नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट परिसर में सोमवार को उस समय हड़कंप मच गया जब एक वकील ने सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। घटना के दौरान सीजेआई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी अचानक आरोपी वकील जजों की सीट की ओर बढ़ा और जूता उतारकर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उसे काबू में कर लिया और कोर्ट से बाहर ले गए।
बाहर जाते वक्त आरोपी नारेबाजी कर रहा था – “सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
क्यों भड़का वकील?
जानकारी के मुताबिक, आरोपी वकील खजुराहो के जावरी मंदिर से जुड़े एक मामले में सीजेआई की टिप्पणी से नाराज था। दरअसल, 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति का पुनर्निर्माण करने की मांग की गई थी।
लेकिन सुनवाई के दौरान CJI गवई ने इसे “प्रचार के लिए की गई याचिका” करार देते हुए खारिज कर दिया था। साथ ही उन्होंने टिप्पणी की थी – “यदि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो प्रार्थना कीजिए, ध्यान लगाइए और भगवान से कहिए कि वे स्वयं इस मामले में कुछ करें।”
याचिकाकर्ता की भावनाओं को ठेस पहुंचने के बाद इस टिप्पणी पर पहले भी विवाद खड़ा हुआ था। बाद में सीजेआई ने सफाई देते हुए कहा था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
जावरी मंदिर विवाद क्या है?
जावरी मंदिर, मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर समूह के पूर्वी हिस्से में स्थित एक प्रसिद्ध विष्णु मंदिर है। यहां चतुर्भुज भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है, लेकिन मूर्ति खंडित अवस्था में है—विशेषकर धड़ का हिस्सा टूटा हुआ है। यह मूर्ति सदियों से इसी रूप में स्थापित है और यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट होने के नाते संरक्षित भी है।
पिछले महीने राकेश दलाल नामक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग की थी। हालांकि, सीजेआई ने साफ कहा कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है और इसमें कई जटिलताएं हैं।
सुरक्षा और न्यायपालिका की गरिमा पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट जैसी उच्चतम संस्था में इस तरह की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और न्यायपालिका की गरिमा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली ऐसी घटनाओं को सख्ती से निपटाया जाना चाहिए।


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