IAS Abhishek Prakash Suspended: यूपी सरकार ने कड़ा एक्शन लेते हुए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। उन पर एक उद्योगपति से 5% कमीशन मांगने का आरोप लगा है। इसी के चलते उन्होंने सोलर प्रोजेक्ट की फाइल रोक रखी थी और मंजूरी के लिए दबाव बना रहे थे। इस मामले में STF ने उनके करीबी निकांत जैन को गिरफ्तार कर लिया है। IAS अभिषेक प्रकाश फिलहाल अंडरग्राउंड हो गए हैं और किसी के संपर्क में नहीं हैं।
STF जांच में दोषी पाए गए
STF की जांच में IAS अभिषेक प्रकाश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए। वह वर्तमान में औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के पद पर तैनात थे। उन पर डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक उद्यमी ने सोलर इंडस्ट्री स्थापित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी में आवेदन किया था, जिसके बदले कथित तौर पर कमीशन मांगा गया। इस मामले की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ से की गई थी। STF ने जांच में पाया कि आरोप सही हैं, जिसके बाद निकांत जैन को गिरफ्तार कर लिया गया और अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया।
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- नाम: अभिषेक प्रकाश
- जन्म: 21 दिसंबर 1982, बिहार
- शिक्षा: IIT रुड़की से B.Tech
- UPSC CSE 2005: ऑल इंडिया 8वीं रैंक
- बैच: 2006 बैच के IAS अधिकारी
प्रशासनिक करियर:
- 2011-12: लखीमपुर खीरी के DM
- DM के रूप में कार्यकाल: लखनऊ, हमीरपुर, बरेली और अलीगढ़
- 31 अक्टूबर 2019 – 7 जून 2022: लखनऊ के जिलाधिकारी
- 23 अक्टूबर 2020 – 25 जुलाई 2021: LDA वीसी के रूप में कार्य किया
- मौजूदा पद: औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ
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अब तक STF ने निकांत जैन को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन IAS अभिषेक प्रकाश की भूमिका की गहन जांच जारी है। यदि पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो उनकी गिरफ्तारी संभव है। सरकार अब इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई कर सकती है। यदि आगे की जांच में और गंभीर सबूत मिलते हैं तो उन पर चार्जशीट दायर की जा सकती है और गिरफ़्तारी भी संभव है। उन्होंने लखनऊ के जिलाधिकारी (DM) के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के वीसी की भी जिम्मेदारी संभाली थी।
IAS अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया
भारत में किसी भी IAS अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- प्रारंभिक जांच – सरकार या स्वतंत्र एजेंसी (जैसे STF, CBI) द्वारा जांच की जाती है।
- निलंबन (Suspension) – प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर सरकार अधिकारी को सस्पेंड कर सकती है।
- विभागीय जांच (Departmental Inquiry) – अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत विस्तृत जांच की जाती है।
- चार्जशीट और दंड – यदि अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उन्हें वेतन कटौती, पदावनति या सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
- लोक अभियोजन (Criminal Proceedings) – यदि गंभीर भ्रष्टाचार का मामला हो तो CBI या ED जैसी एजेंसियां केस दर्ज कर सकती हैं।
स्रोत: भारत में IAS अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया
यूपी में भ्रष्टाचार पर अब तक 11 अधिकारियों पर गाज
यूपी में यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। अपने कार्यकाल में वह अब तक 11 अधिकारियों को निलंबित कर चुके हैं, हालांकि इनमें से कई को बाद में बहाल भी कर दिया गया। इनमें से कुछ चर्चित मामले ये हैं :
- 2024 में अलीगढ़ में 35 भूखंडों के पट्टे मनमाने तरीके से बहाल करने के मामले में IAS देवीशरण उपाध्याय (2012 बैच) को सस्पेंड किया गया।
- 2022 में सोनभद्र के डीएम टीके शीबू और औरैया के डीएम सुनील कुमार वर्मा को पद के दुरुपयोग के आरोप में सस्पेंड किया गया, हालांकि बाद में उन्हें बहाल कर दिया गया।
- उन्नाव के डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय पर शिक्षा विभाग में खरीद में अनियमितता के आरोप लगे थे, जिसके चलते उन्हें सस्पेंड किया गया।
- महराजगंज के डीएम अमरनाथ उपाध्याय को गो संरक्षण घोटाले में निलंबित किया गया था।
- पर्यटन विभाग में रहते हुए केदारनाथ सिंह और ओबीसी कोटे पर भर्ती में धांधली के आरोप में शारदा सिंह को भी सस्पेंड किया गया था।
- 2018 में अनाज घोटाले में डीएम जितेंद्र बहादुर सिंह और फतेहपुर के डीएम कुमार प्रशांत को सरकारी गेहूं खरीद में गड़बड़ी के आरोप में सस्पेंड किया गया था।
- लखीमपुर खीरी में ज़मीन की पैमाइश को लटकाने के मामले में IAS घनश्याम सिंह को सस्पेंड किया गया था, हालांकि अब उन्हें बहाल कर दिया गया है।
- IAS अभिषेक प्रकाश पर यूपी में सोलर उद्योग लगाने के नाम पर कमीशन मांगने का आरोप लगा था, जिसे जांच में सही पाया गया। सीएम योगी, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के लिए जाने जाते हैं, ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया।
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