आयुष्मान योजना में सख्ती : उत्तराखंड के इन 5 अस्पतालों को किया बाहर

आयुष्मान योजना में सख्ती : उत्तराखंड के पांच अस्पतालों की संबद्धता समाप्त

Uttarakhand News : उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण प्रदेश ने पांच निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की है। मानकों के उल्लंघन को लेकर इनको आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया है। इन पांचों अस्पतालों ने पिछले छह महीने से आयुष्मान योजना के तहत किसी भी लाभार्थी का इलाज नहीं किया, जो आयुष्मान भारत योजना की शर्तों का उल्लंघन है।

इन अस्पतालों की संबद्धता समाप्त 

क्रमांकअस्पताल का नामस्थान
1जीवन ज्योति क्लीनिकदेहरादून
2मार्स हॉस्पिटलदेहरादून
3श्री सिद्धि विनायक हेल्थ सेंटरदेहरादून
4बिष्ट हॉस्पिटलपिथौरागढ़
5आई साइट सुपर स्पेशलिटी आई केयर सेंटरऊधमसिंह नगर

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अनुसार, इन पांचों अस्पतालों ने पिछले छह महीने से आयुष्मान योजना के तहत किसी भी लाभार्थी का इलाज नहीं किया, जो योजना की सक्रियता की शर्तों का उल्लंघन है। यह निष्क्रियता जनहित और योजना की पारदर्शिता के खिलाफ है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रीना जोशी ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत योजना में सूचीबद्ध प्रत्येक अस्पताल को मानकों के अनुरूप सक्रिय रूप से कार्य करना अनिवार्य है। निष्क्रिय अस्पतालों की पहचान कर उनकी संबद्धता समाप्त की जा रही है, ताकि योजना का वास्तविक लाभ हर पात्र लाभार्थी तक पहुंच सके।

क्या है आयुष्मान योजना?

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना, जिसे 25 दिसंबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुरू किया था, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) का हिस्सा है। यह योजना उत्तराखंड के सभी परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक की मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान करती है। इसके तहत 1350 प्रकार की गंभीर बीमारियों का इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त किया जाता है। वर्तमान में, उत्तराखंड में 102 सरकारी और 176 निजी अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं। अभी तक 56 लाख 5 हजार गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं, जिनमें से 11 लाख 15 हजार मरीजों ने मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया है।

पहले भी हुई कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान योजना के तहत सख्त कार्रवाई की हो। 2022 में, 37 अस्पतालों के खिलाफ गलत बिल प्रस्तुत करने के लिए कार्रवाई की गई थी, और 60 करोड़ रुपये से अधिक के बिल निरस्त किए गए थे। प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष डीके कोटिया ने तब कहा था कि क्लेम भुगतान की प्रक्रिया पारदर्शी और कड़ी ऑडिट के अधीन है, जिसमें फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा, निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों से अनुचित शुल्क वसूलने और इमरजेंसी में इलाज शुरू करने में देरी जैसे मामले भी सामने आए हैं। प्राधिकरण ने इस तरह की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए अस्पतालों को तत्काल इलाज शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

लाभार्थियों के लिए सुझाव

  • अस्पताल की सूची जांचें: इलाज से पहले यह सुनिश्चित करें कि अस्पताल आयुष्मान योजना से संबद्ध है। इसके लिए उत्तराखंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की आधिकारिक वेबसाइट https://health.uk.gov.in/ या हेल्पडेस्क से संपर्क करें।

  • गोल्डन कार्ड: हमेशा अपना गोल्डन कार्ड साथ रखें और इमरजेंसी में तुरंत अस्पताल में दिखाएं।

  • शिकायत निवारण: यदि कोई अस्पताल अनुचित शुल्क वसूलता है या इलाज में देरी करता है, तो प्राधिकरण के हेल्पलाइन नंबर (1800-180-1212) पर शिकायत दर्ज करें।

  • जागरूकता: योजना के तहत उपलब्ध 1350 बीमारियों और पैकेजों की जानकारी प्राप्त करें ताकि आप अपने अधिकारों को समझ सकें।

समय-समय पर मॉनिटरिंग

राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और उत्तराखंड सरकार का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आयुष्मान योजना का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचे। स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा कि सरकार हर पात्र नागरिक को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए समय-समय पर मॉनिटरिंग, ऑडिट, और सख्त कार्रवाई की जा रही है।

आयुष्मान योजना में वित्तीय चुनौतियां

आयुष्मान योजना ने उत्तराखंड में लाखों लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की हैं, लेकिन यह योजना वित्तीय चुनौतियों का भी सामना कर रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में, 150 करोड़ रुपये का अंशदान जमा हुआ, जबकि लाभार्थियों के उपचार पर 335 करोड़ रुपये का खर्च हुआ। इस वजह से कई अस्पतालों का 80 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। सरकार ने प्राधिकरण को एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय बोझ को कम किया जा सके और सुविधाएं निर्बाध रूप से जारी रहें।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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