अजीबो-गरीब आदेश : कर्मचारियों को मंदिर में चावल चढ़ाने को कहा, अफसर को नोटिस जारी

अजीबो-गरीब आदेश : कर्मचारियों को मंदिर में चावल चढ़ाने को कहा, अफसर को नोटिस जारी

चम्पावत : उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग (PWD) में एक अजीबो-गरीब आदेश ने न केवल विभाग में हलचल मचा दी, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह मामला वायरल हो गया। लोहाघाट स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के कार्यालय से जारी इस आदेश में कर्मचारियों को दैवीय आस्था के नाम पर अपने घरों से दो मुट्ठी चावल लाकर मंदिर में चढ़ाने का निर्देश दिया गया। इसका कारण? एक अपर सहायक अभियंता की सेवा पुस्तिका का गायब होना! इस आदेश के बाद विभागीय आला अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार को नोटिस जारी कर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।

क्या है यह अजीबो-गरीब आदेश?

लोहाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के कार्यालय से अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार द्वारा 16 मई 2025 को आदेश संख्या 836/01ई0 जारी किया गया। इस आदेश में खंड के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिया गया कि वे अपने घरों से दो मुट्ठी चावल लाकर किसी मंदिर में चढ़ाएं। इस आदेश का आधार यह बताया गया कि कार्यालय में कार्यरत एक अपर सहायक अभियंता की सेवा पुस्तिका गायब हो गई है, जिसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना माना गया। आदेश में इसे दैवीय उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह माना गया कि चावल चढ़ाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। इस आदेश ने न केवल कर्मचारियों को हैरान किया, बल्कि विभागीय नियमों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े किए।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में तबादलों पर सवाल : एक डॉक्टर लाचार, दूसरी जबरन ट्रांसफर की शिकार

विभाग में मचा हड़कंप

यह अजीबो-गरीब आदेश जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, विभागीय आला अधिकारी हरकत में आ गए। इस घटना ने न केवल उत्तराखंड PWD की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही को भी चर्चा का विषय बना दिया। सोशल मीडिया पर बढ़ते दबाव और आलोचना के बाद प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष, व्यवस्थापन ‘क’ वर्ग, देहरादून ने इस मामले को गंभीरता से लिया। इसे कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 का उल्लंघन मानते हुए त्वरित कार्रवाई शुरू की गई।

अधिशासी अभियंता को नोटिस, स्पष्टीकरण मांगा

विभाग ने इस मामले में अधिशासी अभियंता आशुतोष कुमार को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि इस तरह का आदेश जारी करना कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 के प्रावधानों का उल्लंघन है। नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय के भीतर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी उनकी होगी। इसके साथ ही, सेवा पुस्तिका गायब होने के मामले की भी जांच शुरू की गई है। यह स्पष्ट नहीं है कि सेवा पुस्तिका का गायब होना लापरवाही का नतीजा है या इसके पीछे कोई अन्य कारण है।

कर्मचारी आचरण नियमावली क्या कहती है?

कर्मचारी आचरण नियमावली-2002 सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए व्यवहार और कर्तव्यों को निर्धारित करती है। इस नियमावली के तहत, किसी भी अधिकारी को गैर-प्रशासनिक या अवैज्ञानिक तरीके से आदेश जारी करने की अनुमति नहीं है। इस मामले में, दैवीय आस्था के आधार पर चावल चढ़ाने का आदेश न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह प्रशासनिक प्रक्रियाओं की गंभीरता को भी कमजोर करता है। सेवा पुस्तिका एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसमें कर्मचारी की सेवा से संबंधित सभी जानकारियां, जैसे नियुक्ति, पदोन्नति, और पेंशन विवरण, दर्ज होते हैं। इसका गायब होना गंभीर लापरवाही का मामला है, जिसके लिए FIR दर्ज करना या आंतरिक जांच शुरू करना उचित कदम होता। इसके बजाय, मंदिर में चावल चढ़ाने का आदेश प्रशासनिक प्रक्रियाओं पर सवाल उठाता है।

यह भी पढ़ें : जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में सड़क निर्माण की जांच के आदेश

इस प्रकरण ने खड़े किए कई सवाल

इस आदेश ने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रशासनिक निर्णयों में तर्क और नीति के बजाय आस्था को तरजीह देना कितना विवादास्पद हो सकता है। उत्तराखंड का लोक निर्माण विभाग सड़कों, पुलों, और राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है। इस तरह के अजीबो-गरीब आदेश न केवल विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं, बल्कि कर्मचारियों और जनता के बीच अविश्वास भी पैदा करते हैं। इस घटना ने एक बार फिर प्रशासनिक सुधारों और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया है।

  • क्या सरकारी कार्यालयों में दैवीय उपायों को आधार बनाना स्वीकार्य है?

  • क्या इस तरह के आदेश सरकारी प्रणाली की गंभीरता को कमजोर नहीं करते?

  • क्या यह आचरण नियमों का उल्लंघन नहीं है?

यह भी पढ़ें : Good News कैंची धाम के लिए दो लेन की नई सड़क बनेगी

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

यह आदेश जैसे ही सामने आया, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने इस सरकारी आदेश को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने इसे “अंधविश्वास को बढ़ावा” करार दिया, तो कईयों ने सरकारी सिस्टम की गंभीरता पर सवाल उठाए। फेसबुक और X पर कई यूजर्स ने इस आदेश को “हास्यास्पद” और “गैर-जिम्मेदाराना” बताया। एक यूजर ने लिखा, “यह 21वीं सदी का भारत है, और हमारे अधिकारी भगवान के भरोसे काम कर रहे हैं। सेवा पुस्तिका ढूंढने के लिए मंदिर जाना पड़ेगा?” वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे उत्तराखंड PWD में प्रशासनिक अक्षमता का प्रतीक बताया। X पर कई यूजर्स ने इस आदेश की कॉपी साझा करते हुए इसे “अफसर भगवान के भरोसे” करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “सेवा पुस्तिका गायब होने पर FIR दर्ज करने के बजाय मंदिर में चावल चढ़ाने का आदेश? यह कैसा प्रशासन है!”

उत्तराखंड की लेटेस्ट अपडेट न्यूज के लिए जुड़े रहें Uncuttimes.com से!

Uncut Times IPL 2025 ब्रेकिंग न्यूज़

Uncut Times हिंदी पत्रकारिता के अनुभवी मीडियाकर्मी। पिछले 30 सालों से प्रिंट और डिजिटल के विभिन्न माध्यमों के जरिए पत्रकारिता का लंबा अनुभव। हिंदी मीडिया की लेटेस्ट खबरें और सटीक जानकारियां। आप uncuttimesnews@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।


Discover more from Uncut Times - ब्रेकिंग न्यूज, फैक्ट चेक, विश्लेषण

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Scroll to Top