तियों की सुनवाई के लिए अभी समय निर्धारित नहीं किया गया है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए की जाएगी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों में उल्लेखित है।
रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट क्या है?
देहरादून शहर में बढ़ते यातायात के दबाव को कम करने के लिए रिस्पना-बिंदाल एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट एक दीर्घकालिक समाधान के रूप में प्रस्तावित है। इस परियोजना के तहत:
- रिस्पना नदी: 11 किलोमीटर लंबी चार लेन की एलिवेटेड सड़क, जो रिस्पना पुल (विधानसभा के पास) से शुरू होकर नागल पुल तक जाएगी। इसकी अनुमानित लागत 2100 करोड़ रुपये है।
- बिंदाल नदी: 15 किलोमीटर लंबी चार लेन की एलिवेटेड सड़क, जो कारगी चौक से शुरू होकर राजपुर रोड पर साईं मंदिर के पास समाप्त होगी। इसकी अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपये है।
यह परियोजना शहर के प्रमुख ट्रैफिक कॉरिडोर का दबाव कम करेगी और वर्ष 2050 तक की यातायात आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। इसके अतिरिक्त, यह नदियों के किनारे बने अतिक्रमण को हटाने और नदियों के प्राकृतिक स्वरूप को बहाल करने में भी मदद करेगा।
निवासियों में चिंता, पारदर्शिता की मांग
इस परियोजना के तहत भगत सिंह कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में लाल निशान लगाए जाने के बाद स्थानीय निवासियों में डर और असंतोष का माहौल है। इस परियोजना से जहां एक ओर शहर को जाम से राहत और बेहतर कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग बेघर होने की चिंता में हैं। स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से पारदर्शिता और पुनर्वास की स्पष्ट नीति की मांग की है। 20 मई 2025 को, बस्ती बचाओ आंदोलन के बैनर तले कई संगठनों, जैसे सीटू, चेतना आंदोलन, और जनवादी महिला समिति, ने सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन किया।
पर्यावरणीय और तकनीकी पहलू
इस परियोजना को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं:
- पर्यावरणीय क्लीयरेंस: परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है, और रोड डिज़ाइन इस तरह किया गया है कि नदियों का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित न हो।
- ग्रीन बेल्ट और नॉयज़ बैरियर: ग्रीन बेल्ट, शोर अवरोधक, और जल निकासी व्यवस्था को शामिल कर परियोजना को इको-फ्रेंडली बनाया जा रहा है।
- रिटेनिंग वॉल: बाढ़ सुरक्षा के लिए रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी।
- आईआईटी रुड़की की मॉडल स्टडी: परियोजना की मॉडल स्टडी आईआईटी रुड़की द्वारा पूरी की गई है, जो इसकी तकनीकी व्यवहार्यता को सुनिश्चित करती है।
इसके अतिरिक्त, परियोजना के लिए विद्युत लाइन, हाईटेंशन लाइन, और सीवर लाइन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
पुनर्वास और मुआवजा
प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास और मुआवजा एक प्रमुख मुद्दा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि:
- प्रभावित संपत्तियों का मूल्यांकन कर उचित मुआवजा दिया जाएगा।
- सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) सर्वे पूरा हो चुका है, जो परियोजना के फायदे और नुकसान का विश्लेषण करता है।
- पुनर्वास योजना के तहत, प्रभावित परिवारों को वैकल्पिक आवास या मुआवजा प्रदान करने की योजना है, हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने का निर्देश दिया है, जिसमें नोटिस, आपत्तियों की सुनवाई, और उचित मुआवजा शामिल है।
परियोजना से क्या बदलेगा?
- ट्रैफिक जाम से राहत: यह सड़क शहर की आंतरिक सड़कों पर दबाव कम करेगी और मसूरी जैसे पर्यटन स्थलों की भीड़ को डायवर्ट करेगी।
- नदियों का सौंदर्यीकरण: अतिक्रमण हटने से रिस्पना और बिंदाल नदियों का प्राकृतिक स्वरूप बहाल होगा।
- आर्थिक विकास: बेहतर यातायात व्यवस्था से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यटकों के लिए सुविधा: मसूरी और अन्य पर्यटन स्थलों के लिए यात्रा आसान होगी।
चुनौतियां और विवाद
- भूमि अधिग्रहण: निजी और रक्षा संपदा भूमि के अधिग्रहण में कानूनी और प्रशासनिक जटिलताएं।
- प्रभावित परिवारों का विरोध: भगत सिंह कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में स्थानीय लोग पुनर्वास और मुआवजे की अनिश्चितता को लेकर विरोध कर रहे हैं।
- पर्यावरणीय चिंताएं: हालांकि पर्यावरणीय मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव को लेकर कुछ संगठनों ने सवाल उठाए हैं।


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