रुद्रप्रयाग (सुभाष भट्ट) : आज हम आपको एक ऐसे शिक्षक के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता और सामुदायिक सहयोग से एक सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी है। राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोटतल्ला रुद्रप्रयाग के प्रधानाध्यापक सत्येंद्र सिंह भंडारी ने न केवल एक जर्जर स्कूल भवन को आधुनिक शिक्षा केंद्र में बदला, बल्कि बच्चों के लिए शिक्षा को जीवंत बना दिया।
जर्जर भवन से आदर्श स्कूल तक का सफर
सत्येंद्र भंडारी जी की पहली नियुक्ति इसी विद्यालय में हुई थी। उस समय स्कूल की हालत बेहद खराब थी – दीवारें टूटी हुईं, छत से पानी टपकता था और छात्रों की उपस्थिति बेहद कम थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। शिक्षा विभाग, जिला प्रशासन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सुभाष कुमार के सहयोग से आपदा पुनर्विकास योजना के अंतर्गत विद्यालय के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हुआ। आज यह स्कूल न केवल संरचनात्मक रूप से मजबूत है, बल्कि तकनीकी संसाधनों से भी समृद्ध है। यहां नौ कंप्यूटर, दो प्रोजेक्टर, इन्वर्टर और डिजिटल लर्निंग की समुचित व्यवस्था है।
शिक्षा और प्रकृति का अद्भुत संगम
2009 में सत्येंद्र जी ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की – विद्यालय में हर नए छात्र के प्रवेश पर उसके नाम से एक पौधा रोपित किया जाता है। ये पौधे फलदार, छायादार और औषधीय होते हैं। आज स्कूल परिसर में 187 से अधिक पौधे हैं जिनमें अमरूद, कीवी और आम जैसे फल भी शामिल हैं। छात्र इन पौधों की देखभाल करते हैं और जैव विविधता, मौसम चक्र और पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा व्यवहारिक रूप से प्राप्त करते हैं। स्कूल में जल संरक्षण के लिए वाटर कंजर्वेशन सिस्टम भी स्थापित किया गया है, जिससे वर्षा जल का उपयोग किया जा सके।
सामुदायिक सहयोग और जनसहभागिता से मिली सफलता
दुर्गम क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है छात्रों की घटती रुचि। लेकिन सत्येंद्र जी ने इस चुनौती को अवसर में बदला। उन्होंने अभिभावकों और गांववासियों की नियमित बैठकें शुरू कीं, जिससे न केवल छात्रों की उपस्थिति बढ़ी बल्कि लोगों में सरकारी स्कूल के प्रति भरोसा भी लौटा।
2019 में, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के सहयोग से स्कूल परिसर में एक मछली तालाब का निर्माण किया गया। इससे बच्चों को जलीय जीवन और विज्ञान से जुड़ी व्यवहारिक जानकारी मिली। इसके अलावा विद्यालय परिसर में 30 से अधिक किस्मों के फूलों का रोपण भी किया गया है, जो न केवल सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि बच्चों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
सरकारी स्कूलों को वैश्विक स्तर पर ले जाने की दिशा में
सत्येंद्र भंडारी जी का मानना है कि यदि शिक्षक ठान लें, तो सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों बदली जा सकती हैं। वह कहते हैं कि आज की सबसे बड़ी चुनौती है – लोगों की आधुनिकता की दौड़ में सरकारी स्कूलों से दूरी। लेकिन अगर विद्यालयों में सुविधाएं, नवाचार और सामुदायिक सहभागिता हो, तो लोग निश्चित रूप से पलटकर सरकारी स्कूलों की ओर देखेंगे। हाल ही में विद्यालय में आयोजित समर कैंप के दौरान मुख्य शिक्षा अधिकारी बिष्ट जी ने विद्यालय को ‘आश्रम’ की संज्ञा दी और बच्चों की पावर प्रेजेंटेशन क्षमता को सराहा। भंडारी जी बताते हैं कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने की बात कही थी, उसी वर्ष उन्होंने समाज और बैंक के सहयोग से विद्यालय में प्रोजेक्टर और कंप्यूटर लगाए।
भविष्य की पीढ़ी को प्रकृति से जोड़ने की आवश्यकता
सत्येंद्र सिंह भंडारी उत्तराखंड के शिक्षकों से आह्वान करते हैं कि वे शिक्षा को प्रकृति और समाज से जोड़ें। उनका मानना है कि आने वाली पीढ़ियों को यदि सतत विकास, जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक नहीं किया गया, तो पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जाएगा। उन्होंने कहा – “अगर धरती को बचाना है, तो हमें प्रकृति से रिश्ते फिर से जोड़ने होंगे।”


Uncut Times हिंदी पत्रकारिता के अनुभवी मीडियाकर्मी। पिछले 30 सालों से प्रिंट और डिजिटल के विभिन्न माध्यमों के जरिए पत्रकारिता का लंबा अनुभव। हिंदी मीडिया की लेटेस्ट खबरें और सटीक जानकारियां। आप uncuttimesnews@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
Discover more from Uncut Times - ब्रेकिंग न्यूज, फैक्ट चेक, विश्लेषण
Subscribe to get the latest posts sent to your email.