जल जीवन मिशन में 450 करोड़ का घोटाला? उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने उठाए सवाल

जल जीवन मिशन में 450 करोड़ का घोटाला उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने उठाए सवाल

देहरादून। जल जीवन मिशन, जिसका उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है, अब घोटालों और अनियमितताओं के आरोपों के घेरे में है। मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति के संस्थापक और उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी ने जल जीवन मिशन के तहत बन रही पेयजल योजनाओं में 450 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने इसे “नल कमीशन मिशन” करार देते हुए जल निगम के अधिकारियों और बाहरी कंपनियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। डिमरी का कहना है कि गांवों में पानी की किल्लत बरकरार है, जबकि कागजों पर योजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

आरोप : जल जीवन मिशन बना कमीशन मिशन

देहरादून के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मोहित डिमरी ने जल जीवन मिशन की पेयजल योजनाओं को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने कहा कि गढ़वाल मंडल में जल जीवन मिशन के तहत 800 करोड़ रुपये की लागत से 44 पेयजल योजनाओं का निर्माण चल रहा है, लेकिन इनमें से कई योजनाएं अनियमितताओं और धीमी प्रगति के कारण सवालों के घेरे में हैं। डिमरी ने जल निगम के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान और मुख्य अभियंता संजय सिंह पर भी आरोप लगाया। उनका दावा है कि इन अधिकारियों की कुछ कंपनियों के साथ साझेदारी है, जिसके कारण ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को भी संरक्षण दिया जा रहा है।

क्या हैं आरोप?

  • बाहर की कंपनियों को ठेके दिए जा रहे हैं, जिनमें कई ब्लैकलिस्ट कंपनियां शामिल हैं।

  • स्थानीय ठेकेदारों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

  • परियोजनाओं का कार्य अत्यधिक धीमा है और अनुबंध शर्तों का उल्लंघन खुलेआम हो रहा है।

  • जल निगम के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, और कुछ अधिकारी “स्लीपिंग पार्टनर” के रूप में काम कर रहे हैं।

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विवादित कंपनी पर निशाना साधा

मोहित डिमरी ने हरियाणा की कंपनी यूनिप्रो टेक्नो इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर विशेष रूप से निशाना साधा। इस कंपनी को गढ़वाल मंडल में 372 करोड़ रुपये की लागत से 17 पेयजल प्रोजेक्ट्स सौंपे गए हैं। डिमरी ने बताया कि रुद्रप्रयाग में नवासू-खेड़ाखाल, क्वीलाखाल-सौंदा पम्पिंग योजना, और चोपता पेयजल योजना के साथ-साथ चमोली में कांडा-मैखुरा ग्राम समूह पंपिंग योजना का निर्माण इस कंपनी द्वारा किया जा रहा है।

उनका आरोप है कि इन प्रोजेक्ट्स में अनुबंध शर्तों का उल्लंघन, धीमी प्रगति, और अनियमितताएं देखी गई हैं। यही कारण है कि इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश की गई थी। इसके बावजूद, हल्द्वानी में 100 करोड़ रुपये की नई पेयजल योजना का ठेका उसी कंपनी को दिया जा रहा है। डिमरी ने सवाल उठाया कि जल निगम के अधिकारी इस कंपनी के प्रति इतनी मेहरबानी क्यों दिखा रहे हैं?

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अन्य जनपदों में भी घोटालों का आरोप

  • नैनीताल में 46 करोड़ के पेयजल और सीवरेज प्रोजेक्ट यूपी की चार कंपनियों को दिए गए हैं।

  • उत्तरकाशी में संगराली-पाटा योजना पर दो बार 7-7 करोड़ रुपये खर्च हुए।

  • थराली (चमोली) में सुनला योजना के तहत 1.5 किमी पाइपलाइन ही गायब हो गई।

  • टिहरी, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा में भी 10 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले सामने आ चुके हैं।

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आंदोलन की चेतावनी

डिमरी ने सवाल उठाया कि उत्तराखंड में स्थानीय कॉन्ट्रैक्टर्स की कमी नहीं है, फिर क्यों बाहरी राज्यों की कंपनियों को इतने बड़े प्रोजेक्ट सौंपे जा रहे हैं? उन्होंने नैनीताल में 46 करोड़ रुपये के सीवरेज और पेयजल प्रोजेक्ट्स का उदाहरण दिया, जो उत्तर प्रदेश की चार कंपनियों (लखनऊ, बरेली, और कानपुर) को दिए गए हैं। मोहित डिमरी ने चेतावनी दी है कि यदि जल जीवन मिशन में कथित घोटालों के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि संबंधित विभागीय कार्यालयों में तालाबंदी की जाएगी और जनता को सड़कों पर उतरना पड़ेगा।

प्रशासन की ओर से अभी तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, डिमरी ने मांग की है कि जल निगम के अधिकारियों और संबंधित कंपनियों के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच हो। उन्होंने मुख्य सचिव और पेयजल सचिव से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग करने की बात कही है।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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