Uncut Times News : नौतपा 2025 की शुरुआत हो गई है, और इसके साथ ही देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी का दौर भी शुरू हो गया है। 25 मई से 3 जून तक चलने वाले नौतपा साल के सबसे गर्म दिन होने का अनुमान है। नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी और तीव्र होती हैं, जिससे तापमान बहुत बढ़ जाता है। चूंकि केरल में मानसून का प्रवेश हो गया है, इसलिए कुछ जगह पारे में गिरावट आई है लेकिन जल्द ही मौसम करवट लेने वाला है।
क्या है नौतपा और क्यों होता है इतना गर्म?
नौतपा का आरंभ तब होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार नौतपा 25 मई को सुबह 3:15 बजे शुरू हुआ है और इसका समापन 3 जून को होगा। इस दौरान पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है, जिससे सूर्य की सीधी किरणें जमीन पर पड़ती हैं। परिणामस्वरूप वातावरण में तेजी से तापमान बढ़ता है और भीषण गर्मी का अनुभव होता है।
नौतपा में क्या न करें?
- तेज धूप में बाहर न निकलें
विशेषकर दोपहर 12 से 3 बजे के बीच बाहर निकलने से बचें। लू और हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है। - तला-भुना और तीखा भोजन न करें
यह अग्नि तत्व को और सक्रिय कर देता है, जिससे पाचन प्रभावित हो सकता है। - गुस्सा और वाद-विवाद न करें
गर्मियों में मानसिक शांति बनाए रखना ज़रूरी है, जिससे तन-मन दोनों स्वस्थ रहें। - खाली पेट बाहर न जाएं
हल्का फल या पानी लेकर ही घर से निकलें।
नौतपा में क्या करें?
- शीतल पेय और फलाहार लें
बेल का शरबत, आम पना, सत्तू, नींबू पानी, ठंडी छाछ, नारियल पानी का सेवन करें। - हल्के और ढीले कपड़े पहनें
सफेद या हल्के रंग के सूती वस्त्र पहनें ताकि शरीर को सूर्य की तपन से राहत मिले। प्याऊ और छाया
सड़कों पर प्याऊ लगवाएं और पेड़ों की देखभाल करें। पक्षियों के लिए पानी और दाना रखें।
स्वास्थ्य के लिए विशेष सावधानियां
- दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं।
- बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।
- गर्मी लगने के लक्षण जैसे चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी या थकावट को हल्के में न लें।
- छतरी, टोपी या सनग्लासेस का प्रयोग करें।
नौतपा का धार्मिक महत्व
- सूर्य उपासना का समय: स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, नौतपा के दौरान सूर्य देव की आराधना अत्यंत फलदायी मानी गई है।
- प्राकृतिक शुद्धिकरण: मान्यता है कि सूर्य देव इस दौरान पृथ्वी की शुद्धि के लिए अपनी प्रखर किरणों से तप करते हैं।
- मानसून की तैयारी: नौतपा के दौरान होने वाला अत्यधिक वाष्पीकरण आगे मानसून की वर्षा में सहायक बनता है।
नौतपा और मानसून का संबंध
नौतपा का मानसून के साथ गहरा संबंध है। इस दौरान जल का वाष्पीकरण तेजी से होता है, जिससे वायुमंडल में नमी बढ़ती है। यह नमी बाद में मानसून की बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि नौतपा में तेज गर्मी पड़ती है, तो मानसून अच्छा होगा। वहीं, यदि इस दौरान बारिश होती है, तो मानसून कमजोर रह सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, नौतपा का तापमान और वायुमंडलीय दबाव मानसून की तीव्रता को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार भी इस साल का नौतपा खास है क्योंकि इसके बाद अच्छी वर्षा की संभावना जताई गई है। नौतपा समाप्त होने के बाद सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं (8 जून)। इसके कुछ दिन बाद मानसून की हलचल शुरू हो जाती है।
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