निजीकरण का विरोध : उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल 29 से, सरकार ने दी चेतावनी

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की निजीकरण विरोधी हड़ताल 29 से, सरकार ने दी चेतावनी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बिजली कर्मचारियों ने 29 मई 2025 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। इस आंदोलन के जवाब में योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों को कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

मुख्य सचिव ने दिए स्पष्ट निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्थिति की समीक्षा की और निर्देश दिए कि हड़ताल को किसी भी सूरत में नहीं होने दिया जाए। उन्होंने प्रशासन को आवश्यक सुरक्षा और वैकल्पिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने को कहा ताकि जनता को बिजली आपूर्ति में कोई समस्या न हो। सरकार का कहना है कि बिजली कर्मचारियों की संघर्ष समिति पूर्व में भी अवैध मांगों के समर्थन में कर्मचारियों को भड़का चुकी है, जिससे आम जनता को बिजली कटौती और सेवा बाधाओं का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर वही प्रयास किया जा रहा है, जिससे राज्य में अव्यवस्था फैल सकती है।

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पावर कॉर्पोरेशन का परामर्श: हड़ताल पर कार्रवाई तय

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने सभी वितरण कंपनियों को परामर्श जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई भी कर्मचारी बिजली आपूर्ति में बाधा डालने की कोशिश करता है, तो उस पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। कॉर्पोरेशन ने सभी कर्मचारियों को चेताया है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों का पालन करें। साथ ही यह भी कहा गया है कि कार्य बहिष्कार, धरना या विरोध प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों की जानकारी उनकी व्यक्तिगत सेवा फाइल में दर्ज की जाएगी, जिससे उनकी पदोन्नति, वेतन वृद्धि और अन्य लाभ प्रभावित हो सकते हैं।

सरकार की तैयारियां

  • वैकल्पिक कर्मचारी: लोक निर्माण विभाग (PWD), सिंचाई विभाग, और राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के कर्मचारियों और इंजीनियरों को बिजली उपकेंद्रों पर तैनात करने की योजना बनाई गई है।

  • संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा: अस्पतालों, जल आपूर्ति प्रणालियों, और सरकारी कार्यालयों जैसे संवेदनशील स्थानों पर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की व्यवस्था की गई है।

  • पुलिस तैनाती: सभी बिजलीघरों और उपकेंद्रों पर पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि तोड़फोड़ या अशांति को रोका जा सके।

  • कंट्रोल रूम: शक्ति भवन में 24 घंटे मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है, और टोल-फ्री नंबर 1912 पर शिकायतों का त्वरित समाधान किया जाएगा।

  • निर्देश दिए गए हैं कि संवेदनशील प्रतिष्ठानों जैसे अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, और टेलीकॉम टावरों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाए।

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उपभोक्ता परिषद भी उठा रही आवाज़

इस विवाद के बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। परिषद के प्रतिनिधि लगातार धरना प्रदर्शन और विरोध गतिविधियों में शामिल हैं और सरकार से पारदर्शी नीति की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या दोनों पक्षों के बीच कोई समझौता हो पाता है या यह हड़ताल प्रदेश में बिजली संकट को और गहरा देगी।

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निजीकरण का इतिहास और पूर्व हड़तालें

उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण का मुद्दा नया नहीं है। वर्ष 2020 में भी कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ हड़ताल की थी, जिसके बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने निजीकरण का प्रस्ताव तीन महीने के लिए टाल दिया था। 2022 में हुई हड़ताल ने प्रदेश में बिजली आपूर्ति को बुरी तरह प्रभावित किया था, जिसके बाद सरकार ने 1,332 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं और 22 कर्मचारियों पर ESMA के तहत केस दर्ज किए थे। 2023 में 72 घंटे की हड़ताल के बाद ऊर्जा मंत्री एकेए शर्मा के साथ वार्ता के बाद आंदोलन समाप्त हुआ था, लेकिन कर्मचारियों का दावा है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं।

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