Dehradun / Haldwani News : उत्तराखंड के लोक कलाकारों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। उत्तराखंड सूचना विभाग ने प्रदेश के सभी 13 जिलों में रहने वाले लोक कलाकारों के लिए रोजगार के नए अवसर खोल दिए हैं। इसके तहत कलाकारों के ऑडिशन आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि उन्हें सूचना विभाग की नीति के आधार पर A, B, और C श्रेणियों में सूचीबद्ध किया जा सके। गढ़वाल मंडल के सात जिलों में 13 मई 2025 से शुरू हुए ऑडिशन में अब तक 190 दलों ने हिस्सा लिया है। अब 26 मई 2025 से कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में ऑडिशन शुरू होंगे। इस पहल से प्रदेश के करीब 2,500 लोक कलाकारों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
लोक कलाकारों की तलाश शुरू
सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक के.एस. चौहान ने बताया कि उत्तराखंड सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए लोक कलाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ये कलाकार संगीत, गीत, और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से गांव-गांव में जाकर लोगों को सरकारी योजनाओं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, और ग्रामीण विकास से संबंधित जानकारी देते हैं। इसके लिए सूचना विभाग ने प्रदेश के सभी 13 जिलों—देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, और ऊधमसिंह नगर—में ऑडिशन की प्रक्रिया शुरू की है। यह प्रक्रिया हर तीन साल में दोहराई जाती है, ताकि नए और पुराने कलाकारों को समान अवसर मिल सकें।
ये है ऑडिशन की प्रक्रिया
- गढ़वाल मंडल: 13 मई 2025 से शुरू हुए ऑडिशन में अब तक 190 लोक कला दलों ने अपने प्रदर्शन और साक्षात्कार दिए हैं। इनमें नुक्कड़ नाटक, लोकगीत, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल हैं।
- कुमाऊं मंडल: 26 मई 2025 से कुमाऊं के छह जिलों में ऑडिशन शुरू होंगे। यह प्रक्रिया जून के पहले सप्ताह तक पूरी होने की उम्मीद है।
- श्रेणीकरण: ऑडिशन के आधार पर कलाकारों को A, B, और C श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। यह वर्गीकरण उनकी प्रस्तुति, अनुभव, और रचनात्मकता के आधार पर होगा।
- रोजगार के अवसर: सूचीबद्ध कलाकारों को सरकारी कार्यक्रमों, प्रचार अभियानों, और सांस्कृतिक आयोजनों में प्रदर्शन के लिए अनुबंधित किया जाएगा।
गढ़वाल में 190 दलों के ऑडिशन
गढ़वाल मंडल के सात जिलों—देहरादून, हरिद्वार, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, और पौड़ी गढ़वाल—में 13 मई से ऑडिशन शुरू हो चुके हैं। अब तक 190 दलों ने अपने प्रदर्शन दिए हैं, जिनमें लोक नृत्य, गीत, नुक्कड़ नाटक, और वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां शामिल हैं। संयुक्त निदेशक के.एस. चौहान ने बताया कि इन ऑडिशनों में कलाकारों ने अपनी कला के साथ-साथ सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता भी दिखाई।
कुमाऊं में ऑडिशन 26 मई से
कुमाऊं मंडल के छह जिलों—अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, और ऊधमसिंह नगर—में 26 मई से ऑडिशन शुरू होंगे। इन ऑडिशनों में भाग लेने के लिए कलाकारों को सूचना विभाग के स्थानीय कार्यालयों से संपर्क करना होगा। ऑडिशन में भाग लेने के लिए कोई शुल्क नहीं है, और सभी इच्छुक कलाकारों को समान अवसर प्रदान किया जाएगा। के.एस. चौहान ने बताया कि कुमाऊं में भी गढ़वाल की तरह उत्साह देखने को मिल रहा है। कई स्थानीय कलाकार समूहों ने पहले ही अपनी सहमति जता दी है। ऑडिशन में कुमाऊंनी लोकगीत, जागर, न्योली, और छोलिया नृत्य जैसे प्रदर्शनों को प्राथमिकता दी जाएगी।
A, B और C श्रेणी में होगा वर्गीकरण
सूचना विभाग के अनुसार कलाकारों को तीन श्रेणियों – A, B और C में सूचीबद्ध किया जाएगा। यह श्रेणी उनके प्रदर्शन, अनुभव और प्रस्तुति कौशल के आधार पर तय होगी। सूचीबद्ध कलाकारों को विभाग द्वारा राज्य सरकार की योजनाओं के प्रचार के लिए कार्यक्रमों में शामिल किया जाएगा। सूचना विभाग हर तीन साल में लोक कलाकारों के ऑडिशन आयोजित करता है, ताकि उनकी प्रतिभा का मूल्यांकन और वर्गीकरण किया जा सके।
- प्रदर्शन मूल्यांकन: कलाकारों को अपनी कला प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाता है, जिसमें उनकी रचनात्मकता, प्रस्तुति, और संदेश देने की क्षमता का आकलन होता है।
- श्रेणीकरण: प्रदर्शन के आधार पर कलाकारों को A, B, और C श्रेणियों में बांटा जाता है। A श्रेणी के कलाकारों को बड़े सरकारी आयोजनों में प्राथमिकता दी जाती है, जबकि B और C श्रेणी के कलाकार स्थानीय और क्षेत्रीय कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
- अनुबंध: सूचीबद्ध कलाकारों को सरकारी कार्यक्रमों के लिए अनुबंधित किया जाता है, जिसमें उन्हें मानदेय और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
- प्रशिक्षण: कुछ मामलों में, कलाकारों को सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
उत्तराखंड की लोक कला को मिलेगी पहचान
उत्तराखंड अपनी समृद्ध लोक कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। गढ़वाली, कुमाऊंनी, और जौनसारी लोकगीत, नृत्य, और नाटक न केवल स्थानीय संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि यह लोगों को एकजुट करने और सामाजिक संदेश फैलाने का भी एक प्रभावी माध्यम हैं। उत्तराखंड की लोक कला, जैसे गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकगीत, छोलिया नृत्य, जागर, और नुक्कड़ नाटक, न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश देने का भी एक प्रभावी माध्यम हैं। ये कलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को एकजुट करती हैं और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाती हैं। सूचना विभाग की यह पहल इन कलाओं को न केवल संरक्षित करेगी, बल्कि इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी ले जाएगी।


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