हरिद्वार : भारत की सांस्कृतिक राजधानी हरिद्वार में विश्व सनातन महापीठ की स्थापना होगी। तीर्थ सेवा न्यास ने इसकी घोषणा की है। इस महापीठ का उद्देश्य न केवल सनातन धर्म की पुनर्स्थापना करना है, बल्कि युवाओं को शास्त्र और शस्त्र दोनों की शिक्षा देकर राष्ट्रसेवा के लिए तैयार करना भी है।
क्या है विश्व सनातन महापीठ का उद्देश्य?
महापीठ केवल कोई धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक युग निर्माण केंद्र होगा। इसका नेतृत्व कर रहे हैं बाबा हठयोगी महाराज और तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष राम विशाल दास महाराज, जिन्होंने बताया कि यह संस्थान सनातन धर्म, वेद, आयुर्वेद, ज्योतिष, संस्कृत और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करेगा। युवाओं को धर्मरक्षा, आत्मरक्षा और स्वरोजगार के लिए तैयार करेगा। सभी मत-पंथों के लिए प्रतिनिधित्व स्थल, संग्रहालय और संत निवास बनाएगा। सनातन संसद के रूप में वैचारिक विमर्श और निर्णय का मंच बनेगा।
विश्व सनातन महापीठ के प्रथम चरण का अनुमानित बजट 300 करोड़ रुपये है। पूर्ण निर्माण व्यय 500 करोड़ प्रस्तावित है। भूमि पूजन 21 नवम्बर 2025 तथा गौ संरक्षण एवं यज्ञशाला का उद्घाटन 21 नवम्बर 2026 को किया जाएगा। महापीठ का उद्घाटन समारोह 22 फरवरी 2029 को आयोजित किया जाएगा। महापीठ में 108 यज्ञशालाओं का निर्माण किया जाएगा।
-राम विशाल दास महाराज, अध्यक्ष, तीर्थ सेवा न्यास
500 करोड़ की लागत, चरणबद्ध निर्माण
चरण | विवरण |
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पहला चरण | ₹300 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य की शुरुआत |
भूमि पूजन | 21 नवम्बर 2025 को |
गौ संरक्षण केंद्र व यज्ञशाला उद्घाटन | 21 नवम्बर 2026 को |
महापीठ उद्घाटन समारोह | 22 फरवरी 2029 को |
कुल लागत | ₹500 करोड़ (अनुमानित) |
वैदिक गुरुकुल में शस्त्र शिक्षा भी
महापीठ में स्थापित होगा एक वैदिक गुरुकुल, जिसमें युवाओं को वेद, संस्कृत, शास्त्र, उपनिषद, आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्मशास्त्र, नैतिक शिक्षा, योग, साधना के अलावा कृषि, पशुपालन और डिजिटल सेवा प्रशिक्षण भी मिलेगा। यहां युवाओं को शस्त्र विद्या और सैन्य अनुशासन का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। विशेष रूप से प्रतिवर्ष 1 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। धर्म युद्ध नीति, आत्मरक्षा, अनुशासन और नेतृत्व कौशल विकसित किया जाएगा। स्वरोजगार केंद्रों के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
सनातन संग्रहालय और धर्म साहित्य भंडार
महापीठ परिसर में होगा एक भव्य सनातन संग्रहालय, जिसमें भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन, पवित्र ग्रंथों और धर्म साहित्य का संग्रह और डिजिटल पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र भी होगा।
यह परियोजना सिर्फ आज की नहीं, बल्कि आने वाले सैकड़ों वर्षों के लिए सनातन धर्म की नींव को मजबूत करने वाली योजना है। इससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा और भारत को पुनः धर्म, दर्शन और संस्कृति के क्षेत्र में विश्वगुरु बनाने की दिशा में यह महापीठ एक सशक्त कदम होगा। -महंत ओमदास महाराज
संत कुटिया, भक्त निवास और संसद भवन
विश्व सनातन महापीठ न केवल धार्मिक साधना का केंद्र होगा, बल्कि यह धार्मिक चेतना, सामाजिक निर्माण और राष्ट्र सेवा का मिलन बिंदु भी बनेगा। यहां शास्त्र और शस्त्र, परंपरा और प्रगति, साधना और नेतृत्व, सब एक ही छत के नीचे विकसित होंगे। महापीठ परिसर में 108 संत कुटिया, 1008 भक्त निवास, वातानुकूलित सनातन संसद भवन, 108 यज्ञशालाएं, संत-महंतों के लिए स्थायी निवास और देशी गौ संरक्षण एवं शोध केंद्र भी बनेंगे। धर्मादेश मंच बनाया जाएगा, जिससे पूरे देश को धर्म संबंधी दिशा-निर्देश जारी होंगे।
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