देहरादून। उत्तराखंड में इस वर्ष का मानसून सीजन प्राकृतिक आपदाओं और लगातार हुई भारी बारिश के कारण बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। 26 सितंबर को मानसून ने प्रदेश से पूरी तरह विदाई ले ली, लेकिन इसके पीछे व्यापक तबाही, जनहानि और नुकसान की लंबी सूची छोड़ गया।
बादल फटना, भूस्खलन और जनजीवन प्रभावित
इस बार मानसून के दौरान बादल फटने, भूस्खलन और लगातार भारी वर्षा से कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। धराली और थराली जैसे क्षेत्रों में अगस्त और सितंबर के दौरान रिकॉर्ड बारिश हुई। भूस्खलन की वजह से सड़क मार्ग बार-बार बाधित हुए, कई गांवों का संपर्क कटा और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा।
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार उत्तराखंड में सामान्य से 22% अधिक बारिश दर्ज की गई।
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
- बागेश्वर: सामान्य से 241% अधिक बारिश
- चमोली: 89% अधिक
- टिहरी गढ़वाल: 58% अधिक
- हरिद्वार: 55% अधिक
दूसरी ओर, कुछ जिलों में मानसून कमजोर रहा। पौड़ी गढ़वाल में सामान्य से 30% कम और चंपावत में 7% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई।
सितंबर में रिकॉर्ड बारिश
केवल सितंबर माह में ही राज्य में सामान्य से 41% अधिक वर्षा दर्ज हुई।
- बागेश्वर: 244% अधिक
- देहरादून: 118% अधिक
- पौड़ी गढ़वाल: 44% कम
पिछले साल की तुलना
2024 के मुकाबले इस बार 9% अधिक बारिश हुई। पिछले वर्ष राज्य के 69% हिस्से में सामान्य, 23% हिस्से में सामान्य से अधिक और 8% हिस्से में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई थी।
मौसम विभाग का बयान
उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सीएस तोमर ने पुष्टि की कि 26 सितंबर को मानसून प्रदेश से विदा हो गया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कुछ जिलों में अत्यधिक बारिश हुई है, जबकि कुछ क्षेत्रों में मानसून अपेक्षाकृत कमजोर रहा।
उत्तराखंड का मानसून सीजन 2025 भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं की वजह से हमेशा याद रखा जाएगा। यह मौसम एक ओर जल संसाधनों को भर गया, वहीं दूसरी ओर भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं ने लोगों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी।


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