अयोध्या : राम मंदिर परिसर में गुरुवार को गंगा दशहरा के अवसर पर श्रीराम समेत आठ देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा की गई। अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:25 से 11:40 बजे तक वैदिक मंत्रोच्चार और यज्ञ के बीच अयाेध्या में राम दरबार का यह ऐतिहासिक अनुष्ठान संपन्न हुआ। इस दौरान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, और हनुमान की मूर्तियों के साथ-साथ परकोटे में स्थित छह अन्य मंदिरों में शिवलिंग, गणेश, सूर्य, हनुमान, भगवती, और अन्नपूर्णा की मूर्तियों और शेषावतार लक्ष्मण के मंदिर में विराजे। इसकी पहली फोटो सामने आई है।
गंगा दशहरा पर प्राण प्रतिष्ठा
समारोह की शुरुआत ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 6:30 बजे से हुई। गंगा दशहरा के शुभ दिन पर सुबह 11:25 से 11:40 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। यह वही तिथि है जब रामेश्वरम में भी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। गंगा दशहरा का दिन मां गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है। ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के अनुसार, इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल कई गुना मिलता है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसी कारण 5 जून को प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना। इस दिन सिद्ध योग और अभिजीत मुहूर्त का संयोग भी था, जो इसे और भी शुभ बनाता है।
हीरे और सोने-चांदी के आभूषण
राजा राम को हीरे, सोने, और चांदी के आभूषणों से सजाया गया, जो सूरत के एक व्यापारी ने भेंट किए थे। 108 वैदिक आचार्यों ने काशी और अयोध्या से आए यज्ञाचार्य पंडित जयप्रकाश त्रिपाठी के नेतृत्व में चतुर्वेद पारायण, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, और रामरक्षा स्तोत्र का पाठ किया। यज्ञमंडप में 1975 मंत्रों के साथ अग्नि देवता को आहुति दी गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक समारोह में मुख्य यजमान की भूमिका निभाई। उन्होंने राम दरबार की मूर्ति से आवरण हटाया और राजा राम का भव्य श्रृंगार किया गया। इस अवसर पर 19 संत-धर्माचार्य, राम मंदिर ट्रस्ट, संघ, और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
अयाेध्या में राम दरबार की विशेषता
राम दरबार की मूर्तियां जयपुर के प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और उनके परिवार द्वारा सफेद मकराना संगमरमर से निर्मित की गई हैं। ये मूर्तियां न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि स्थापत्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अनुपम हैं। सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि मूर्ति निर्माण एक आध्यात्मिक साधना थी। उन्होंने रामलला की 540 बार परिक्रमा और हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए इन मूर्तियों को गढ़ा। राम मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित राम दरबार की मूर्ति केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय शिल्पकला और वैज्ञानिक सोच का अद्वितीय उदाहरण है।
- यह मूर्ति संगमरमर के दुर्लभ और 40 साल पुराने पत्थर से बनाई गई है।
- मूर्ति निर्माण के लिए पत्थर का चयन करने में 6 महीने का समय लगा।
- पत्थर की जांच IIT हैदराबाद के वैज्ञानिकों द्वारा की गई।
- जांच में ताकत, तापमान सहिष्णुता, घर्षण क्षमता, नमी अवशोषण आदि का परीक्षण किया गया।
- यह मूर्ति 1000 साल तक सुरक्षित रहने में सक्षम मानी जा रही है।
मूर्ति की आकृति और संरचना
विग्रह | मुद्रा | ऊंचाई |
---|---|---|
राम-सीता | खड़े | 4.5 फीट |
हनुमान-भरत | बैठे | 2.5 फीट |
लक्ष्मण-शत्रुघ्न | खड़े | 3 फीट |
सिंहासन | — | 3.5 फीट |
कुल ऊंचाई | — | 7 फीट |
अयाेध्या में राम दरबार : यह भी जानें
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि स्थापत्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अनुपम है। मंदिर के शिखर पर हाल ही में 42 फीट ऊंचा ध्वजदंड और सोने की परत लगाई गई है, जो इसकी भव्यता को बढ़ाता है। मकराना संगमरमर की शिलाएं 100 साल तक अपनी चमक और मजबूती बनाए रखेंगी। मंदिर के परकोटे में शिव, गणेश, सूर्य, हनुमान, भगवती, और अन्नपूर्णा के मंदिर हैं, जिनमें मूर्तियां शास्त्र-सम्मत विधि से स्थापित की गईं।
भविष्य की योजनाएं
मंदिर निर्माण: मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। 30 मई को शिवलिंग की स्थापना की गई थी।
अन्य मंदिर: सप्त मंडपम में वाल्मीकि, विश्वामित्र, अगस्त्य, वशिष्ठ, निषादराज, अहिल्या, और शबरी के मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा जल्द होगी।


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