Nainital : उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद आचार संहिता भी लागू हो गई थी। 25 जून से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी थी लेकिन इन सभी तैयारियों के बीच नैनीताल हाईकोर्ट का यह आदेश आया है।
इस वजह से रोक
नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव में रिजर्वेशन पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से रोक लगाई है। बता दें कि 19 जून को पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। इससे पहले सभी आपत्तियों के निस्तारण को लेकर दावा किया गया था, लेकिन यह मामला अनसुलझा रहा और उत्तराखंड पंचायत चुनाव में आरक्षण रोटेशन को लेकर असंतोष हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
हाईकोर्ट में क्या हुआ
हाईकोर्ट में बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं। इनमें कहा है कि सरकार ने बीती नौ जून को एक आदेश जारी कर उत्तराखंड पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई। इसके अलावा 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव के लिए लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य करते हुए इस वर्ष से नया रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया गया जबकि हाईकोर्ट की ओर से पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए जा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी, वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। इस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं।
कोर्ट में सरकार का पक्ष
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ऐसे शुरू हुआ बखेड़ा
उत्तराखंड पंचायत चुनाव की अनंतिम सूची 13 जून को जारी कर दी गई थी। इसमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला और अनारक्षित श्रेणी में सीटों का वर्गीकरण किया गया था। जिले में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के वार्ड के आरक्षण का निर्धारण क्षेत्र की सबसे अधिक जनसंख्या वाले वर्ग के घटते क्रम के अनुसार किया गया। तो ग्राम पंचायत और ब्लाॅक प्रमुख पद का आरक्षण, आरक्षण के वर्गीकरण के अनुसार किया गया। इसमें 14 और 15 जून को आपत्तियां ली गईं।
यह था नया आरक्षण निर्धारण
इस बार तय किए गए आरक्षण आदेश के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इसके अलावा महिलाओं को पंचायतों में बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया गया। हालांकि हाईकोर्ट इस पर कानूनी तौर पर सहमत नहीं दिखा।
- आरक्षण वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया गया।
- जिला पंचायत अध्यक्ष पद में से:
- 2 पद SC
- 2 पद OBC के लिए आरक्षित।
- क्षेत्र पंचायत प्रमुख में:
- 3 पद ST
- 18 पद SC
- 15 पद OBC के लिए आरक्षित।
- ग्राम पंचायत प्रधान पद में:
- 226 पद ST
- 1467 पद SC
- 1250 पद OBC के लिए आरक्षित।
महिलाओं को पंचायतों में कितनी भागीदारी
उत्तराखंड सरकार ने पंचायतों में महिलाओं को राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। शासनादेश के अनुसार:
- जिला पंचायतों में 7 पद
- क्षेत्र पंचायत प्रमुख के 48 पद
- ग्राम प्रधान के 3909 पद
महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।
उत्तराखंड पंचायत चुनाव : आरक्षण का फार्मूला
पंचायतों में आरक्षण तय करने के लिए शासन ने एक स्पष्ट गणितीय फार्मूला अपनाया था:
“संबंधित जाति की जनसंख्या ÷ कुल जनसंख्या × कुल पदों की संख्या = आरक्षित पदों की संख्या”
उत्तराखंड पंचायत चुनाव : आरक्षण प्रक्रिया
क्र.सं. | प्रक्रिया | तिथि |
---|---|---|
1 | प्रधान पदों की संख्या का प्रकाशन | 11 जून 2025 |
2 | आरक्षण प्रस्तावों का अनंतिम प्रकाशन | 13 जून 2025 |
3 | आपत्तियों की प्राप्ति की तिथि | 14-15 जून 2025 |
4 | जिलाधिकारी द्वारा आपत्तियों का निस्तारण | 16-17 जून 2025 |
5 | आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन | 18 जून 2025 |
6 | प्रस्ताव निदेशालय को भेजे | 19 जून 2025 |
7 | शासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा | 19 जून 2025 |
किस पद के लिए कितने चुनाव
पद श्रेणी | कुल पदों की संख्या |
---|---|
सदस्य, ग्राम पंचायत | 55,587 |
प्रधान, ग्राम पंचायत | 7,499 |
सदस्य, क्षेत्र पंचायत | 2,974 |
सदस्य, जिला पंचायत | 358 |
कुल | 66,418 |
विपक्षी दलों का रुख
पंचायत चुनाव आरक्षण निर्धारण को कांग्रेस ने संविधान और पंचायतराज एक्ट विरोधी बताया है। हाल में कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेश प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट और पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने पत्रकार वार्ता की थी। इस दौरान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आरक्षण निर्धारण को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता मुरारी लाल खंडवाल भी शामिल हुए। पत्रकार वार्ता में कहा गया कि आरक्षण प्रक्रिया के विरोध में प्रदेशभर से लोगों ने करीब 4000 से अधिक आपत्तियां लगाई हैं। साथ ही जोड़ा कि आरक्षण शून्य किए जाने से लोगों में सरकार के खिलाफ रोष है।
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