ट्रंप टैरिफ 2025 : रिलायंस-टीसीएस की लग गई लंका, शेयर बाजार स्वाहा

भारतीय शेयर बाजार भी ट्रंप टैरिफ से अछूता नहीं है।

Stock Market News : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में हड़कंप मचा दिया है। भारत भी इस टैरिफ तूफान से अछूता नहीं रहा। ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी, जो 5 अप्रैल से लागू हो चुकी है, ने भारतीय शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर देश की दिग्गज कंपनियों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) के शेयरों पर साफ देखा जा सकता है। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि ट्रंप के इस फैसले का भारतीय बाजार और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा है।

ट्रंप टैरिफ 2025 ने मुश्किलें बढ़ाईं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को ‘लिबरेशन डे’ के मौके पर नई टैरिफ नीति की घोषणा की थी। इसके तहत भारत सहित कई देशों से आयात होने वाले सामानों पर 27% तक टैरिफ लगाया गया है। इसमें एक यूनिवर्सल 10% टैरिफ भी शामिल है, जो 5 अप्रैल से प्रभावी हो गया, जबकि 27% टैरिफ 9 अप्रैल से लागू होगा। ट्रंप का कहना है कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और व्यापार घाटे को कम करने के लिए उठाया गया है। भारत, जो अमेरिका का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है, इस नीति से सीधे प्रभावित हो रहा है।

भारतीय शेयर बाजार में मचा हाहाकार

ट्रंप के इस ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखने को मिली। 3 अप्रैल को बाजार खुलते ही सेंसेक्स 500 अंकों से अधिक टूट गया, वहीं निफ्टी में 180 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों में घबराहट फैल गई और बिकवाली का दौर शुरू हो गया। बीएसई का मार्केट कैप एक मिनट में ही 3.27 लाख करोड़ रुपये घट गया, जिससे 21 करोड़ से अधिक निवेशकों को तगड़ा झटका लगा।

4 अप्रैल को भी यह गिरावट जारी रही। सेंसेक्स 805.58 अंकों की गिरावट के साथ 75,811.86 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 182.05 अंकों के नुकसान के साथ 23,150.30 पर आ गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो बाजार और नीचे जा सकता है।

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रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस पर भारी मार

देश की दो सबसे बड़ी कंपनियों, रिलायंस इंडस्ट्रीज और टीसीएस, पर ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में करीब 1% की गिरावट देखी गई, जो कंपनी के तेल और गैस निर्यात पर बढ़ते दबाव को दर्शाता है। दूसरी ओर, टीसीएस के शेयर 2.40% तक लुढ़क गए। आईटी सेक्टर, जो अमेरिकी बाजार पर बहुत हद तक निर्भर है, इस टैरिफ नीति से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। निफ्टी आईटी इंडेक्स में 4.21% की भारी गिरावट दर्ज की गई।

अन्य आईटी दिग्गज जैसे इंफोसिस (2.28% नीचे), एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा भी इस संकट से नहीं बच पाए। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में भारतीय आईटी सेवाओं की लागत बढ़ने से इन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ सकता है।

ऑटो और फार्मा सेक्टर का हाल

ट्रंप के टैरिफ का असर ऑटो सेक्टर पर भी पड़ा है। ऑटो इंपोर्ट्स पर 25% टैरिफ के ऐलान से निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 1.14% की गिरावट आई। टाटा मोटर्स जैसे बड़े खिलाड़ियों के शेयरों में भी 1% से अधिक की कमी देखी गई। हालांकि, फार्मा सेक्टर ने इस संकट में कुछ राहत दिखाई। निफ्टी फार्मा में 2.25% की तेजी दर्ज की गई, क्योंकि ट्रंप ने फार्मास्यूटिकल्स को इस टैरिफ से छूट दी है। सन फार्मा और औरोबिंदो फार्मा जैसे शेयरों में क्रमशः 4.72% और 6.55% की उछाल देखी गई।

भारत के निर्यात पर कितना असर?

भारत का अमेरिका के साथ सालाना 200 अरब डॉलर का व्यापार है, जिसमें से 18% निर्यात अमेरिका को जाता है। ट्रंप के टैरिफ से जेम्स एंड ज्वैलरी, टेक्सटाइल, चिकित्सा उपकरण और झींगा मछली जैसे सेक्टर्स पर भारी असर पड़ने की आशंका है। उदाहरण के लिए, रत्न और आभूषण सेक्टर, जिसमें अमेरिका की 30% हिस्सेदारी है, को 20% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। इससे राजेश एक्सपोर्ट्स जैसी कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा।

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मान дис है कि यह संकट भारत के लिए अवसर भी ला सकता है। चीनी और बांग्लादेशी उत्पादों पर क्रमशः 54% और 37% टैरिफ लगने से भारतीय टेक्सटाइल और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं।

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सरकार और निवेशकों की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने इस मामले पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि टैरिफ के प्रभावों का आकलन किया जा रहा है और प्रभावित पक्षों से सलाह ली जा रही है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी कहा कि भारत इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। दूसरी ओर, विपक्षी नेता राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह टैरिफ भारतीय अर्थव्यवस्था को “बर्बाद” कर सकता है।

निवेशकों में भी अनिश्चितता का माहौल है। विदेशी निवेशकों ने गुरुवार को 2,806 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू निवेशकों ने केवल 221 करोड़ रुपये की खरीदारी की। इससे रुपये पर भी दबाव बढ़ा और यह 85.78 के स्तर पर पहुंच गया।

आगे क्या होगा?

ट्रंप के टैरिफ से रिलायंस और टीसीएस जैसी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, लेकिन कुछ सेक्टर्स में उम्मीद की किरण भी दिख रही है। ट्रंप की टैरिफ नीति का असर लंबे समय तक भारतीय बाजार पर बना रह सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत जवाबी टैरिफ लगाता है, तो यह व्यापार युद्ध को और गहरा सकता है। वहीं, सरकार अगर सब्सिडी या नीतिगत राहत देती है, तो कुछ सेक्टर्स को बचाया जा सकता है। निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे फार्मा और एफएमसीजी जैसे सुरक्षित सेक्टर्स में निवेश पर ध्यान दें। आने वाले दिनों में बाजार का रुख इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है।

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Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


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