बड़ी खबर : उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, जानिए क्यों?

Big News : उत्तराखंड पंचायत चुनाव जुलाई में होंगे, ओबीसी आरक्षण का रोडमैप भी तय

Nainital : उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी होने के बाद आचार संहिता भी लागू हो गई थी। 25 जून से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी थी लेकिन इन सभी तैयारियों के बीच नैनीताल हाईकोर्ट का यह आदेश आया है।

इस वजह से रोक

नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव में रिजर्वेशन पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से रोक लगाई है। बता दें कि 19 जून को पंचायतों में आरक्षण प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। इससे पहले सभी आपत्तियों के निस्तारण को लेकर दावा किया गया था, लेकिन यह मामला अनसुलझा रहा और उत्तराखंड पंचायत चुनाव में आरक्षण रोटेशन को लेकर असंतोष हाईकोर्ट तक पहुंच गया।

हाईकोर्ट में क्या हुआ

हाईकोर्ट में बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं। इनमें कहा है कि सरकार ने बीती नौ जून को एक आदेश जारी कर उत्तराखंड पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई। इसके अलावा 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव के लिए लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य करते हुए इस वर्ष से नया रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया गया  जबकि हाईकोर्ट की ओर से पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए जा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी, वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। इस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं।

कोर्ट में सरकार का पक्ष

इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खंडपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है। सरकार की ओर से आगे बताया गया कि एकलपीठ के समक्ष केवल नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख वाले 11 जून के आदेश को चुनौती दी गई है। इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर फिलहाल रोक लगाने का आदेश दिया।

ऐसे शुरू हुआ बखेड़ा

उत्तराखंड पंचायत चुनाव की अनंतिम सूची 13 जून को जारी कर दी गई थी। इसमें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला और अनारक्षित श्रेणी में सीटों का वर्गीकरण किया गया था। जिले में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत के वार्ड के आरक्षण का निर्धारण क्षेत्र की सबसे अधिक जनसंख्या वाले वर्ग के घटते क्रम के अनुसार किया गया। तो ग्राम पंचायत और ब्लाॅक प्रमुख पद का आरक्षण, आरक्षण के वर्गीकरण के अनुसार किया गया। इसमें 14 और 15 जून को आपत्तियां ली गईं।

यह था नया आरक्षण निर्धारण

इस बार तय किए गए आरक्षण आदेश के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इसके अलावा महिलाओं को पंचायतों में बड़े पैमाने पर प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया गया। हालांकि हाईकोर्ट इस पर कानूनी तौर पर सहमत नहीं दिखा।

  • आरक्षण वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर तय किया गया।
  • जिला पंचायत अध्यक्ष पद में से:
    • 2 पद SC
    • 2 पद OBC के लिए आरक्षित।
  • क्षेत्र पंचायत प्रमुख में:
    • 3 पद ST
    • 18 पद SC
    • 15 पद OBC के लिए आरक्षित।
  • ग्राम पंचायत प्रधान पद में:
    • 226 पद ST
    • 1467 पद SC
    • 1250 पद OBC के लिए आरक्षित।

महिलाओं को पंचायतों में कितनी भागीदारी

उत्तराखंड सरकार ने पंचायतों में महिलाओं को राजनीतिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। शासनादेश के अनुसार:

  • जिला पंचायतों में 7 पद
  • क्षेत्र पंचायत प्रमुख के 48 पद
  • ग्राम प्रधान के 3909 पद
    महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव : आरक्षण का फार्मूला

पंचायतों में आरक्षण तय करने के लिए शासन ने एक स्पष्ट गणितीय फार्मूला अपनाया था:

“संबंधित जाति की जनसंख्या ÷ कुल जनसंख्या × कुल पदों की संख्या = आरक्षित पदों की संख्या”

उत्तराखंड पंचायत चुनाव : आरक्षण प्रक्रिया 

क्र.सं.प्रक्रियातिथि
1प्रधान पदों की संख्या का प्रकाशन11 जून 2025
2आरक्षण प्रस्तावों का अनंतिम प्रकाशन13 जून 2025
3आपत्तियों की प्राप्ति की तिथि14-15 जून 2025
4जिलाधिकारी द्वारा आपत्तियों का निस्तारण16-17 जून 2025
5आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन18 जून 2025
6प्रस्ताव निदेशालय को भेजे19 जून 2025
7शासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपा19 जून 2025

किस पद के लिए कितने चुनाव

पद श्रेणीकुल पदों की संख्या
सदस्य, ग्राम पंचायत55,587
प्रधान, ग्राम पंचायत7,499
सदस्य, क्षेत्र पंचायत2,974
सदस्य, जिला पंचायत358
कुल66,418

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