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Why girls perform better in study : शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से बेहतर होने की बात अब केवल अनुमान नहीं, बल्कि कई शोधों और आंकड़ों से साबित हो चुकी है। साल दर साल सीबीएसई (CBSE), आईसीएसई (ICSE) और विभिन्न राज्य बोर्ड (State Boards) की परीक्षाओं के नतीजे यह दिखा रहे हैं कि शैक्षणिक प्रदर्शन के मामले में लड़कियां लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। सिर्फ स्कूल स्तर पर ही नहीं, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं (जैसे NEET, JEE और UPSC) में भी लड़कियों ने टॉप रैंक हासिल की है। शिक्षा क्षेत्र में इस लगातार बढ़त के पीछे आखिर क्या कारण हैं? क्या लड़कियां अब पढ़ाई में स्वाभाविक रूप से लड़कों से बेहतर हो गई हैं, या इसके पीछे कोई गहरे मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण छिपे हुए हैं? आइए रिसर्च और विशेषज्ञों की राय के आधार पर इसके पीछे की वजहें जानते हैं।
सीबीएसई, आईसीएसई और स्टेट बोर्ड के परीक्षा परिणामों में पिछले कुछ सालों में लगातार लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ दिया है।
शोध के अनुसार लड़कियां मानसिक और सामाजिक रूप से लड़कों के मुकाबले जल्दी परिपक्व हो जाती हैं। लड़कियां स्व-अनुशासन, समय प्रबंधन और ध्यान केंद्रित करने में बेहतर होती हैं। कठिन परिस्थितियों में भी लड़कियां मानसिक रूप से शांत और स्थिर रहती हैं। एक शोध के अनुसार, लड़कियों की कॉर्टिकल थिकनेस (Cortical Thickness) अधिक होती है, जिससे वे निर्णय लेने और समस्या हल करने में बेहतर होती हैं।
➡️ Cognitive Maturity in Girls
स्कूलों में जो शिक्षण पद्धति अपनाई जाती है, वह लड़कियों के व्यवहार के अनुकूल होती है। लड़कियों को अक्सर शांत बैठने, निर्देशों का पालन करने और अनुशासन में रहने की आदत होती है, जो उनके बेहतर प्रदर्शन का कारण बनती है। शिक्षकों का रवैया भी लड़कियों के प्रति अधिक सकारात्मक देखा गया है।
➡️ Educational Environment and Gender Performance
OECD की PISA रिपोर्ट के अनुसार लड़कियां लड़कों की तुलना में इन क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करती हैं:
लड़कियों को घर और स्कूल में अक्सर अनुशासन और मेहनत के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। माता-पिता और शिक्षकों का लड़कियों से अपेक्षा होती है कि वे पढ़ाई में अच्छी होंगी, जिससे उनका मानसिक दबाव बढ़ता है। लड़कों की तुलना में लड़कियां अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त करती हैं।
➡️ Parenting and Academic Performance
आधुनिक शिक्षा प्रणाली में लेखन कार्य, समूह कार्य और भाषा कौशल पर अधिक जोर दिया जाता है। ये सभी क्षेत्र लड़कियों की स्वाभाविक क्षमताओं से मेल खाते हैं। विज्ञान और गणित जैसे विषयों में भी अब लड़कियां अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
➡️ Impact of Feminized Education
लड़कियां शिक्षा को अपने उज्जवल भविष्य के लिए एकमात्र मार्ग के रूप में देखती हैं। लैंगिक असमानता के कारण लड़कियां अपने अस्तित्व को मजबूत करने के लिए शिक्षा पर अधिक ध्यान देती हैं। 2024 में CBSE टॉप 10 रैंकर्स में 7 लड़कियां थीं, जो इस मानसिकता को स्पष्ट करती हैं।
➡️ Motivation and Gender Disparity
शोध के अनुसार, लड़कों के प्रदर्शन में गिरावट के पीछे ये कारण हो सकते हैं:
➡️ Boys and Academic Performance
शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि लड़कों के प्रदर्शन को सुधारने के लिए शिक्षा प्रणाली में बदलाव जरूरी हैं। शिक्षा प्रणाली को प्रैक्टिकल लर्निंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग पर केंद्रित किया जाए। मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग और मेंटोरशिप प्रोग्राम शुरू किए जाएं। माता-पिता और शिक्षकों को लड़कों के लिए समान रूप से प्रेरणा देने पर काम करना होगा।
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