Uttarakhand News : उत्तराखंड के पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उन पर अपने 20-25 समर्थकों के साथ मिलकर स्मार्ट मीटर बदलने गए बिजली विभाग के कर्मचारियों के साथ मारपीट करने और कई मीटरों को तोड़ने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में पुलिस ने जेई की तहरीर के आधार पर रणजीत रावत के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
क्या है पूरा मामला?
विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला, रामनगर के अवर अभियंता (जेई) चन्द्रलाल ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि 17 अप्रैल 2025 को शिवलालपुर चुंगी, काशीपुर रोड, रामनगर में विभागीय कार्यदायी संस्था के कर्मचारी पुराने मीटरों को हटाकर स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य कर रहे थे। इस कार्य की निगरानी स्वयं चन्द्रलाल और उनके सहयोगी जेई दुर्गेश कुमार जोशी कर रहे थे। इसी दौरान शाम करीब 5:30 बजे पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और पुराने मीटरों को दोबारा लगाने की मांग की।
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रोकने पर मारपीट करने का आरोप
तहरीर के अनुसार, जब कंपनी के प्रतिनिधियों ने मना किया, तो रावत और उनके समर्थकों ने जबरन स्मार्ट मीटरों को उखाड़कर जमीन पर पटक दिया, जिससे 5 मीटर क्षतिग्रस्त हो गए। इतना ही नहीं, कर्मचारियों से गाली-गलौज, धक्का-मुक्की और मारपीट की गई। जेई चन्द्रलाल के अनुसार, घटना में एक ड्रिल मशीन और उसकी दो बैटरियां भी गायब हो गईं। उन्होंने पूर्व विधायक और उनके समर्थकों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने और कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरे में डालने का आरोप लगाते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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रणजीत सिंह रावत कौन हैं?
रणजीत सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में एक प्रभावशाली नेता रहे हैं, जिन्होंने पार्टी संगठन और चुनावी राजनीति दोनों में सक्रिय भूमिका निभाई है। वे 2007 में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और अपने क्षेत्र में काफी प्रभाव रखते हैं। 2012 और 2022 में सल्ट से, तथा 2017 में रामनगर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे, लेकिन जीत नहीं पाए। वे उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (UKPCC) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी माने जाते थे, लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद उभर आए। 2022 के विधानसभा चुनावों में रामनगर सीट से टिकट न मिलने पर रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत पर टिकट वितरण में अनियमितताओं का आरोप लगाया।
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नैनीताल पुलिस का सख्त रवैया
रणजीत रावत के समर्थकों का दावा है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है, जबकि पुलिस का कहना है कि यह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई है। इस मामले में एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने स्पष्ट किया कि नैनीताल में कानून-व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता जनता की सुरक्षा और शांति बनाए रखना है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद पर रहा हो, कानून तोड़ने की स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।”
कानूनी प्रक्रिया और अगले कदम
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और आरोपियों से पूछताछ की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में और भी लोगों के शामिल होने की संभावना है, और पुलिस जल्द ही अतिरिक्त कार्रवाई कर सकती है। नैनीताल पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखें। यह मामला न केवल नैनीताल, बल्कि पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन गया है।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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