देहरादून/हल्द्वानी। जहां आज के समय में शादियों में दिखावा, फिजूलखर्ची और तामझाम आम बात हो गई है, वहीं उत्तराखंड के एक युवा जिलाधिकारी (DM) और एक महिला डॉक्टर ने सादगी से विवाह कर समाज को एक प्रेरणादायक संदेश दिया है। यह DM weds Doctor विवाह न तो किसी फाइव स्टार होटल में हुआ और न ही किसी बड़ी पार्टी के साथ, बल्कि मंदिर में वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार और उसके बाद न्यायालय में कानूनी मान्यता के साथ संपन्न हुआ।
दूल्हा चमोली में डीएम, दुल्हन हल्द्वानी की डॉक्टर
मंदिर में शादी करने वाले आईएएस अधिकारी संदीप तिवारी चमोली जिले के जिलाधिकारी हैं। उनकी जीवनसंगिनी बनीं डॉक्टर पूजा डालाकोटी हल्द्वानी की हैं। दोनों ने अपनी शादी को न्यायालय और मंदिर में सादगीपूर्ण ढंग से संपन्न कर एक अनुकरणीय मिसाल पेश की है। आज के समय में, जब शादियां भव्यता, दिखावे, और फिजूलखर्ची का पर्याय बन गई हैं, इन दोनों ने अपने इस कदम से समाज को यह संदेश दिया है कि विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसे सादगी और प्रेम के साथ निभाया जा सकता है। उनकी शादी में ढोल-नगाड़े, आतिशबाजी, या लंबी-चौड़ी बारात का कोई स्थान नहीं था। इसके बजाय, उन्होंने चमोली के एक स्थानीय मंदिर में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह संपन्न किया और न्यायालय में इसका कानूनी पंजीकरण करवाया।
DM weds Doctor में सादगी का संदेश
चमोली डीएम संदीप तिवारी ने अपनी शादी के बाद कहा, “विवाह एक पवित्र और व्यक्तिगत बंधन है, जिसे भव्यता की बजाय सादगी और प्रेम के साथ मनाया जाना चाहिए। हमारा उद्देश्य समाज को यह संदेश देना था कि फिजूलखर्ची के बिना भी एक खुशहाल और यादगार विवाह संभव है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस कदम से वे उन परिवारों को प्रेरित करना चाहते हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण शादी के खर्चों से परेशान रहते हैं।
वहीं हल्द्वानी की डॉक्टर पूजा डालाकोटी ने कहा कि शादी दो परिवारों का मिलन और विचारों का मिलन है. इसलिए उनका ही फैसला था कि विवाह मंदिर में हो। इस युवा जोड़े ने पहले कोर्ट में शादी रजिस्टर्ड कराई। उसके बाद नव दंपति गोपेश्वर के भगवान गोपीनाथ मंदिर पहुंचे और दर्शन करके आशीर्वाद लिया।चाहिए। यह समाज के लिए एक बड़ा संदेश है कि हमें सादगी को अपनाना चाहिए।”
मंदिर में मंत्र, कोर्ट में कानूनी विवाह
न्यायालय विवाह (कोर्ट मैरिज) भारत में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत मान्य है। यह न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि विभिन्न धर्मों और समुदायों के जोड़ों के लिए भी एक सुविधाजनक विकल्प है। मंदिर विवाह, जब न्यायालय में पंजीकृत किया जाता है, तो कानूनी रूप से मान्य हो जाता है। डीएम संदीप तिवारी और डॉक्टर पूजा डालाकोटी ने दोनों प्रक्रियाओं का पालन कर यह सुनिश्चित किया कि उनका विवाह न केवल धार्मिक बल्कि कानूनी रूप से भी पूर्ण हो। उत्तराखंड में हाल ही में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) ने भी विवाह, तलाक, और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं। यह कानून सादगीपूर्ण और कानूनी विवाह को बढ़ावा देता है, जिससे डीएम संदीप तिवारी और डॉक्टर पूजा डालाकोटी का यह कदम और भी प्रासंगिक हो जाता है।
मुख्यमंत्री और अधिकारियों ने दी शुभकामनाएं
जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई, सोशल मीडिया पर इस विवाह की सराहना की लहर दौड़ गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों और आम जनता ने जिलाधिकारी को इस सादगीपूर्ण कदम के लिए शुभकामनाएं दीं और इसे आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणास्पद उदाहरण बताया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “डीएम संदीप तिवारी ने सादगी और सामाजिक जिम्मेदारी का जो उदाहरण पेश किया है, वह युवाओं और समाज के लिए प्रेरणादायक है। यह उत्तराखंड की संस्कृति और मूल्यों को दर्शाता है।”
उत्तराखंड में सादगी की परंपरा
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, हमेशा से अपनी सादगी और आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां के मंदिर, जैसे त्रियुगीनारायण मंदिर, उमा देवी मंदिर, और गोलू देवता मंदिर, न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सादगीपूर्ण विवाह के लिए भी लोकप्रिय हैं। त्रियुगीनारायण मंदिर, जहां भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती का विवाह करवाया था, आज भी देश-विदेश से आने वाले जोड़ों के लिए एक प्रमुख वेडिंग डेस्टिनेशन है। न्यायालय-मंदिर विवाह न केवल लागत को कम करता है, बल्कि कानूनी और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से मान्य होता है।
पहले भी कुछ प्रेरणादायक उदाहरण
डीएम संदीप तिवारी अकेले नहीं हैं जिन्होंने सादगीपूर्ण विवाह का उदाहरण पेश किया है। उत्तराखंड में पहले भी कई हस्तियों ने सादगीपूर्ण विवाह के उदाहरण पेश किए हैं। उदाहरण के लिए, 2020 में पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी और उनकी पत्नी राधा रतूड़ी, जो उस समय अपर मुख्य सचिव थीं, ने अपनी बेटी का विवाह सादगी से किया था। दूसरी ओर, 2019 में बैतूल की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बैंकॉक में गणतंत्र दिवस के अवसर पर संविधान को साक्षी मानकर अपने मित्र सुरेश अग्रवाल के साथ विवाह रचाया था। इसी तरह, लोकनिति केंद्र की एक रिपोर्ट में कराची के एक धनवान सेठ लालचंदजी का उदाहरण दिया गया, जिन्होंने अपनी बेटी की शादी में फिजूलखर्ची से बचकर धार्मिक और सादगीपूर्ण विवाह किया। इस तरह की पहलें समाज में सादगी को बढ़ावा देने और फिजूलखर्ची को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।


पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Discover more from Uncut Times - ब्रेकिंग न्यूज, फैक्ट चेक, विश्लेषण
Subscribe to get the latest posts sent to your email.