देहरादून : उत्तराखंड के देहरादून में डालनवाला के समरवैली स्कूल में कक्षा 11 के 37 विद्यार्थियों के फेल होने का मामला हाल ही में सुर्खियों में रहा। अभिभावकों के गंभीर आरोपों और उत्तराखंड बाल आयोग के हस्तक्षेप के बाद इन विद्यार्थियों की पुनः परीक्षा कराई गई। यह परीक्षा 26 से 29 मई 2025 तक आयोजित की गई थी, और इसके परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया। पुनः परीक्षा में सिर्फ एक छात्र फेल हुआ है।
क्या है मामला?
देहरादून के डालनवाला क्षेत्र में स्थित समरवैली स्कूल में कक्षा 11 के 37 विद्यार्थी अपनी वार्षिक परीक्षा में फेल हो गए थे। इस घटना ने अभिभावकों में रोष पैदा कर दिया। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें कहा गया कि बच्चों को जबरन फेल किया गया है। उनका दावा था कि स्कूल ने जानबूझकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। इस मामले की शिकायत अभिभावकों ने उत्तराखंड बाल आयोग से की।
बाल आयोग ने लिया संज्ञान
शिकायत मिलने के बाद उत्तराखंड बाल आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया और शिक्षा विभाग को पुनः परीक्षा कराने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग ने आयोग की निगरानी में इन छात्रों के लिए 26 से 29 मई के बीच पुनः परीक्षा आयोजित की। पुनः परीक्षा का केंद्र गोवर्धन विद्या मंदिर, धर्मपुर को बनाया गया। परीक्षा की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ आयोजित की गई जिसमें आयोग के अधिकारी, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि और छात्रों के अभिभावक भी उपस्थित रहे।
पुनः परीक्षा का परिणाम ने चौंकाया
पुनः परीक्षा के परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया। उत्तराखंड बाल आयोग की अध्यक्ष, सचिव, अनुसचिव, शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी, जीआइसी सौड़ा सरौली के प्रधानाचार्य, और अभिभावकों की उपस्थिति में परिणाम घोषित किए गए। कुल 37 में से 30 विद्यार्थी शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित पुनः परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। केवल 1 विद्यार्थी फेल हुआ। इस परीक्षा में 6 विद्यार्थी शामिल नहीं हुए। यह परिणाम स्कूल प्रशासन के फैसले पर बड़ा सवाल खड़ा करता है कि जब यही छात्र दोबारा परीक्षा में पास हो सकते हैं, तो पहले फेल कैसे हुए?
स्कूल को दिए गए निर्देश
शिक्षा विभाग ने समरवैली स्कूल को निर्देश दिया है कि जो छात्र पुनः परीक्षा में पास हुए हैं, उन्हें 12वीं कक्षा में प्रवेश दिया जाए। यदि कोई छात्र किसी अन्य स्कूल में जाना चाहता है, तो उसे तुरंत ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) प्रदान किया जाए। पुनः परीक्षा में अपने बच्चों के पास होने पर कई अभिभावकों ने राहत जताई, लेकिन साथ ही शिक्षा प्रणाली पर भी चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि अगर वे आवाज न उठाते, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाता।
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़?
इस पूरे प्रकरण ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं:
- क्या स्कूल छात्रों को दबाव में लाकर मनमाने तरीके से फेल कर रहा था?
- यदि पुनः परीक्षा में इतने छात्र पास हो सकते हैं, तो पहले की मूल्यांकन प्रक्रिया में क्या खामियां थीं?
- क्या निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर छात्रों और अभिभावकों के साथ अन्याय कर रहे हैं?
उत्तराखंड में शिक्षा की स्थिति
यह घटना उत्तराखंड के शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हाल के वर्षों में, उत्तराखंड बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (UBSE) ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, 2025 की बोर्ड परीक्षाएं 21 फरवरी से 11 मार्च तक आयोजित की गईं, और परिणाम 19 अप्रैल 2025 को घोषित किए गए। इन परीक्षाओं में 2,23,403 विद्यार्थी शामिल हुए, जिनमें से 90.77% पास हुए। हालांकि, समरवैली स्कूल जैसे मामले शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत को दर्शाते हैं। विशेष रूप से, निजी स्कूलों में मूल्यांकन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है।


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