Uttarakhand News : देवभूमि उत्तराखंड का हर कोना इतिहास और पाषाण कालीन सभ्यता को संजोए हुए है। इसी कड़ी में अल्मोड़ा जिले के ध्यूलीकोट क्षेत्र में पुरातत्वविदों ने एक महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक शैलाश्रय (Rock Shelter) खोज निकाला है। यह खोज इतिहास प्रेमियों के लिए अमूल्य है और भविष्य में पर्यटन के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकती है।
12 मीटर परिधि में फैला शैलाश्रय
अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक के रौनडाल गांव के पास, मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर दूर, टापू-नुमा पहाड़ी पर यह शैलाश्रय मिला है। यह करीब 12 मीटर परिधि में फैला हुआ है।
शैलाश्रय की खासियत यह है कि इसमें पत्थर से बनी तीन पारंपरिक ओखलियां मिली हैं। इनकी गहराई लगभग 14–15 सेंटीमीटर और चौड़ाई 12–14 सेंटीमीटर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां प्राचीन काल में सामूहिक गतिविधियां होती होंगी।
नवपाषाण से ताम्रपाषाण युग का अनुमान
विशेषज्ञों के अनुसार यह शैलाश्रय नवपाषाण से ताम्रपाषाण युग (4000–2000 ईसा पूर्व) का हो सकता है। फिलहाल इस स्थल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का अध्ययन शुरू हो चुका है।
अल्मोड़ा में पहले भी मिले शैलाश्रय
अल्मोड़ा जिला प्रागैतिहासिक स्थलों से समृद्ध रहा है। लखुडियार, पेटशाल, कसार देवी, फड़कानौला, फलसीमा, ल्वेथाप और महरूउड्यार जैसे क्षेत्रों में पहले भी शैलाश्रय मिल चुके हैं। ध्यूलीकोट का यह शैलाश्रय एक ऊंचे स्थान पर है, जहां से अल्मोड़ा और लोधिया क्षेत्र साफ दिखाई देते हैं। रणनीतिक दृष्टि से भी यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कड़की उड़यार : 10 मीटर ऊंची गुफा
ध्यूलीकोट से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर कड़की उड़यार में पुरातत्वविदों को एक और गुफा मिली है।
- लंबाई : लगभग 4 मीटर
- चौड़ाई : करीब 3 मीटर
- ऊपर छतनुमा पत्थर की ऊंचाई : लगभग 10 मीटर
इस गुफा में एक साथ 10 लोग खड़े हो सकते हैं और 15–20 लोग बैठ सकते हैं। इसमें एक प्राकृतिक छेद भी मौजूद है, जिससे हवा और प्रकाश का आवागमन होता था।
प्राचीन सभ्यता पर नई रोशनी
ध्यूलीकोट और कड़की उड़यार में मिली यह खोज उत्तराखंड की प्राचीन सभ्यता और जीवन शैली पर नई रोशनी डालती है। यह न केवल इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में अल्मोड़ा को पुरातात्विक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने की क्षमता भी रखती है।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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