हल्द्वानी : उत्तराखंड जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य का पहला ‘साइकैड गार्डन’ हल्द्वानी में स्थापित किया गया है। हल्द्वानी साइकैड गार्डन न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन अध्ययन और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देगा।
क्या है साइकैड?
साइकैड्स (Cycads) पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे प्राचीन पौधों में से एक हैं। इनका इतिहास 252 मिलियन वर्ष पुराना है, जब पृथ्वी पर डायनासोर विचरण करते थे। ये पौधे जीवित जीवाश्म (Living Fossil) माने जाते हैं, जो आज भी पृथ्वी के कुछ हिस्सों में सीमित संख्या में जीवित हैं। मेसोजोइक युग में ये पौधे डायनासोरों के भोजन और पारिस्थितिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। आज भी इनका पारिस्थितिक, औषधीय, और सांस्कृतिक महत्व है। प्राचीन काल में साइकैड्स के बीजों का उपयोग भोजन और दवाओं के लिए होता था, जबकि उनके सजावटी पत्ते धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होते थे। हालांकि, अवैध व्यापार, आवास विनाश, और जलवायु परिवर्तन ने साइकैड्स को संकट में डाल दिया है। हल्द्वानी साइकैड गार्डन इन प्रजातियों को प्रजनन और संरक्षण के लिए एक सुरक्षित माहौल प्रदान करता है, जो वैश्विक स्तर पर साइकैड संरक्षण के प्रयासों का हिस्सा है।
हल्द्वानी साइकैड गार्डन की स्थापना
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के नेतृत्व में यह गार्डन रामपुर रोड स्थित वन अनुसंधान मुख्यालय परिसर में विकसित किया गया है। यह परियोजना जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से पूरी की गई।
विशेषता | जानकारी |
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कुल क्षेत्रफल | लगभग दो एकड़ (0.75 हेक्टेयर) |
संरक्षित साइकैड प्रजातियां | 31 प्रजातियां |
संकटग्रस्त प्रजातियां | 17 प्रजातियां (IUCN द्वारा चिन्हित) |
कुल ज्ञात साइकैड प्रजातियां | 300+ |
संकटग्रस्त साइकैड का वैश्विक प्रतिशत | 60% (IUCN के अनुसार) |
भारत में पाई जाने वाली प्रजातियां | साइकस बेडोमी, साइकस अंडमानिका, साइकस ज़ेलेनिका, साइकस पेक्टिनाटा |
वैश्विक संकटग्रस्त प्रजातियां | ज़ामिया, एंथेरोस्टेरा, माइक्रोसाइकस |
जैव विविधता संरक्षण में नया अध्याय
उत्तराखंड वन अनुसंधान विभाग पहले ही बायोडायवर्सिटी पार्क जैसे प्रयासों से वनस्पति संरक्षण में योगदान देता आया है। यह साइकैड गार्डन बायो-डायवर्सिटी और क्लाइमेट एक्शन का नया केंद्र बनेगा। संजीव चतुर्वेदी, जो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार विजेता भी हैं, का यह प्रयास स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक सराहना बटोर रहा है।
संजीव चतुर्वेदी ने बताया,
“साइकैड गार्डन जैव विविधता संरक्षण और वैज्ञानिक शोध की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह गार्डन न केवल संकटग्रस्त साइकैड्स को बचाएगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने में भी योगदान देगा।”
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र की पहल
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने जैव विविधता संरक्षण में पहले भी कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। रामपुर रोड पर स्थित बायो डायवर्सिटी पार्क में 16 दुर्लभ वनस्पतियों को संरक्षित किया गया है। संजीव चतुर्वेदी, जो मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रसिद्ध हैं, ने इस गार्डन को जैव विविधता और वैज्ञानिक शोध का केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से यह गार्डन स्थानीय समुदायों, स्कूलों, और कॉलेजों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करेगा। गार्डन में शैक्षिक भ्रमण, सेमिनार, और शोध कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जो विशेष रूप से वनस्पति विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, और पारिस्थितिकी के छात्रों के लिए लाभकारी होंगी।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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