उत्तराखंड : सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना को केंद्र की मंजूरी

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित 120 मेगावाट क्षमता की सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल गई है। नई दिल्ली स्थित इंदिरा पर्यावरण भवन में आयोजित एक अहम बैठक में इस परियोजना के लिए भूमि स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को पास कर दिया गया।

वन सलाहकार समिति ने दी मंजूरी

वन सलाहकार समिति की बैठक में पिथौरागढ़ जिले की गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित 120 मेगावाट की सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। इस परियोजना के लिए 29.997 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। अधिकारियों के अनुसार, परियोजना को पर्यावरणीय मानकों का पालन करते हुए डिजाइन किया गया है, ताकि स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को न्यूनतम नुकसान हो।

रन-ऑफ-द-रिवर तकनीक पर आधारित

सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में गौरीगंगा नदी पर बनाई जाएगी। इसकी कुल क्षमता 120 मेगावाट है, जो राज्य की बिजली आपूर्ति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह परियोजना रन-ऑफ-द-रिवर तकनीक पर आधारित होगी, जो पर्यावरण के लिए कम हानिकारक मानी जाती है, क्योंकि इसमें बड़े जलाशयों की आवश्यकता नहीं होती।

परियोजना से ये फायदा होने का दावा

  • ऊर्जा आत्मनिर्भरता: यह परियोजना उत्तराखंड की बिजली मांग को पूरा करने में मदद करेगी और राज्य को राष्ट्रीय ग्रिड पर निर्भरता कम करने में सहायता प्रदान करेगी।
  • रोजगार सृजन: निर्माण और संचालन के दौरान स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जिससे पलायन की समस्या पर अंकुश लगेगा।
  • पर्यावरण संरक्षण: परियोजना को पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप डिजाइन किया गया है, ताकि गौरीगंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को न्यूनतम नुकसान हो।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: परियोजना क्षेत्र में सड़कों, बिजली, और अन्य सुविधाओं का विकास होगा, जिससे स्थानीय समुदाय लाभान्वित होंगे।

सीएम ने क्या कहा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मंजूरी को उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह परियोजना उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करेगी और पलायन जैसी गंभीर समस्या को रोकने में भी मदद करेगी।” सीएम धामी ने यह भी जोड़ा कि उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा, विशेष रूप से इसकी नदियां, जल विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं रखती हैं। इस परियोजना से पिथौरागढ़ जैसे सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास होगा, जिससे स्थानीय समुदायों को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलेगा।

पर्यावरणीय संतुलन और चुनौतियां

उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाएं हमेशा से पर्यावरणीय संवेदनशीलता के कारण चर्चा में रही हैं। सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड परियोजना को मंजूरी देते समय वन सलाहकार समिति ने पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने पर विशेष ध्यान दिया है। परियोजना के लिए 29.997 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग होगा, लेकिन इसके बदले में वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने आश्वासन दिया कि परियोजना के निर्माण और संचालन के दौरान सभी पर्यावरणीय नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा। इसके लिए स्वतंत्र निगरानी समितियां गठित की जाएंगी, जो परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों की समीक्षा करेंगी।

उत्तराखंड में जल विद्युत की संभावनाएं

उत्तराखंड अपनी ग्लेशियरों और नदियों के कारण जल विद्युत उत्पादन के लिए एक आदर्श स्थान है। केंद्र सरकार के आकलन के अनुसार, राज्य में 40,000 मेगावाट से अधिक जल विद्युत उत्पादन की संभावना है, जिसमें से अभी तक केवल 4,000 मेगावाट का ही दोहन किया गया है। धामी सरकार ने उत्तराखंड को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई अन्य परियोजनाओं पर भी काम शुरू किया है, जिनमें विष्णुगाड-पीपलकोटी (444 मेगावाट) और टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (1000 मेगावाट) जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड परियोजना इन परियोजनाओं की श्रृंखला में एक नया अध्याय जोड़ेगी और पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिले को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेगी। उत्तराखंड में पहले से संचालित प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं में शामिल हैं:

  • टिहरी बांध (भागीरथी नदी, 2400 मेगावाट)
  • धौलीगंगा परियोजना (पिथौरागढ़, 280 मेगावाट)
  • मनेरी भाली परियोजना (उत्तरकाशी, 90 मेगावाट)
  • श्रीनगर जल विद्युत परियोजना (अलकनंदा, 330 मेगावाट)
  • टनकपुर परियोजना (शारदा, 120 मेगावाट)

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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