IAS Rinku Singh News: उप-जिलाधिकारी के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी रिंकू सिंह राही ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन चर्चा में आ गए। तहसील परिसर में साफ-सफाई की कमी और खुले में शौच की घटनाओं को देखकर उन्होंने पहले एक वकील के मुंशी से उठक-बैठक करवाई, फिर वकीलों के विरोध के बाद खुद कान पकड़कर उठक-बैठक लगाई। यह नजारा देख अधिवक्ता और वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
तहसील परिसर में उठक-बैठक
रिंकू सिंह राही 2022 बैच के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने सोमवार रात को यूपी के शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील में नवागत पुवायां तहसील में SDM के रूप में कार्यभार संभाला। मंगलवार को अपने पहले दिन के निरीक्षण के दौरान, उन्होंने तहसील परिसर में गंदगी और खुले में शौच की समस्या देखी। एक वकील के मुंशी, विजय कुमार (38), को परिसर में लघुशंका करते पकड़ा गया। रिंकू सिंह ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए विजय से 20 उठक-बैठक करवाई। साथ ही, एक अन्य व्यक्ति, जो पर्स बेच रहा था, को भी 10 उठक-बैठक करने को कहा गया।
नाराज वकील भी हैरान रह गए
इस कार्रवाई से नाराज वकीलों ने तहसील परिसर में विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि शौचालयों की खराब स्थिति के कारण लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। वकीलों ने SDM से सवाल किया कि अगर परिसर की गंदगी प्रशासन की जिम्मेदारी है, तो क्या वे खुद इसके लिए सजा भुगतेंगे? इस पर रिंकू सिंह ने बिना हिचकिचाहट के अपनी जिम्मेदारी स्वीकारी और वकीलों के सामने कान पकड़कर पांच उठक-बैठक लगाई। जब एक वकील ने उन्हें बीच में रोकने की कोशिश की और कहा, “रहने दीजिए,” तो रिंकू सिंह ने दृढ़ता से जवाब दिया और अपनी सजा पूरी की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसने न केवल शाहजहांपुर बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। तहसील बार अध्यक्ष सुभाष शुक्ला ने बाद में माइक लेकर इस घटना पर खेद जताया और मामले को शांत किया।
आईएएस बोले- मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं
मीडिया से बात करते हुए रिंकू सिंह राही ने अपनी कार्रवाई को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “मैंने तहसील परिसर का निरीक्षण किया और एक व्यक्ति को खुले में लघुशंका करते देखा। मैंने उसे शौचालय का उपयोग करने को कहा, लेकिन उसने शौचालय की गंदगी का हवाला दिया। इसलिए, मैंने उसे प्रतीकात्मक सजा के रूप में उठक-बैठक करवाई। जब वकीलों ने मुझसे शौचालयों की खराब स्थिति के लिए जवाबदेही की बात कही, तो मैंने अपनी जिम्मेदारी स्वीकारी और खुद उठक-बैठक की। इसमें मुझे कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं हुई।”
कमियों को स्वीकार किया
रिंकू सिंह ने यह भी बताया कि तहसीलदार ने उन्हें सूचित किया था कि 10 दिन पहले परिसर की स्थिति और भी खराब थी, और हाल में काफी हद तक सफाई कराई गई है। फिर भी, बची हुई कमियों को स्वीकार करते हुए उन्होंने यह कदम उठाया। उन्होंने वादा किया कि शौचालयों की सफाई और परिसर की स्वच्छता के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे। रिंकू सिंह राही ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य तहसील में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा, “अगर कोई कर्मचारी रिश्वत मांगता है या अभद्र व्यवहार करता है, तो लोग उसका स्टिंग वीडियो बनाकर मुझे भेजें। मैं तुरंत कार्रवाई करूंगा।”
कौन हैं आईएएस रिंकू सिंह राही
रिंकू सिंह राही का प्रशासनिक करियर हमेशा से चर्चा में रहा है। हाथरस (तब अलीगढ़) के एक गरीब परिवार में 20 मई 1982 को जन्मे रिंकू ने आर्थिक तंगी और कई चुनौतियों के बावजूद अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से बी.टेक की डिग्री हासिल की और 2004 में प्रवर अधीनस्थ सेवा (PCS) के जरिए समाज कल्याण अधिकारी बने। 2008 में मुजफ्फरनगर में तैनाती के दौरान उन्होंने पेंशन और छात्रवृत्ति योजनाओं में 100 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया।
इस खुलासे के बाद 26 मार्च 2009 को उन पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमें उन्हें सात गोलियां मारी गईं। इस हमले में उनकी एक आंख की रोशनी चली गई और चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इसके बावजूद, रिंकू ने हार नहीं मानी। 2012 में उन्होंने लखनऊ में भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना दिया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें मानसिक अस्पताल भेजने की कोशिश की। 2018 में उन्हें निलंबित भी किया गया। फिर भी, उन्होंने 2021 में दिव्यांग कोटे से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और 683वीं रैंक हासिल कर 2022 बैच में IAS बने।
प्रशासन ने शुरू की जांच
इस घटना के बाद शाहजहांपुर के प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की है। अपर जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक) राशिद अली खान को पुवायां भेजा गया है ताकि SDM और वकीलों से बातचीत कर स्थिति का जायजा लिया जाए। जिला प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि तहसील परिसर में स्वच्छता और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे। रिंकू सिंह राही का यह कदम सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से चर्चा का विषय बन गया। कुछ लोगों ने उनकी विनम्रता और जवाबदेही की सराहना की, तो कुछ ने इसे प्रशासनिक कमजोरी के रूप में देखा। वकीलों के विरोध को लेकर भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ का मानना है कि वकीलों का विरोध जायज था, क्योंकि शौचालयों की स्थिति वाकई खराब थी, जबकि अन्य का कहना था कि SDM की कार्रवाई अनुशासन स्थापित करने की दिशा में थी।


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