हल्द्वानी/अम्मान। उत्तराखंड की बेटी नव्या पांडे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और संकल्प से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। नव्या ने जॉर्डन की राजधानी अम्मान में आयोजित नौवीं एशियन जु-जित्सू चैंपियनशिप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 45 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि नव्या भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं, जिन्होंने जु-जित्सू की एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है।
कौन हैं नव्या पांडे?
हल्द्वानी की रहने वाली नव्या पांडे ने बहुत ही कम उम्र में जु-जित्सू जैसे कठिन खेल में महारत हासिल की। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। लेकिन यह स्वर्ण पदक उनकी मेहनत और समर्पण का परम फल है। नव्या का सपना है कि वे आने वाले समय में विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक स्तर पर भी भारत का नाम रोशन करें।
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जु-जित्सू एक ऐसा मार्शल आर्ट है जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक ताकत को भी बढ़ाता है। यह खेल भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, और नव्या जैसे खिलाड़ियों की सफलता इसे और प्रोत्साहन दे रही है। भारतीय जु-जित्सू महासंघ ने भी नव्या की जीत की सराहना की और कहा कि यह भारत में इस खेल के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी बधाई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नव्या पांडे को फोन कर व्यक्तिगत रूप से बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने नव्या से जल्द मुलाकात करने की इच्छा भी जताई। इस मौके पर नव्या ने भी उत्तराखंड सरकार का आभार जताते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा उन्हें जो खेल कोटे के अंतर्गत वन विभाग में नौकरी दी गई थी, उसने उन्हें आत्मनिर्भर बनने और अपने खेल को जारी रखने में मदद की।
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कोच ने क्या कहा
नव्या की इस उपलब्धि पर उनके कोच अंजना रानी ने कहा, “नव्या एक समर्पित और अनुशासित खिलाड़ी हैं। उनकी यह जीत उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। हमें उन पर गर्व है।” खेल निदेशक, उत्तराखंड जितेंद्र सोनकर ने कहा, “नव्या की यह उपलब्धि खेल कोटे के तहत दी गई नौकरियों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है। यह कदम न केवल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करता है, बल्कि अन्य युवाओं को भी खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।”
उत्तराखंड और भारत का नाम किया रोशन
नव्या की इस ऐतिहासिक उपलब्धि से न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में गर्व और खुशी की लहर दौड़ गई है। उनकी सफलता ने यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत की बेटियाँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, चाहे वह खेल का अखाड़ा हो या जीवन का कोई और मैदान। नव्या की जीत देश के लाखों युवाओं, खासकर बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।


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