वैदिक परंपरा के साथ हुआ आगाज
समारोह की शुरुआत भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण, हवन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक और पवित्र बना दिया। इसके बाद विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मनोरंजन किया और भगवान परशुराम की लीलाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विचार-विमर्श सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें समाज की उन्नति, शिक्षा, और एकता जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भगवान परशुराम के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को उनके मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता है।
भगवान परशुराम के मूल्यों को अपनाएं
भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, अपने साहस, धर्मनिष्ठा, और समाज सुधार के लिए प्रसिद्ध हैं। वे ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों गुणों के प्रतीक हैं और समाज में न्याय और समानता की स्थापना के लिए जाने जाते हैं। उनके जन्मोत्सव का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज को उनके आदर्शों को अपनाने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान करता है। इस समारोह में वक्ताओं ने भगवान परशुराम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए शिक्षा, सामाजिक सेवा, और समाज में समरसता के महत्व पर बल दिया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे परशुराम जी के साहस और समर्पण को अपने जीवन में उतारें।
एकता और शिक्षा के महत्व पर जोर
इस शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सर्व भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुनील शांडिल्य ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। विशिष्ट अतिथियों में सांसद डॉ. महेश शर्मा और विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा शामिल रहे। इन सभी गणमान्य व्यक्तियों ने अपने संबोधन में भगवान परशुराम के जीवन, उनके आदर्शों और समाज के लिए उनके योगदान को याद किया।
डॉ. सुनील शांडिल्य ने कहा, “भगवान परशुराम का जीवन हमें धर्म, न्याय, और समाज सेवा का मार्ग दिखाता है। आज के युवाओं को उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए।” सांसद महेश शर्मा ने समाज की एकता और शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन सामाजिक समरसता को बढ़ावा देते हैं। श्रीचंद शर्मा ने युवाओं से परशुराम जी के साहस और समर्पण से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक विमर्श
समारोह के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और विचार गोष्ठी का आयोजन भी हुआ, जिसमें परशुराम जी के चरित्र, भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और समाज की एकता पर सारगर्भित विचार साझा किए गए। इस सत्र ने युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ने और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की प्रेरणा दी। अंत में, सर्व भारतीय ब्राह्मण महासभा, गौतम बुद्ध नगर की ओर से सभी अतिथियों, सहभागियों और स्थानीय नागरिकों का आभार व्यक्त किया गया। आयोजकों ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रम समाज को एकजुट रखने और वैदिक मूल्यों के प्रसार में और अधिक प्रभावशाली सिद्ध होंगे।
सर्व भारतीय ब्राह्मण महासभा की भूमिका
इस भव्य आयोजन का सफल संचालन सर्व भारतीय ब्राह्मण महासभा, गौतम बुद्ध नगर की समर्पित टीम द्वारा किया गया। आयोजन समिति में राजकुमार दुबे (जिला अध्यक्ष), नवीन तिवारी (जिला उपाध्यक्ष), धनंजय पाठक (जिला सचिव), राजेश शर्मा (जिला संरक्षक), नीरज झा (जिला उपाध्यक्ष), दिनेश मिश्रा (कार्यक्रम अध्यक्ष), मनोहर शुक्ला (कार्यक्रम संयोजक), राहुल सांकृत, पप्पू पाण्डेय, पंकज चौधरी, संगीता तिवारी, मनीष त्रिपाठी, ममता तिवारी, अलका तिवारी आदि पदाधिकारी शामिल रहे। इन सभी कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन को न केवल भव्य बनाया, बल्कि इसे एक ऐतिहासिक और यादगार घटना में बदल दिया।


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