देहरादून में सरकारी जमीन पर बना दिया पेट्रोल पंप, जांच के बाद सील

देहरादून में डीएम सविन बंसल का नया आदेश

Dehradun News : देहरादून में शरणार्थियों के लिए अावंटित सरकारी जमीन पर पेट्रोल पंप बनाने का खुलासा हुआ है। जांच के बाद प्रेमनगर, ठाकुरपुर, आरकेडिया ग्रांट में कूटरचित विक्रय पत्र के आधार पर संचालित केसरी फिलिंग स्टेशन (पेट्रोल पंप) का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। इस कार्रवाई के साथ ही संबंधित भूमि को सरकार में निहित कर दिया गया है। यह पेट्रोल पंप पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए आवंटित सरकारी भूमि पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चल रहा था। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर की गई जांच में इस घोटाले का खुलासा हुआ, जिसके बाद रातोंरात पेट्रोल पंप को सील कर दिया गया।

जनता दर्शन में उठा था मामला

यह मामला तब सामने आया जब प्रेमनगर क्षेत्र के निवासियों ने जनता दर्शन के दौरान जिलाधिकारी सविन बंसल के समक्ष एक संयुक्त शिकायती पत्र प्रस्तुत किया। शिकायत में दावा किया गया कि आरकेडिया ग्रांट, नॉन-जेडए, खसरा नंबर 191 पर संचालित केसरी फिलिंग स्टेशन सरकारी भूमि पर फर्जी विक्रय पत्र के आधार पर चल रहा है। यह भूमि मूल रूप से पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए आवंटित की गई थी, जिसे रिफ्यूजी कैंप के रूप में दर्ज किया गया था।

जिलाधिकारी ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए। जिला पूर्ति अधिकारी, देहरादून और उप जिलाधिकारी सदर, देहरादून की संयुक्त जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि पेट्रोल पंप खसरा नंबर 192 पर संचालित हो रहा था, जबकि इसका विक्रय पत्र खसरा नंबर 191 के लिए कूटरचित दस्तावेजों पर आधारित था।

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जांच में खुलासा : कूटरचित विक्रय पत्र और फर्जीवाड़ा

  1. फर्जी विक्रय पत्र: पेट्रोल पंप का स्वामित्व चरणजीत भाटिया (पुत्र स्व. केशर सिंह भाटिया) के नाम पर दर्ज था, जिन्होंने खसरा नंबर 191 के लिए कूटरचित विक्रय पत्र बनवाया था। बाद में यह भूमि उनके पुत्र गगन भाटिया को उपहार में दे दी गई।
  2. गलत खसरा नंबर: जांच में पाया गया कि पेट्रोल पंप खसरा नंबर 192 पर संचालित हो रहा था, जबकि दस्तावेज खसरा नंबर 191 के थे, जो सरकारी भूमि थी।
  3. शरणार्थी आवंटन का दुरुपयोग: यह भूमि पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के लिए आवंटित थी और इसे रिफ्यूजी कैंप के रूप में दर्ज किया गया था। इस सरकारी संपत्ति का निजी उपयोग गैरकानूनी था।
  4. अनापत्ति प्रमाण पत्र का दुरुपयोग: पेट्रोल पंप को संचालित करने के लिए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) को जिला प्रशासन द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी फर्जी दस्तावेजों पर आधारित था।

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न्यायालय का निर्णय: भूमि सरकार में निहित

जांच आख्या 17 मार्च 2025 को प्रस्तुत की गई, जिसके आधार पर कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया। जांच के निष्कर्षों के आधार पर, अपर जिलाधिकारी (प्रशासन), देहरादून के न्यायालय में इस मामले की सुनवाई हुई। इस बारे में कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2024 को आदेश पारित किया था।

  • वाद संख्या-46/2010-11 के तहत धारा 34, लैंड रेवेन्यू एक्ट (नॉन-जेडए) के अंतर्गत चरणजीत भाटिया बनाम केदारनाथ मामले में 30 अगस्त 2011 का पूर्व आदेश निरस्त कर दिया गया।
  • खसरा नंबर 191 (रकबा 356 वर्ग मीटर) पर चरणजीत भाटिया का नाम हटाकर भूमि को मिल्कियत सरकार आबादी रिफ्यूजी कैंप के नाम पर पुनः दर्ज करने का आदेश दिया गया।
  • इस निर्णय ने स्पष्ट किया कि उक्त भूमि पर किया गया कोई भी दाखिल-खारिज अवैध था और इसे तत्काल सुधार किया जाए।

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जिला प्रशासन की कार्रवाई: लाइसेंस निरस्त, पेट्रोल पंप सील

जांच और न्यायालय के आदेश के आधार पर जिलाधिकारी सविन बंसल ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ये कदम उठाए:

  1. लाइसेंस निरस्तीकरण: केसरी फिलिंग स्टेशन का पेट्रोल पंप लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया।
  2. अनापत्ति प्रमाण पत्र रद्द: इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड को जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) संख्या-31/परि.लि.-2014, दिनांक 07-02-2014 को भी निरस्त कर दिया गया।
  3. भूमि सरकार में निहित: खसरा नंबर 191 की भूमि को सरकारी स्वामित्व में वापस ले लिया गया।
  4. पेट्रोल पंप सील: रातोंरात कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने पेट्रोल पंप पर ताला जड़ दिया और इसे बंद कर दिया।

जिलाधिकारी ने उप प्रबंधक, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, 25 निम्बूवाला, गढ़ी कैंट, देहरादून को इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए सभी संबंधित दस्तावेजों को रद्द करने का आदेश जारी किया।

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डीएम बोले- हर शिकायत की निष्पक्ष जांच होगी

जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस कार्रवाई को लेकर स्पष्ट संदेश दिया कि सरकारी भूमि पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा या फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता जनहित और पारदर्शिता है। किसी भी शिकायत की निष्पक्ष जांच की जाएगी, और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।” प्रेमनगर क्षेत्र के निवासियों ने जिला प्रशासन की इस त्वरित और सख्त कार्रवाई की सराहना की है। शिकायतकर्ताओं में से एक ने कहा, “हमने कई वर्षों से इस फर्जीवाड़े के खिलाफ आवाज उठाई थी। जिलाधिकारी सविन बंसल और उनकी टीम ने निष्पक्ष जांच कर हमें न्याय दिलाया।” निवासियों ने इसे जनता दर्शन की प्रभावशीलता का उदाहरण बताया और कहा कि यह कार्रवाई अन्य अवैध गतिविधियों पर भी अंकुश लगाएगी।

उत्तराखंड में भू-माफिया के खिलाफ चल रही कार्रवाई

देहरादून और उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में भू-माफिया और अवैध निर्माण के खिलाफ हाल के महीनों में कई कार्रवाइयां की गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भू-माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का निर्देश दिया है। हाल ही में, मसूरी, हरिद्वार, और नैनीताल में भी अवैध कब्जों को हटाने और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किए गए निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्रवाइयां की गई हैं।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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