देहरादून, ब्यूरो। राजस्थान के एक स्कूल में जर्जर भवन की छत गिरने से 10 बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद अब उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी स्कूल भवनों का सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में किसी भी जर्जर और असुरक्षित स्कूल भवन में बच्चों को किसी भी स्थिति में नहीं बैठाया जाएगा।
बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बच्चों को किसी भी स्थिति में जर्जर या असुरक्षित स्कूल भवनों में नहीं बैठाया जाएगा। उन्होंने शिक्षा विभाग और संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया है कि सभी सरकारी और निजी स्कूलों के भवनों का सेफ्टी ऑडिट तत्काल शुरू किया जाए। सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि जहां स्कूल भवनों की मरम्मत संभव हो, वहां तुरंत मरम्मत कार्य शुरू किया जाए। वहीं, जिन भवनों का पुनर्निर्माण आवश्यक है, वहां के लिए कार्य योजना तैयार कर शीघ्रता से कार्य शुरू किया जाए।
“बच्चे देश का भविष्य हैं। उनकी सुरक्षा और शिक्षा के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। जर्जर भवनों में बच्चों का जीवन खतरे में नहीं डाला जा सकता।” -मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
राजस्थान की घटना से लिया सबक
हाल ही में राजस्थान में एक जर्जर स्कूल भवन की छत गिरने से 10 बच्चों की मौत की दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हादसे ने स्कूल भवनों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उत्तराखंड सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है। सीएम धामी ने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति उत्तराखंड में नहीं होनी चाहिए। सेफ्टी ऑडिट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी स्कूल भवन बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हों।
सेफ्टी ऑडिट की प्रक्रिया और दायरा
उत्तराखंड सरकार ने सभी स्कूल भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक सेफ्टी ऑडिट का निर्णय लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑडिट के तहत कई अहम बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सबसे पहले, स्कूल भवनों की संरचनात्मक सुरक्षा की जांच की जाएगी, जिसमें दीवारों, छतों और नींव की स्थिति का आकलन शामिल होगा। इसके साथ ही, आपदा प्रतिरोधकता का मूल्यांकन भी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भवन भूकंप, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति मजबूत हैं। आग और बिजली सुरक्षा के अंतर्गत, स्कूलों में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता और विद्युत तारों की स्थिति की जांच की जाएगी। जिन भवनों की स्थिति जर्जर पाई जाएगी, उनके लिए मरम्मत या पुनर्निर्माण की तत्काल कार्य योजना बनाई जाएगी और शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा।
निजी स्कूलों पर भी लागू
इसके अलावा, पूरी ऑडिट प्रक्रिया की निगरानी और जवाबदेही तय करने के लिए विशेषज्ञों की टीमों का गठन किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। यह ऑडिट न केवल सरकारी स्कूलों बल्कि निजी स्कूलों पर भी लागू होगा, जिससे सभी शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा सके। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र के स्कूलों का प्रारंभिक सर्वेक्षण शुरू करें। विशेषज्ञ इंजीनियरों की टीमें भवनों की स्थिति का आकलन करेंगी और उनकी रिपोर्ट के आधार पर मरम्मत या पुनर्निर्माण का निर्णय लिया जाएगा।”
उत्तराखंड में स्कूलों की स्थिति
उत्तराखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ भूकंप और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील है, वहां स्कूल भवनों की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। राज्य के कई ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में स्कूल भवन पुराने और जर्जर हालत में हैं। इन भवनों में न केवल संरचनात्मक कमियां हैं, बल्कि आपदा प्रतिरोधी डिजाइन का भी अभाव है। धामी सरकार का यह निर्णय इन कमियों को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


मनीषा हिंदी पत्रकारिेता में 20 वर्षों का गहन अनुभव रखती हैं। हिंदी पत्रकारिेता के विभिन्न संस्थानों के लिए काम करने का अनुभव। खेल, इंटरटेनमेंट और सेलीब्रिटी न्यूज पर गहरी पकड़। Uncut Times के साथ सफर आगे बढ़ा रही हैं। इनसे manisha.media@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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